महात्मा_गांधी या #स्वामी_श्रद्धानंद ? देश की जनता निर्णय करें
स्वामी श्रद्धानंद जी,लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज इन तीनो आर्य नेताओं ने धर्म परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को पुन: वैदिक धर्म में शामिल करने का अभियान शुरू किया ।।
स्वामी श्रद्धानंद जी उस समय कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य भी थे,गाँधी जी के निर्देश पर कांग्रेस ने स्वामी जी को आदेश दिया की वे इस अभियान में भाग ना लें ।।
स्वामी श्रद्धानंद जी ने उत्तर दिया, “मुस्लिम मौलवी’ तबलीग” हिन्दुओं के धरमांतरण का अभियान चला रहे हैं ! क्या कांग्रेस उसे भी बंद कराने का प्रयास करेगी ?
कांग्रेस मुस्लिमों को तुष्टि करने के लिए शुद्धि अभियान का विरोध करती रही लेकिन गांधीजी या कांग्रेस ने “तबलीग अभियान” के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं कहा ।।
इसी कारण स्वामी श्रद्धानंद जी ने कांग्रेस से सम्बन्ध तोड़ लिया और शुद्धि अभियान में पुरे जोर शोर से सक्रिय हो गए,60 मलकाने मुसलमानों को वैदिक (हिन्दू) धरम में दीक्षित किया गया ।।
मुसलमानों के सैकड़ों गांवों की शुद्धि आंदोलन के द्वारा घर वापसी करवाई गई,दो वर्ष में ही लगभग 3 लाख मुसलमानों ओर ईसाइयों की घर वापसी स्वामी श्रद्धानन्द जी ने आर्यों के सहयोग से करवाई
परंतु उन्मादी मुसलमान शुद्धि अभियान को सहन नहीं कर पाए,पहले तो उन्हें धमकियां दी गयीं,अंत में 23 दिसम्बर 1926 को दिल्ली में “अब्दुल रशीद” नामक एक मजहबी उन्मादी ने उनकी गोली मारकर हत्या कर डाली ।।
स्वामी श्रद्धानंद जी की इस निर्मम हत्या ने सारे देश को व्यथित कर डाला परन्तु गाँधी जी ने यंग इंडिया में लिखा
”मैं भाई अब्दुल रशीद नामक मुसलमान,जिसने श्रद्धानंद जी की हत्या की है के पक्ष में कहना चाहता हूँ कि इस हत्या का दोष हमारा है,अब्दुल रशीद जिस धर्मोन्माद से पीड़ित था,उसका उत्तरदायित्व हम लोगों पर है,द्वेषग्नि भड़काने के लिए केवल मुसलमान ही नहीं,हिन्दू भी दोषी हैं । ”
अगर स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल राशिद को महात्मा गांधी अपना भाई कहते हैं, तो हर आर्य भी डंके की चोट पर गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को अपना भाई घोषित करता है ।।
स्वातंत्रवीर सावरकर जी ने उन्हीं दिनों 20 जनवरी 1927 के ‘श्रद्धानंद ’ के अंक में अपने लेख में गाँधी जी द्वारा हत्यारे अब्दुल रशीद की तरफदारी की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा था कि
” गाँधी जी ने अपने को शुद्ध हृदय,महात्मा तथा निष्पक्ष सिद्ध करने के लिए एक मजहबी उन्मादी हत्यारे के प्रति सुहानुभूति व्यक्त की है,मालाबार के मोपला हत्यारों के प्रति वे पहले ही ऐसी सुहानुभूति दिखा चुके हैं ।”
गाँधी जी ने स्वयं ‘हरिजन’ तथा अन्य पत्रों में लेख लिखकर स्वामी श्रद्धानंद जी तथा आर्य समाज के “शुद्धि आन्दोलन” की कड़ी निंदा की,दूसरी ओर जगह जगह हिन्दुओं के बलात धर्मांतरण के विरुद्ध उन्होंने एक भी शब्द कहने का साहस नहीं दिखाया ।।
दुर्भाग्य है आज भी ज्यादातर हिन्दू स्वामी श्रद्धानंद को नही अपितु गांधी को अपना नायक मानते हैं,नायक मानना तो दुर कितनों ने उनका नाम भी नही सुना होगा क्योंकि हमे हमारे महापुरुषों के बारे में कभी पढाया ही नही गया ।।
आज आवश्यकता है कि हम स्वामी श्रद्धानंद जैसे वास्तविक महात्माओ का चरित्र समाज प्रचारित प्रसारित करें ताकि हिन्दू अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेकर उन्ही के जैसे बनने का प्रयत्न करें ।।
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Bharat ko keval Swami Shraddhanand Ji hi chahiye Gandhi Nahi Yahi Bharat ka Nirnay hain