रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी एक देश में दिन में ढाई करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यह हमारे देश के चिकित्साकर्मियों के जोश, मेहनत व जज्बे के कारण ही संभव हो पाया है। दुनिया में बहुत से देशों की तो आबादी ही ढाई करोड़ से कम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर उन्हें देश-विदेश से छोटे-बड़े सभी राजनेताओं के बधाई संदेश मिल रहे थे। पार्टी कार्यकर्ता देश के विभिन्न भागों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर एक ऐसा कार्यक्रम भी संपन्न हो रहा था, जिससे दुनिया भर में भारत का सम्मान तो बढ़ा ही साथ ही देशवासियों की सुरक्षा की दृष्टि से एक मील का पत्थर स्थापित हुआ। भारत के चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर एक दिन में ही दो करोड़ पचास लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज लगाकर एक रिकॉर्ड कायम किया है। इसके लिए देश के सभी चिकित्साकर्मी व टीकाकरण से जुड़े लोग बधाई के पात्र हैं।
किसी भी एक देश में दिन में ढाई करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यह हमारे देश के चिकित्साकर्मियों के जोश, मेहनत व जज्बे के कारण ही संभव हो पाया है। दुनिया में बहुत से देशों की तो आबादी ही ढाई करोड़ से कम है। जबकि हमारे देश में एक दिन में ही ढाई करोड़ से अधिक कोरोना टीके की खुराक लगाई जा चुकी है। देश में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण बहुत तेजी से हो रहा है। देश में अब तक 18 वर्ष से अधिक आयु के 80 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है। जबकि करीबन 20 करोड़ लोगों को दोनों डोज लग चुकी है। देश में प्रतिमाह 20 से 25 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोज लगाई जा रही है। जिनका निर्माण हमारे देश में ही हो रहा है। आठ महीने के कम समय में देश में आधी से अधिक आबादी को कोरोना वैक्सीन की एक डोज लगने से देशवासियों का मनोबल बढ़ा है तथा खुद को कोरोना के संक्रमण से सुरक्षित समझने लगे हैं।
एक समय था जब देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर बहुत मारा-मारी हो रही थी। वैक्सीन आवंटन को लेकर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे। कोरोना वैक्सीन केंद्रों पर उमड़ रही भारी भीड़ की फोटो समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रही थीं। केंद्र सरकार विरोधी दलों के निशाने पर थी। लोगों में टीकाकरण में होने वाली देरी को लेकर सरकार के प्रति रोष व्याप्त हो रहा था। इसके लिये केंद्र और राज्य सरकारें एक दूसरे को दोषी ठहरा रही थीं। मगर आज स्थिति पूरी तरह बदली हुई है। देश में तेजी से टीकाकरण हो रहा है। साथ ही टीकाकरण का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन कर रही है। पूर्व में कुछ समय तक 18 से 44 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण की जिम्मेवारी केंद्र सरकार ने राज्यों पर डाल दी थी। जिसको लेकर केंद्र और राज्यों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इससे केंद्र सरकार की छवि खराब हो रही थी। हालांकि उस दौरान महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित कई प्रदेश सरकारों ने अपने खर्चे से उक्त आयु वर्ग के लोगों का बड़ी संख्या में टीकाकरण भी करवाया था। फिर केंद्र व राज्य के मध्य इस बात पर सहमति बनी कि सभी को निःशुल्क टीकाकरण केंद्र द्वारा करवाया जाएगा। तब से केन्द्र टीका लगवा रहा है।
21 जून विश्व योग दिवस से केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को निःशुल्क टीका लगाने का कार्यक्रम शुरू करवाया था जो आज बहुत तेजी से चल रहा है। उसके बाद से टीकाकरण को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के मध्य व्याप्त आपसी खींचातानी व बयान बाजी भी नहीं सुनने को मिल रही है। केंद्र द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम में देश की सभी राज्य सरकारें पूरी सक्रियता से जुटी हुई हैं। उसी का परिणाम है कि भारत में एक दिन में ढाई करोड़ से अधिक टीकाकरण संभव हो पाया है। केंद्र सरकार का मानना है कि दिसम्बर 2021 तक देश के सभी व्यस्क 94 करोड़ आबादी को कोरोना वैक्सीन का टीका लगा दिया जाएगा। ताकि देश के लोग कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से सुरक्षित हो सकें।
हमारे देश में जिस तेजी से टीकाकरण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उससे लगता है कि हम तय समय से पहले ही टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लेंगे। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. शेखर पांडे का मानना है कि देश में टीकाकरण अभियान सफल होने का सबसे प्रमुख कारण है कि सरकार ने समय रहते टीकाकरण अभियान की नीति बनाई। देश के वैज्ञानिकों ने टीके की खोज की और उसको बनाया। निजी कंपनियों ने अपने संयंत्रों में उनका बहुत तेजी से उत्पादन किया। सरकार ने व्यवस्थित तरीके से उसे आम व्यक्ति तक पहुंचाने की सुविधा उपलब्ध कराई। देशवासियों ने देश में निर्मित टीके पर विश्वास कर उसको लगवाया। देशवासियों ने बिना डर के देश में निर्मित कोरोना के टीके को लगवा कर कोरोना की लहर को रोकने की दिशा में बहुत बड़ा काम किया है। उसी का परिणाम है कि आज हम कोरोना महामारी को मात देकर सुरक्षा चक्र की ओर बढ़ रहे हैं।
इतना ही नहीं महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सिरम इंस्टीट्यूट ने जहां देश में पहला कोविशील्ड टीके का निर्माण किया। वहीं हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ने स्वदेशी टीका कोवैक्सीन को बनाने में सफलता हासिल की। टीकाकरण में भारत देशवासियों की जरूरतों को तो पूरा कर ही रहा है साथ ही अपने पड़ोसी देशों सहित दुनिया के अन्य कई देशों को भी कोरोना वैक्सीन के टीके उपलब्ध करवा रहा है। यह भारत का मानवीय पहलू है। अब तो देश में भारत बायोटेक सहित कई अन्य कम्पनियां 2 वर्ष से 18 वर्ष की आयु वर्ग के लिए भी टीके का निर्माण शुरू करने जा रही हैं। जिसके बाद देश की अधिकांश आबादी कोरोना वैक्सीन से सुरक्षित हो पाएगी।
कोरोना की दूसरी लहर से भारत में जनधन का बहुत अधिक नुकसान हुआ था। बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। लोगों के काम धंधे पूरी तरह ठप हो गए। देशभर में ऑक्सीजन गैस की किल्लत महसूस की गई। उसके बाद केंद्र व राज्य सरकारें अपने चिकित्सकीय तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही हैं। देश के हर छोटे-बड़े अस्पतालों में गैस उत्पादन के संयंत्र लगाए जा रहे हैं। जीवन रक्षक दवाओं का तेजी से उत्पादन हो रहा है। इन्हीं सब के चलते देशवासी तीसरी लहर आने की संभावना से उतने आशंकित नजर नहीं आ रहे हैं जितना उन्होंने दूसरी लहर के दौरान डर को महसूस किया था। देश में तेजी से हो रहे टीकाकरण के कारण देश के आम आदमी का केंद्र व राज्य सरकारों पर भरोसा बढ़ा है। देशवासी खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। अपने आत्म बल की ताकत पर देशवासी अब किसी भी स्थिति का मुकाबला करने में खुद को सक्षम महसूस करने लगे हैं। यह सब भरोसा तेजी से हो रहे टीकाकरण के कारण ही संभव हो पाया है। इसके लिए टीकाकरण से जुड़े सभी देशवासी बधाई के पात्र हैं।
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