अफगानिस्तान पर तालिबान ने पुनः जबरन कब्जा कर लिया है और आज विश्व यह सोचने पर बाध्य हैं कि अफगानिस्तान की भूमि पर उपजे तालिबानी इस्लामी जेहाद से कैसे सामना किया जाये?
आओ समझते हैं कि यह तालिबान है कौन?
तालिबान शब्द तालिब का बहुवचन है।’तालिब’ शब्द ‘तालिबिल्म’ का संक्षिप्त रुप है।जिसका अर्थ है इल्म का तालिब या इल्म का इच्छुक हैं।हिंदी शब्द विद्यार्थी तालिबिल्म का एकदम पर्यायवाची शब्द है।जिसका अर्थ है “विद्या अर्चन करने वाला अभिलाषी”।
जब मजहब से यह शब्द जुड़ जाता हैं,तो इसका सीमित अर्थ हो जाता हैं ‘धार्मिक विधा के अर्जन का अभिलाषी’, वह विद्यार्थी जिसने इस्लाम धर्म की शिक्षा इस्लाम के धर्मनिष्ठ मुसलमान विद्वानों (उलेमा) द्वारा चलाए जा रहे मदरसों में प्राप्त की हो।तालिबान शब्द ही यह प्रगट करता है कि यह लोग मदरसों में शिक्षित इस्लाम धर्म के उत्कृष्ट विद्वान हैं।ये अपनी पूरी शैशवस्था कुरान,हदीस और शरीयत के अध्ययन में लगा चुके है।तालिबान कच्ची आयु से ही अपने मदरसों में वर्षो तक इस्लाम धर्म के प्रसार करने वाले मुस्लिम आक्रमणकारियों/शासको को अपने धर्म के अनुकरणीय महापुरुषों के रूप में देखते हैं।उनके कृत्य और उनकी मानसिकता प्रसंशनीय धार्मिक कृत्यों के रूप में उनके मानस में रच और बस गई हैं।यह उनके आदर्श है,क्योंकि इन लोगो के आदर्श मुहम्मद साहब हैं।जिन्होंने अपनी जन्मभूमि मक्का पर विजय प्राप्त होते ही अविलम्ब काबा मंदिर में रखी मूर्ति,जो मुहम्मद के पूर्वजों द्वारा सहस्त्रों वर्षों से पूजी जा रही थी,उन देवी-देवताओं की ३६० से ऊपर मूर्तियों को वहाँ से निकलकर ध्वस्त करवा दिया था और समस्त मक्का के निवासियों को एक मास के अंदर-अंदर मुसलमान बना लिया था।
स्मरण रहे ये वही मंदिर था,जिसमें मुहम्मद के पूर्वज उसके जन्म के पहले से पूजा करते रहे थे और वह स्वयं भी उसमे उस समय नमाज पढ़ चुका था और उसकी परिक्रमा कर चुका था,जब उसमें मूर्तियां स्थापित थीं।
मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि तालिबान इस्लाम धर्म की सर्वोच्च और आधिकारिक शिक्षा प्राप्त धर्मनिष्ठ मुसलमान हैं और ऐसा कोई भी मुसलमान जान-बूझकर इस्लाम के विरुद्ध कोई कार्य नही करेगा।
गत दिनों जब तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल से मिल रहा था,तब उसी समय काबुल में तालिबानी ८ महीने की गर्भवती एक महिला पुलिस अधिकारी की उसके ही बच्चों के सामने निर्मम हत्या कर रहे थे।उससे पहले २० वर्ष के पूर्व तालिबान शासन काल मे बामियान में बुद्ध की प्रतिमाओ को तोप से उड़ा दिया था और अमेरिका में हुए ९/११ के इस्लामी जेहादियों को भी संरक्षण भी दिया था।इस बार उसने अपने दूसरे शासनकाल में अफगानिस्तान के सम्मानित शिया नेता अब्दुल अली मजारी के स्मारक को नष्ट कर दिया।अतः स्पष्ट है कि तालिबान इस्लामी उसूलो पर पाबंद है,वह कभी भी नही बदलने वाला।भारत को समझना चाहिए कि तालिबान कोई मुस्लिम जेहादी समूह नही,अपितु वह एक ग्लोबल इस्लामी जिहादी मानसिकता है।जो कुरान के गर्भ से पैदा होती है और जब तक इस गर्भ को नष्ट नही किया जायेगा,तब तक यह जिहाद ऐसे ही चलता ही रहेगा और अन्य किसी देश व समूह को निगलता रहेगा!!