*जब ब्राह्मणों पर कथित अत्याचार हो रहे थे, तो क्या सतीश मिश्र बांसुरी बजा रहे थे*
🙏बुरा मानो या भला 🙏
—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
कन्नौज आए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश मिश्र ने कहा कि बसपा की सरकार बनी तो बिकरू कांड की फिर से जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अविश्वसनीय है। उन्होंने भाजपा पर धर्म के नाम पर झूठ बोलने व ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाया है। बिकरू कांड का हवाला देते हुए कहा कि उसके बाद से ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न लगातार बढ़ा है।
बहुजन समाज पार्टी को बहुत जल्दी ब्राह्मणों और हिन्दू धर्म की चिंता सताने लगी है। अगर सतीश मिश्र जी को ब्राह्मणों की इतनी चिंता है तो वह बताएं कि 2022 विधानसभा चुनाव में वह उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों को कितने टिकट बांट रहे हैं? ब्राह्मणों के नाम पर अरबों-खरबों की संपत्ति बनाने वाले कथित ब्राह्मण नेता यह भी बताएं कि इस बार हाथी पर कितने ब्राह्मणों को बैठाया जायेगा? एक बड़ा सवाल यह है कि इस बार कौन-कौन से ब्राह्मण नेता बिना चप्पलें उतारे बहन कुमारी मायावती जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त कर पाएंगे??
सतीश चंद्र मिश्र जी विकास दुबे को “ब्राह्मणत्व का चेहरा” बनाने पर तुले हुए हैं, लेकिन वह यह भी बताने का कष्ट करें कि इस अपराधी विकास दूबे ने कितने ब्राह्मणों का कत्लेआम किया था? अपराधी विकास दूबे के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने और उसका महिमामंडन करने वाले कथित “ब्राह्मण नेता” जरा यह भी बताएं कि वह “बिकरु कांड” में DSP देवेंद्र मिश्रा की शहादत की चर्चा क्यों नहीं करते? क्या देवेंद्र मिश्र ब्राह्मण नहीं थे?
एक दुर्दांत अपराधी औऱ क़ातिल को ब्राह्मण समाज का नायक बनाना क्या केवल “राजनीतिक प्रोपेगैंडा” नहीं माना जाना चाहिए??
स्वयंभू ब्राह्मण नेता यह भी बताने का कष्ट करें कि अब ठीक चुनाव के समय ही उन्हें ब्राह्मण समाज पर होने वाले अत्याचार क्यों दिखाई दे रहे हैं? जब ब्राह्मण समाज के लोगों का कथित एनकाउंटर हो रहा था तब बसपा और सपा ने कोई आंदोलन क्यों नहीं किया था? विशेषकर सपा को ब्राह्मण वोट दिलवाने की वक़ालत करने वाले बताएं कि एनआरसी-सीएए के पक्ष में कमीजें उतारकर नंग प्रदर्शन करने वाले सपाईयों ने योगी सरकार की कथित “ब्राह्मण विरोधी गतिविधियों” का विरोध करने के लिए कितने आंदोलन/सत्याग्रह किये हैं?
पिछले चार-साढ़े चार सालों तक अगर ब्राह्मण समाज पर जुल्मों-सितम हो रहे थे तो सपा-बसपाई मुहं में दही जमाये क्यों बैठे थे। क्या इसलिए कि चुनाव से ठीक पहले “ब्राह्मणों की लाशों” पर राजनीति की जा सके. उत्तरप्रदेश का सुधि ब्राह्मण मतदाता कथित ब्राह्मण नेताओं से इस प्रश्न का उत्तर चाहता है कि जब उत्तरप्रदेश में ब्राह्मण समाज तथाकथित उत्पीड़न और अपमान की आग में जल रहा था, तब विपक्षी दलों के हिमायती कथित ब्राह्मण नेता क्या बांसुरी बजा रहे थे?
🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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