जमाने और जरूरत के साथ-साथ बदल गया कंप्यूटर भी
बालेन्दु शर्मा दाधीच
अगर आपने कभी कंप्यूटर असेंबल करवाया हो तो आप जानते होंगे कि तमाम कलपुर्जों और हिस्सों को आपस में जोडक़र सीपीयू तैयार करना कितना मुश्किल काम है। बहरहाल, दूसरी चीजों के साथ-साथ कंप्यूटर भी बदल रहा है और उसका डिजाइन भी। ताइवानी कंपनी एसर ने कंप्यूटर सीपीयू के भविष्य की झलक दी है- एसर रेवो बिल्ड के रूप में। यह एक मॉड्यूलर सीपीयू है, जिसमें अलग-अलग हिस्सों को जोडऩा या घटाना किसी टिफिन बॉक्स में खानों को जमाने जितना ही आसान है। इस सीपीयू के अलग-अलग पार्ट इस तरह बनाए गए हैं कि वे आपस में बड़े आराम से फिट हो जाते हैं। सीपीयू बॉक्स खोलने और तरह-तरह के तारों से जूझने जैसी कोई बात नहीं। मेन पीसी एक चौकोर टिफिन नुमा बॉक्स है जिसमें इंटेल सेलेरॉन या पेन्टियम प्रोसेसर, 8 जीबी तक रैम, तीन यूएसबी 3.0 पोर्ट, एक एसडी कार्ड स्लॉट, एचडीएमआई पोर्ट और डिस्प्ले पोर्ट मौजूद हैं। इस बॉक्स (ब्लॉक) के नीचे ग्राफि़क्स का बॉक्स फिट हो जाता है और ऊपर ऑडियो से संबंधित ब्लॉक, जिसमें माइक और स्पीकर की व्यवस्था है। उससे ऊपर ठीक उसी आकार में लेकिन पतली हार्ड डिस्क फिट हो जाती है और सबसे ऊपर वायरलैस पावर बैंक। इनमें से किसी भी चीज को आसानी से निकाला और बदला जा सकता है। कहने की ज़रूरत नहीं कि ऐसे सीपीयू को कहीं भी आसानी से ले जाना संभव है। जिसके पास यह होगा, उसे लैपटॉप या टैबलेट की ज़रूरत क्यों होगी? ताज्जुब की बात है कि इसकी कीमत भी बहुत कम है, यही कोई 15 हजार रुपए के आसपास। मगर अफसोस यह कि फिलहाल यह यूरोप, अफ्ऱीका और मध्य पूर्व के देशों में ही उपलब्ध है।
गूगल पर तरह-तरह के दिलचस्प डूडल (कंपनी के नाम की जगह पर लगाए जाने वाले ऐनिमेटेड चित्र) प्रदर्शित किए जाते रहे हैं। इसीलिए एक दिन जब गूगल होम पेज पर गूगल के नाम को डस्टर से मिटाता हुआ एक हाथ दिखाई दिया तो लगा कि यह भी गूगल का कोई मजेदार डूडल है। इसके तहत एक हाथ गूगल के लोगो को लगभग उसी अंदाज में मिटा देता था, जैसे बच्चे इरेजर या रबर से पेसिल की इबारत को मिटाया करते हैं। उसके बाद दूसरे तरीके से, लेकिन जाने-पहचाने रंगों में एक अन्य फॉन्ट में लिखा गूगल का नाम अवतरित होता है। पहले तो लगा कि यह गूगल का कोई नया मजाक या डूडल है। लेकिन कुछ घंटों के भीतर सबको अहसास हो गया कि गूगल ने पूरे चौदह साल बाद अपना लोगो बदल लिया है।
हालाँकि गूगल ने अपने पुराने रंग बरकरार रखे हैं लेकिन फॉन्ट पारंपरिक अखबारी फॉन्ट की बजाए स्क्रीन पर डिस्प्ले के अधिक अनुकूल माना जाने वाला चौड़ा फॉन्ट चुना है। जहाँ कहीं सिर्फ लोगो का संक्षिप्त रूप इस्तेमाल करना हो, वहाँ पर कैपिटल जी अक्षर का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले इसकी जगह स्माल जी इस्तेमाल होता था। एक और बड़ा फर्क यह है कि इस बार वाले जी में कई रंग हैं। गूगल का कहना है कि ये तरह-तरह के रंग अनेक तरह के गैजेट्स और स्क्रीनों पर काम करने की गूगल की क्षमता के प्रतीक हैं। गूगल का लोगो कोई बहुत बड़ी हलचल पैदा नहीं कर सका। आपको कैसा लगा?
अमेजॉन की किंडल डिवाइस किताबों के लिए वही काम करती है, जो संगीत के लिए आइपैड करता है। यानी छोटे से गैजेट में हजारों किताबें सहेजने और पढऩे की सुविधा। यूँ पश्चिमी देशों में किंडल बहुत अधिक लोकप्रिय हो चुका है, लेकिन भारत में फिलहाल इसे अपनी जगह बनानी बाकी है। शायद हमारे यहाँ पढऩे की आदत कम है या फिर लोगों का बजट इस उत्पाद के लिए तैयार नहीं है। किंडल पर किताबें खऱीदकर पढऩा भी बहुत से लोगों को रास नहीं आता।