जो खुद को भारत में समझते थे असुक्षित ,उन्हें भेज दिया जाए अब अफगानिस्तान
जो नारे लगाते थे… सिर तन से जुदा… सिर तन से जुदा… उनके अंग अंग काबुल एयरपोर्ट पर हुए बम धमाकों में जुदा हो गए
-काबुल एयरपोर्ट के चारों तरफ एक नाला है… उस नाले में सीवेज का पानी रहता है…. उस गंदे पानी में अफगानिस्तान का मुसलमान कई दिनों से खड़ा है… कि हमको तालिबान से बचा लो… जैसे सुअर नाले में पड़ा रहता है… उसको नाले में ही अच्छा लगता है वैसे ही अफगानिस्तान के मुसलमान उस नाले में खड़े होकर काबुल से बाहर चले जाना ज्यादा बेहतर समझते हैं… ये है वो सुअर जैसे जिंदगी… नाले में पड़े हैं… एक हफ्ते से… ऐसी ही जिंदगी को डिजर्व करता है अफगानिस्तान का मुसलमान
- और यहां भारत में जो लोग तालिबान की हिमायत करते हैं वो सुअर भी इसी तरह नालों में हफ्तों तक पड़े रहना डिजर्व करते हैं यानी योग्यता रखते हैं । और कर्मों का फल देखिए… अफगानिस्तान के ये मुसलमान जिनको तालिबान (सच्चा और पक्का मुसलमान) अपना दुश्मन मानता है कैसी नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हो गए हैं । मतलब अफगानिस्तान को छोड़कर भागना चाहते हैं काबुल एयरपोर्ट… लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर भी मौत उनका इंतजार कर रही है
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तो जो लोग हिंदुस्तान में ये नारे लगाते हुए… रैलियां निकाल रहे थे… सिर तन से जुदा… सिर तन से जुदा… वो काबुल एयरपोर्ट से सटा हुआ वो नाला देख लें… जहां उनके अफगानी मुसलमान भाइयों के अंग अंग जुदा हो गए हैं और वो अंग अंग जुदा होकर नालों में तैर रहे हैं… तस्वीरें इतनी ज्यादा वीभत्स हैं कि लोग देख नहीं सकते हैं… किसी का सिर जुदा है… किसी का फेफड़ा तन से जुदा हो गया है… किसी की टांगें कमर से जुदा हो गई हैं… कोई फट फट कर जुदा हो गया है.. तो ये जो लोग नारे लगाते हैं कट्टरपंथ फैलाने के… सिर तन से जुदा… सिर तन से जुदा… वो इस्लामिक कट्टरपंथ का अंजाम ज़रा अपनी आंखों से देख लें।
-हमें पता है कि भारत के तालिबानी सुअरों को भी काबुल एयरपोर्ट के किनारों पर मौजूद नाला काफी अच्छा लग रहा है… हम तो मुनव्वर राणा जैसे लोगों से ये अपील करते हैं कि वो जाएं कुछ दिन अफगानिस्तान के उस नाले में गुजार कर आएं और सुअर की तरह आनंदित हों और थोड़ा सा मजा भी लें दहशत का… बम फटने वाला है !
-तालिबान से सहानुभूति रखने वाले मुनव्वर राणा की शायरियों में दिखने वाले वो मुसलमान बच्चे जो तितलियां उड़ाते हैं… वहां अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर बम धमाकों में फट रहे हैं… ये एशिया का पूरा इलाका जहां जहां इस्लाम फैला हुआ है पूरी तरह से डिइस्टेबेलाइज हो चुका है… मिडिल ईस्ट के जिन देशों में थोड़ी बहुत शांति है वो इस वजह से है कि वहां पर अमेरिका की कठपुतली सरकारे हैं…. जैसे सऊदी अरब… कतर… यूएई… ओमान… वगैरह जिस दिन यहां भी सच्चे और पक्के मुसलमानों का राज आया… उसी दिन ये सारे देश भी डिस्टेबेलाइज हो जाएंगे क्योंकि सच्चा सुन्नी मुसलमान पक्के शिया मुसलमान की जान के पीछे पड़ जाएगा और कहीं कुर्द फौज तैयारी करेगी तो कहीं पर तुर्की की आर्मी कत्लेआम मचाएगी । मजहब यही सिखाता है… खून बहाते रहना…
-अफगानिस्तान की हालत देखकर क्या आपको यकीन होता है कि महाभारत में कौरवों की मां गांधारी यहीं कंधार की रहने वाली थीं । कभी ये अफगानिस्तान… यानी गंधार भी भारतीय संस्कृति में रचा बसा बहुत प्यारा भारतीय सूबा था… यहां चारों तरफ शांति थी… औरतों को आजादी थी… उनका सम्मान था… बच्चों की सुरक्षा थी… लेकिन फिर इस्लाम का आगमन हुआ… लोगों को मार मार कर इस्लाम धर्म स्वीकार कराया गया… तलवारों के जोर पर इस्लाम फैला ये तो मुसलमान विद्वान भी मानते है और अब अफगानिस्तान की हालत बद से बदतर हो चुकी है
-अभी तो ना जाने और कितने सिर अफगानिस्तान में तन से जुदा होंगे… देखते जाइए… ये जिहाद का आलम है… अभी ना जाने और क्या क्या होगा ? हम तो बस अपने हिंदू भाइयों से ये अपील करना चाहते हैं कि खुद की सुरक्षा पर ध्यान दो… क्योंकि ये तालिबानी पूरी ताकत से अब एशिया में उत्पात मचाने वाले हैं… आपको अपनी चिंता करनी है कश्मीर से कन्याकुमारी तक…
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