बालेन्दु शर्मा दाधीच
पिछले कुछ वर्षों के दौरान कंप्यूटरों की बिक्री में लगातार गिरावट आई है। इसकी वजह भी साफ है। घरों में कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले बहुत से लोग नया कंप्यूटर खरीदने की बजाए टैबलेट या स्मार्टफोन खरीद रहे हैं। कंप्यूटर पर होने वाला सामान्य कामकाज इन पर भी किया जा सकता है। लेकिन दफ़्तरों में कंप्यूटर की जगह बरकरार है। कारण यह कि औपचारिक किस्म का भारी-भरकम फाइलों वाला दफ़्तरी कामकाज टैबलेट्स या स्मार्टफोनों पर नहीं किया जा सकता। लेकिन क्या सचमुच? पिछले दो-एक सालों में एंटरप्राइज श्रेणी के टैबलेट्स तेजी से लोकप्रिय हुए हैं जिनका प्रयोग पेशेवर लोग करते हैं। माइक्रोसॉफ्ट का सरफेस प्रो 3 ऐसा ही टैबलेट है जो दफ्तरी कामकाज के लिए तेजी से पसंद किया जा रहा है। इसने एक नए बाजार की रचना की है जिसमें 11 इंच या उससे बड़े आकार के टैबलेट्स सामने आ रहे हैं। इनमें प्रोसेसर की क्षमता के साथ-साथ रैम और स्टोरेज भी सामान्य टैबलेट्स से बेहतर है। सरफेस प्रो 3 की कामयाबी को देखते हुए एप्पल भी अपने लोकप्रिय आइपैड टैबलेट का प्रोफेशनल वर्जन आइपैड प्रो जल्दी ही बाजार में ला सकता है, ऐसी अटकलें आईटी उद्योग में लगाई जा रही हैं। तो क्या भविष्य में दफ़्तरों के कंप्यूटरों की जगह ऐसे एंटरप्राइज टैबलेट ले लेंगे? पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि पर्सनल कंप्यूटर के प्रशंसकों की भी कमी नहीं है। लेकिन अगर आईडीसी नामक आईटी रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट को देखें तो कुछ-कुछ इसी तरह का संकेत मिलता है। रिपोर्ट कहती है कि 64 फीसदी प्रॉडक्शन कर्मचारी आज सिर्फ टैबलेट के जरिए काम कर रहे हैं। 38 फीसदी एक्जीक्यूटिव और 44 फीसदी बड़े अफसर भी अपना ज्यादातर काम टैबलेट पर करने लगे हैं।
इस बीच स्ट्रैटेजी एनालिटिक्स की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सन् 2019 तक एंटरप्राइज टैबलेट्स की बिक्री में 185 फीसदी की वृद्धि होगी और उनकी संख्या दो करोड़ के आसपास पहुँच जाएगी।