*अश्विनी उपाध्याय ने झाड़ा पल्ला/मेरी सलाह ठुकराई थी* *प्रीत,आजाद विनोद, सुशील तिवारी की होनी चाहिए रिहाई*
आचार्य विष्णुगुप्त
अश्विनी उपाध्याय के खिलाफ आज जबरदस्त आक्रोश है। सोशल मीडिया पर अश्वनी उपाध्याय के खिलाफ बहुत सारी बातें हो रही है, क्योंकि अश्वनी उपाध्याय गिरफ्तार राष्ट्रभक्तों को अपने हालातों पर छोड़ दिया, यानी कि पल्ला झाड़ लिया। कह दिया कि मैं इन लोगों को नहीं जानता। मैं इन लोगों की तथाकथित विरोधी नारों से हमारी सहमति नहीं थी। गिरफ्तार रश्टभक्तो का मुकदमा भी अश्विनी उपाध्याय ने लड़ने से मना कर दिया। अश्वनी उपाध्याय एक वकील है, उन्हें जमानत मिल गई पर पूरे आंदोलन की रूपरेखा बनाने वाले प्रीत भाई,आजाद विनोद और सुशील तिवारी जैसे राष्ट्रभक्त जेलों में बंद है, उनकी रिहाई नहीं हो रही है और तारीख पर तारीख मिल रहीहै। मदद के हाथ उठ नहीं रहे हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने इस आंदोलन के माध्यम से नाम कमाया , शोहरत कमाई, रातो रात बड़े वकील हो गए। देशभर में उनका नाम हो गया। देशभर में उनके समर्थक तैयार हो गए । पर अश्वनी उपाध्याय के लिए आंदोलन के लिए लोगों को जोड़ने वाले, सोशल मीडिया पर अभियान चलाने वाले लोग आज अपने आप को ठगे महसूस कर रहे हैं, हाशिए पर खड़े महसूस कर रहे हैं। अश्विनी उपाध्याय ने सभी से यह वादा किया था कि उनका यह आंदोलन लंबे समय तक चलेगा और आंदोलन में आने वाली परेशानियां को दूर करेंगे, आंदोलनकारी की रक्षा करेंगे। अश्वनी उपाध्याय की बातों में आकर भाई प्रीत , आजाद विनोद, सुशील तिवारी जैसे हजारों युवकों ने आंदोलन की रूपरेखा बनाई और आंदोलन को सफल बनाएं । इनका योगदान नहीं होता तो फिर इतनी भीड़ भी नहीं जुटती और अश्वनी उपाध्याय का सपना और रणनीति भी पूरी नहीं होती।
मैंने भाई प्रीत को आगाह किया था, मना किया था और अश्विनी उपाध्याय के साथ किसी भी प्रकार का अभियान चलाने से मना किया था । मैंने कहा था कि अश्वनी उपाध्याय ना तो हिंदुत्व के चेहरे हैं और ना हिंदू से उनका कोई लगाव रहा है, ना ही हिंदुत्व के लिए लड़ने वाले जाने जाते हैं। हिंदुत्व उनका कोई विचार नहीं रहा है। वे किसी अन्य विचार के प्रतिनिधि रहे हैं। इसलिए सोच विचार कर अश्वनी उपाध्याय के अभियान में शामिल होना। मेरी बात इन लोगों ने नहीं मानी उसका दुष्परिणाम सामने है।
नरेंद्र मोदी सत्ता में हजारों लाखों लोगों ने फायदे के लिए अपनी निष्ठा बदली है ,अपने विचार बदले हैं । कल तक घोर हिंदू विरोधी थे, राष्ट्रभक्ति से कोई मतलब नहीं था वैसे लोग रातो रात हिंदुत्व के समर्थक और राष्ट्रभक्त बन गए। इसके पीछे कारण सीधे तौर पर मोदी सत्ता का लाभ उठाने ,अपनी छवि को चमकाने रहा है।
राष्ट्रभक्त इन विरोधियों को पहचानने में भूल कर जाते हैं । भविष्य की समस्याओं के प्रति उदासीन हो जाते हैं। सबक यही है कि रातों-रात अपनी निष्ठा बदलने वाले लोगों से सावधान होना चाहिए।
फिर भी मेरी सहानुभूति भाई प्रीत , आजाद विनोद, सुशील तिवारी जैसे दर्जनों राष्ट्र भक्तों के प्रति है जो अभी जेलों में बंद है, जिनका उत्पीड़न हो रहा है, जिन्हें जमानत नहीं मिल रही है। इनकी तत्काल रिहाई होनी चाहिए और इनकी हर संभव मदद होनी चाहिए।