सितम्बर 8 को News18 पर तालिबान पर चर्चा के दौरान एक मुस्लिम नेता ने तालिबान का बचाव करते महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर जैसे ही कहा कि “मुझे नहीं मालूम” वहां मौजूद अफगानी महिलाओं ने उन्हें इतना जलील किया किया अगर शर्म होगी तो शायद ज़िंदगी में कभी ये मुस्लिम नेता और शोएब जामई तालिबान का बचाव करने किसी टीवी चैनल पर नहीं आएंगे। वैसे यह कुछ दिन पूर्व हुई चर्चा को पुनः चलाया गया था। इसी चर्चा में शहज़ाद पुणेवाला, मुस्लिम विश्लेषक ने तालिबान का समर्थन करने वालों अफ़ग़ानिस्तान जाने की सलाह दे डाली।
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की घोषण के बाद कुछ कश्मीरी नेता अब तालिबान का गुणगान कर रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला के बाद महबूबा मुफ्ती ने इस विषय पर बयान दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कुलगाम में कहा कि तालिबान हकीकत बन कर सामने आ रहा है। ऐसे में अगर वो अपनी छवि को बदलेगा तो दुनिया के लिए मिसाल बन सकता है।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती कहती हैं, “तालिबान हकीकत बनकर उभरा है। अगर वे इस बार शासन करना चाहते हैं तो शरिया जो कहता है जिसमें, औरतों, बूढे, बच्चों के अधिकारी है और किस तरह शासन करना चाहिए। अगर वे इसपर अमल करना चाहते हैं तो मुझे लगता है वे(तालिबान) दुनिया के लिए मिसाल बन सकते हैं। अगर वो उस पर अमल करेंगे तभी दुनिया के देश हैं उनके साथ कारोबार कर सकते हैं।”
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक मुफ्ती कहती हैं, “खुदा ना खास्ता अगर जो बीते सालों का वह अपना एक तरीका अपनाएँगे तो फिर सारी दुनिया के लिए ही नहीं अफगानिस्तान के लोगों के लिए भी मुश्किल हो जाएगी।”
इससे पहले तालिबान के पक्ष में फारूक अब्दुल्ला ने बयान दिया था। उन्होंने तालिबान का राग अलापते हुए कहा था, “मुझे उम्मीद है कि वे (तालिबान) इस्लामी सिद्धांतों का पालन करते हुए उस देश (अफगानिस्तान) में सुशासन देंगे और मानवाधिकारों का सम्मान भी करेंगे। उन्हें हर देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने का प्रयास भी करना चाहिए।”
महबूबा मुफ्ती और अब्दुल्ला जैसे नेताओं के मुँह से तालिबान के पक्ष में बयानबाजी सुनने के बाद सोशल मीडिया यूजर गुस्साए हुए हैं। एक यूजर लिखता है, “मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूँ कि इन्हें अफगानिस्तान भेजे ताकि तालिबानी शासन में ये चैन से जिएँ। 8 माह की गर्भवती औरत की हत्या देखने के बाद भी ये ऐसे बोल रही हैं। भगवान ऐसे लोगों से जम्मू-कश्मीर को बचाए।”