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*मोदी राज से पूर्व क्या भारत सोने की चिड़िया था*

🙏बुरा मानो या भला 🙏

—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

“मोदीराज” से बस कुछ समय पूर्व भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। यह उस समय की बात है जब भारत में “बापूभक्तों” का राज था और मन को मोहने वाले श्री मनमौनजी सिंह “बादशाह” आधुनिक भाषा में प्रधानमंत्री हुआ करते थे। यह उन दिनों की बात है जब इस देश में दूध और शहद की नदियां बहा करती थीं। पेट्रोल और डीजल घर के नल की टोंटियों में से निकला करते थे। लोग पानी की जगह पेट्रोल और डीजल पिया करते थे। उस समय टमाटर 2 आने प्रति किलो और प्याज़ 3 आने प्रति धड़ी मिला करती थी। किसान बहुत खुशहाल था, उसके खेतों में सोने की बालियां उगा करती थीं, उसको मुफ़्त बिजली और पानी मिला करता था। खाद की कोई समस्या ही नहीं थी क्योंकि हर किसान को PMO ऑफिस से खाद की सीधी सप्लाई होती थी। हर इंसान को 72 अप्सरायें मिलने का प्रावधान था, प्रत्येक अप्सरा जन्नत की हूर हुआ करती थी। सरकारी अफसर और कर्मचारी बेहद ईमानदार और निष्पक्ष हुआ करते थे। उस समय पूरी तरह से मनमौजी राज था, जिसमें कोई भी अपने घरों में ताले नहीं लगाता था। स्त्रियां देवी की तरह पूजी जाती थीं, प्रतिदिन सभी बापूवादी लोग स्त्रियों का सादर-सत्कार किया करते थे। देश की स्त्रियों की बात तो छोड़ दीजिए विदेशों की स्त्रियों का भी बहुत सम्मान और सत्कार हुआ करता था। इटली की एक सुंदर स्त्री श्रीमती एंटोनिया चाइनो ने उस समय का वर्णन करते हुए लिखा है कि श्री मनमौजी जी बिना उनकी ईच्छा के एक कदम भी नहीं चलते थे और कोई भी निर्णय उनकी ईच्छा के विरुद्ध नहीं हो सकता था। वह सभी निर्णयों को स्वयं ही तय करती थीं। और तो और उनका लाडला पप्पू भी कभी-कभी मनमौनजी सिंह का लिखा हुआ फाड़ देता था परन्तु किसी की उसे रोकने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि उस समय भारत में सभी लोग पप्पू भैया से बहुत प्रेम करते थे।
रिश्वतखोरी, मंहगाई और बेरोजगारी नामक डायनों का श्री मनमौजी ने समूल विनाश कर दिया था। और साथ ही साथ भ्रष्टाचार, आतंकवाद और साम्प्रदायिक दंगा नामक राक्षस श्री मनमौजी से युद्ध करते हुए मारे गए थे और सम्पूर्ण भारत ने चैन की सांस ली थी।
विदेशी आक्रान्ताओं का भी बहुत सम्मान हुआ करता था, विदेशी धर्मों का खूब बोलबाला था। धीरे-धीरे सभी भारतीय जनमानस विदेशी संस्कृति, सभ्यता और धर्मों को अपनाने लगे थे। गंगा-जमुनी तहज़ीब का जलस्रोत फूटता था, चारों ओर भाईचारे की शहनाइयां गूंजती थीं।

भारत में सबकुछ बहुत बढ़िया चल रहा था, स्वर्ग की अप्सराओं द्वारा फूलों की वर्षा हो रही थी और सभी देवी-देवता, किन्नर, और गन्धर्व महाराज मनमौनजी का स्तुतिगान कर रहे थे। इसी बीच न जाने कहाँ से एक “धीरेंद्र मोदी” नामक असुर ने भारत पर हमला कर दिया और उसने इस देश को कंगाल बना दिया। साम्प्रदायिक दंगे, हिंसा, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, महंगाई, बेरोजगारी और आतंकवाद नामक असुर और राक्षस पुनः जीवित हो गए और जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगी। पेट्रोल-डीजल नामक देव पदार्थ धरती से मानो विलुप्त हो गए और जनता खून के आंसू रो रही है।
क्या “मनमौनजी” पुनः अवतार लेंगे? क्या कोई बापूजी चरखा चलाकर हमें इस “असुर राज” से मुक्ति दिला पाएंगे। बस यही प्रश्न सभी के मन-मस्तिष्क में कौंध रहा है।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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