विहिप पचास वर्षों की अनथक गौरवमयी यात्रा
प्रवीन गुगनानी
विश्व हिंदू परिषद उस संगठन का नाम है जो संभवत: देश में संगठन कम और परिवार अधिक के रूप में चिर परिचित है; इस देश के बहुसंख्य हिंदुओं ने इस संगठन को जहां परिवार के रूप में देखा व स्वयं को इसकी इकाई के रूप में महसूसा वहीँ इसे संगठन के रूप में समुचित गरिमामय आदर और सम्मान भी दिया। इसे परिवार इस रूप में कहा जा सकता है कि यह प्रत्येक हिंदू उत्सव, मेले,यात्रा, तीर्थ,परम्परा के अवसर पर जहां मठ, मंदिर, आश्रम, नदी, सरोवर, आदि पर हिंदू बंधुओं के साथ दूध में शक्कर की भांति मिश्रित मिला वहीँ यह संगठन करोड़ो हिंदुओं को एकात्मकता के प्रेम भरे किन्तु सख्त और निष्ठुर अनुशासनात्मक तरीके से संगठन की माला में पिरोते भी रहा। 1964 की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जो कि उस वर्ष 29 अगस्त को पड़ी थी को स्थापित इस संगठन को और इसके कार्यकर्ताओं को जन्म से लेकर आज तक इसे सदा इस बात का आत्माभिमान रहा है कि इसकी स्थापना का मूल विचार परमपूज्य माधव सदाशिव गोलवलकर के ईश्वरीय मष्तिष्क में जन्मा था। श्रीमान बाबा साहब आप्टे इसके प्रमुख सूत्रधार थे। इस संगठन की स्थापना लीला पुरुषोत्तम, योगाचार्य, नटाचार्य, माखनचोर, नंदकिशोर, मुरलीमनोहर श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन होना भी एक सुखद संयोग ही है। वस्तुत: इसकी स्थापना के बाद से आज तक इस संगठन ने जितने भी कार्य किये है या कराये है उसमें श्रीकृष्ण की आभा और चमक दृष्टिगत होती है। जन्माष्टमी में जन्म के योग का परिणाम है विहिप की प्रत्येक गतिविधि में श्रीमद्भागवतगीता के सन्देश भाव की भांति कर्ता भाव से दूरी और मुक्ति का भाव सदा विद्यमान रहता है। समाज में सब कुछ कर देना करा देना और कुछ भी न करने कराने का अद्भुत विचार इस सगठन के मूल मानस में निहित है। इसकी स्थापना पर तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने स्वयं अपना हस्ताक्षरित शुभकामना सन्देश सौपा था और विश्वास व्यक्त किया था कि यह संगठन निश्चित ही राष्ट्रनिर्माण और संस्कृति की रक्षा हेतु सिपाही सिद्ध होगा।
विश्व हिंदू परिषद उस संगठन का नाम भी है जो संभवत: देश में संगठन कम और परिवार अधिक के रूप में चिर परिचित है; इस देश के बहुसंख्य हिंदुओं ने इस संगठन को जहां परिवार के रूप में देखा व स्वयं को इसकी इकाई के रूप में महसूसा वहीँ इसे संगठन के रूप में समुचित गरिमामय आदर और सम्मान भी दिया। इसे परिवार इस रूप में कहा जा सकता है कि यह प्रत्येक हिंदू उत्सव, मेले,यात्रा, तीर्थ,परम्परा के अवसर पर जहां मठ, मंदिर, आश्रम, नदी, सरोवर, आदि पर हिंदू बंधुओं के साथ दूध में शक्कर की भांति मिश्रित मिला वहीँ यह संगठन करोड़ो हिंदुओं को एकात्मकता के प्रेम भरे किन्तु सख्त और निष्ठुर अनुशासनात्मक तरीके से संगठन की माला में पिरोते भी रहा। 