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चमचे चुगलखोर-भाग-पांच

सीधे सच्चे अधिकारी को, मारग से भटकाता है।
चमचागिरी करके प्यारे, बैस्ट अवार्ड को पाता है।

गली गांव शहरों में, हो रहा तेरी कला का शोर।
जय हो चमचे चुगलखोर।

संविधान निर्माता भूल गये, कोटा नियत करना।
फिर भी छूट तू ले गया प्यारे, बिन कोटा माल को चरना।

बनते रहें कानून चाहे जितने, तुझको क्या परवाह?
तेरी निकासी के हेतु तो, बड़ी अनूठी राह।

सभी धर्म जाति देशों में, मिलता तेरा वंश।
कौवे का हृदय तेरा, तू बनता निर्मल हंस।

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