🙏बुरा मानो या भला 🙏
—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
चांदपुर विधानसभा के राजनीतिक गलियारों में एक बड़ी चर्चा का विषय यह है कि यदि समाजवादी पार्टी और लोकदल का गठबंधन होता है तो क्या उस गठबंधन का टिकट पूर्व गन्नामंत्री औऱ समाजवादी के वरिष्ठ नेता स्वामी ओमवेश को मिल पायेगा?
सुना जा रहा है कि यदि सपा और लोकदल में गठबंधन होता है तो चांदपुर विधानसभा सीट लोकदल के पाले में जाना लगभग तय है। और गठबंधन की इस सीट पर कई कद्दावर नेताओं की पैनी नज़र है। परन्तु महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि टिकट किसकी झोली में जा सकता है?
यूं तो इस टिकट को लेने के लिए एक बहुत लंबी लाईन लगी है लेकिन फिलहाल सबसे अधिक चर्चाओं में पूर्व मंत्री स्वामी ओमवेश के अतिरिक्त क्षेत्र के दो बेहद कद्दावर मुस्लिम नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
उधर क्षेत्र के मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग यह लगभग स्पष्ट कर चुका है कि टिकट किसी को भी मिले लेकिन उसका वोट गठबंधन को ही जायेगा। सूत्रों के अनुसार इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि इस बार मुस्लिम समाज कुछ विशेष कारणों से बसपा से नाराज़ है, और उसे लगता है कि भाजपा को सत्ता से हटाने में समाजवादी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यदि सूत्रों के इस दावे को सच मान लिया जाए तो ऐसे में अभी तक यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि यदि गठबंधन होता है तो टिकट का सबसे मजबूत दावेदार कौन होगा।
लेकिन यहाँ महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि अगर यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में जाती है तो टिकट किसको मिलना है और किसको नहीं, इसका निर्णय कौन करेगा? केवल जयंत चौधरी या फिर अखिलेश यादव का भी इसमें कोई दख़ल होगा? प्रश्न यह भी है कि टिकट वितरण का अंतिम निर्णय यदि केवल जयंत चौधरी ही करेंगे तो क्या टिकट किसी पैराशूट से उतरे उम्मीदवार को देंगे अथवा अपनी ही पार्टी के किसी कर्मठ और वफ़ादार नेता को?
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि स्वामी ओमवेश पहले राष्ट्रीय लोकदल में ही थे लेकिन बाद में उन्होंने समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया था। स्वामी ओमवेश एकमात्र ऐसे जाट उम्मीदवार हैं जिनपर मुस्लिम समाज भी काफी हद तक भरोसा करता है।
ख़बर तो यहां तक भी है कि यदि गठबंधन किसी हिन्दू समाज के प्रत्याशी को टिकट देता है तो उससे बसपा को सीधा फायदा पहुंच सकता है। क्योंकि ऐसे में केवल बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी होगी जिसका उम्मीदवार मुस्लिम ही होगा। क्योंकि भले ही आज यह दावे किए जा रहे हों कि मुस्लिम समाज का वोट एक पार्टी विशेष को जाएगा लेकिन चुनाव से ऐनवक्त पहले क्या परिस्थिति बनेगी इस पर अभी से कुछ कहना बहुत मुश्किल है। परन्तु एक बात तय है कि बसपा की सीटें बढ़ने से अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को ही लाभ होगा।
वैसे कुल मिलाकर आम जनता और क्षेत्र के राजनीतिक पंडितों की मानें तो अभी तक स्वामी ओमवेश को ही सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। लेकिन यह राजनीति है, यहाँ जो दिखता है वह नहीं होता, और जो होता है वह दिखाई नहीं देता।
🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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