1964 की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी यानि 29 अगस्त को स्थापित इस संगठन को और इसके कार्यकर्ताओं को, जन्म से लेकर आज तक इसे सदा इस बात का आत्माभिमान रहा है कि इसकी स्थापना का मूल विचार परमपूज्य माधव सदाशिव गोलवलकर के ईश्वरीय मष्तिष्क में जन्मा था। श्रीमान बाबा साहब आप्टे इसके प्रमुख स्थापक सूत्रधार थे। इस संगठन की स्थापना लीला पुरुषोत्तम, योगाचार्य, नटाचार्य, माखनचोर, नंदकिशोर, मुरलीमनोहर श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन होना भी एक सुखद संयोग ही है।
वस्तुत: इसकी स्थापना के बाद से आज तक इस संगठन ने जितने भी कार्य किये है या कराये है उसमें श्रीकृष्ण की आभा और चमक दृष्टिगत होती है। जन्माष्टमी में जन्म के योग का परिणाम है कि विहिप की प्रत्येक गतिविधि में श्रीमद्भागवतगीता के सन्देश भाव की भांति कर्ता भाव से दूरी और मुक्ति का भाव सदा विद्यमान रहता है। समाज में सब कुछ कर देना करा देना और कुछ भी न करने कराने का अद्भुत विचार इस सगठन के मूल मानस में निहित है। इसकी स्थापना पर तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने स्वयं अपना हस्ताक्षरित शुभकामना सन्देश सौपा था और विश्वास व्यक्त किया था कि यह संगठन निश्चित ही राष्ट्रनिर्माण और संस्कृति की रक्षा हेतु सिपाही सिद्ध होगा।
अपनी स्थापना के बाद से इस संगठन में राष्ट्र के हिंदू बंधुओं में सामाजिक समरसता को अविरल प्रवाहित करने में सहयोग किया वहीँ ऐसे कई आंदोलन और अभियान चलाये जिनसे समूचे राष्ट्र ही नहीं बल्कि विश्व के हर कोने में रहने वाले हिंदुओं का ललाट अमित अक्षत से जगमगा उठा। आज यह संगठन विश्व के 210 देशों में सक्रिय रूप से विद्यमान है। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विश्व हिंदू सम्मलेन, राम जानकी यात्रा,उडुपी सम्मेलन,राम ज्योती अभियान, रामशिला पूजन, बाबरी विध्वंस,राम सेतु को बचाने का अभियान, अमरनाथ श्राइन बोर्ड की भूमि का संघर्ष, कुम्भ मेलों के आयोजन में जीवंत मार्गदर्शन, न्यायलय में श्रीराम जन्मभूमि की अनथक लड़ाई, रामजन्म भूमि न्यास के माध्यम से भव्य जन्मभूमि, देश में हिंदुओं में आत्माभिमान का जागरण, हिंदू रोटी-हिंदू रोजी अभियान, करोड़ो हिंदुओं को धर्मान्तरण से बचाना, लाखो हिंदू कन्याओं की रक्षा, करोड़ो गौ वंश का रक्षण, हजारों गौ शालाओं के माध्यम से गौ सरंक्षण और भी ना जाने कितने ही अद्भुत, अविश्वसनीय किन्तु ईश्वरीय कार्य विहिप ने राष्ट्र के कोने कोने में व्याप्त अपनी 78000 समितियों के माध्यम से संपन्न कराएं है और कराता ही जा रहा है।ये सभी कार्य यूँ ही नहीं हुए इन सब कार्यों के पीछे विहिप के कल्पनाशील, सृजनशील, रचनात्मक नेतृत्व की व्यापक भूमिका रही जो कभी आप्टे जी, कभी आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक जी सिंघल, भावे जी, प्रवीण भाई तोगडिया के रूप में समय समय पर मिलता रहा। आज जब यह संगठन स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहा है तब इसकी वर्तमान संगठन क्षमता की चर्चा आवश्यक हो जाती है। परिषद के बैनर पर सदा अंकित रहने वाले वट वृक्ष की भांति ही इस संगठन के आकार, आचार और विचार को यथार्थ रूप देने हेतु परिषद के स्वास्थ्य सेवा कार्य के अंतर्गत देश में कुल 220 चिकित्सालय, 54 चल-चिकित्सालय, 185 स्थानों पर प्राथमिक सहायता सुविधा केन्द्र, 46 दवा-संकलन केंद्र, 12 पंचगव्य चिकित्सा केंद्र और अन्य 762 आरोग्य सुविधाओं के साथ कुल 1303 प्रकल्प चल रहे है। स्वावलंबन और स्वरोजगार की दिशा में,परिषद कुल 959 प्रकल्पों द्वारा सेवा कार्य कर रही है।
इनमें 88 सिलाई केंद्र, 61 कंप्युटर केंद्र, 637 महिला स्व सहायता केंद्र, 2यंत्र प्रशिक्षण केंद्र, 14 घरेलु बचत केंद्र, 1 मधुमख्खी पालन केंद्र, 18 ग्रामोद्योग, 104 गौशालाएँ, 2 पशुपालन केंद्र और अन्य 32 स्वयं सहायता केंद्रो का समावेश है। शिक्षा के क्षेत्र में विश्व् हिंदू परिषद के कुल 3266 प्रकल्प कार्यरत हैं। इनमें 146 बालवाडी, 1050 बाल संस्कार केंद्र, 593 प्राथमिक विद्यालय,143 माध्यमिक विद्यालय, 44उच्च। माध्य।विद्यालय, 14बोर्डिंग विद्यालय, बालकों एवं बालिकाओं के लिए अलग अलग 105 छात्रावास, 1 रात्रिकालीन पाठशाला, 46 कोचिंग क्लासेस, 129 वाचनालय, 10संस्कृत एवं वेद पाठशाला और अन्य कुल 985 उपक्रमों का समावेश है। सामाजिक कार्यों के अंतर्गत विश्वा हिंदू परिषद के कुल 2717 प्रकल्प चल रहे हैं, जिनमें 45अनाथालय, 29हिंदू मॅरेज ब्यूरो, 13न्याय सहायता केंद्र, 298 मंदिरों का निर्माण, 7 संस्कृत संभाषण वर्ग और साथ ही नैमित्तिक स्वरूप के उपक्रमों में 112आरोग्य शिविर, 445 वृक्षारोपण प्रकल्प, 111 पेय जल केंद्र, विविध यात्राओं में 149 सेवा केंद्र, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कार्य करने वाले 30 सेवा केंद्र चल रहे हैं।
विहिप की ही गतिविधि के रूप में ही राष्ट्र भर में 54000 एकल विद्यालय संचालित हो रहे है जिनसे साधनविहीन छोटे छोटे पहुँच विहीन ग्रामो के ग्रामीण संस्कार और शिक्षा ग्रहण कर पा रहे है।
1979 में जब मीनाक्षीपुरम में 30000 हिंदू बंधू मुसलमान बन गए तब पूरे राष्ट के हिंदू संगठनों में चिंता की लहर दौड़ गई थी। स्वयं श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस घटना क्रम के बाद डा। कर्ण सिंह को इस घटना के प्रभावों दुष्प्रभावों की देख रेख हेतु लगाया किन्तु कालान्तर में यह देखने में आया कि इंदिरा जी का यह कार्य केवल राजनैतिक लाभ की दृष्टि से चल रहा था; तब रा।स्व।संघ ने मान। अशोक जी और मान। गिरिराज जी को इस कार्य हेतु विहिप संगठन की कमान सौपी और इन दोनों महात्माओं की कार्य योजना का ही परिणाम स्वरुप विहिप ने संस्कृति रक्षा योजना, एकात्मता यज्ञ यात्रा, राम जानकी यात्रा, रामशिला पूजन, राम ज्योति अभियान, राममंदिर का शिलान्यास और फिर छह दिसम्बर को बाबरी ढांचे के ध्वंस आदि के द्वारा विश्व हिन्दू परिषद को नयी ऊंचाइयां प्रदान कीं। आज विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा, संस्कृत, सेवा कार्य, एकल विद्यालय, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, पुजारी प्रशिक्षण, मठ-मंदिर व संतों से संपर्क, संस्कृत, हिंदू हेल्पलाइन, गंगा रक्षा, धर्म यात्रा आदि आयामों के माध्यम से विश्व का सबसे प्रबल, प्रचंड व प्रखर हिन्दू संगठन बन गया है। अपनी स्थापना के बाद से इस संगठन में राष्ट्र के हिंदू बंधुओं में सामाजिक समरसता को अविरल प्रवाहित करने में सहयोग किया वहीँ ऐसे कई आंदोलन और अभियान चलाये जिनसे समूचे राष्ट्र ही नहीं बल्कि विश्व के हर कोने में रहने वाले हिंदुओं का ललाट अमित अक्षत से जगमगा उठा। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विश्व हिंदू सम्मलेन, राम जानकी यात्रा,उडुपी सम्मेलन,राम ज्योती अभियान, रामशिला पूजन, बाबरी विध्वंस,राम सेतु को बचाने का अभियान, अमरनाथ श्राइन बोर्ड की भूमि का संघर्ष, कुम्भ मेलों के आयोजन में जीवंत मार्गदर्शन, न्यायलय में श्रीराम जन्मभूमि की अनथक लड़ाई, रामजन्म भूमि न्यास के माध्यम से भव्य जन्मभूमि, देश में हिंदुओं में आत्माभिमान का जागरण, हिंदू रोटी-हिंदू रोजी अभियान, करोड़ो हिंदुओं को धर्मान्तरण से बचाना, लाखो हिंदू कन्याओं की रक्षा, करोड़ो गौ वंश का रक्षण, हजारों गौ शालाओं के माध्यम से गौ सरंक्षण और भी ना जाने कितने ही अद्भुत, अविश्वसनीय किन्तु ईश्वरीय कार्य विहिप ने राष्ट्र के कोने कोने में व्याप्त अपनी 78000 समितियों के माध्यम से संपन्न कराएं है और कराता ही जा रहा है।ये सभी कार्य यूँ ही नहीं हुए इन सब कार्यों के पीछे विहिप के कल्पनाशील, सृजनशील, रचनात्मक नेतृत्व की व्यापक भूमिका रही जो कभी आप्टे जी, कभी आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक जी सिंघल, भावे जी, प्रवीण भाई तोगडिया के रूप में समय समय पर मिलता रहा। आज जब यह संगठन स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहा है तब इसकी वर्तमान संगठन क्षमता की चर्चा आवश्यक हो जाती है। परिषद के बैनर पर सदा अंकित रहने वाले वट वृक्ष की भांति ही इस संगठन के आकार, आचार और विचार को यथार्थ रूप देने हेतु परिषद के स्वास्थ्य सेवा कार्य के अंतर्गत देश में कुल 220 चिकित्सालय, 54 चल-चिकित्सालय, 185 स्थानों पर प्राथमिक सहायता सुविधा केन्द्र, 46 दवा-संकलन केंद्र, 12 पंचगव्य चिकित्सा केंद्र और अन्य 762 आरोग्य सुविधाओं के साथ कुल 1303 प्रकल्प चल रहे है। स्वावलंबन और स्वरोजगार की दिशा में,परिषद कुल 959 प्रकल्पों द्वारा सेवा कार्य कर रही है। इनमें 88 सिलाई केंद्र, 61 कंप्युटर केंद्र, 637 महिला स्व सहायता केंद्र, 2यंत्र प्रशिक्षण केंद्र, 14 घरेलु बचत केंद्र, 1 मधुमख्खी पालन केंद्र, 18 ग्रामोद्योग, 104 गौशालाएँ, 2 पशुपालन केंद्र और अन्य 32 स्वयं सहायता केंद्रो का समावेश है। शिक्षा के क्षेत्र में विश्व् हिंदू परिषद के कुल 3266 प्रकल्प कार्यरत हैं