मैने दुबई भ्रमण के दौरान होटलों रेस्तरां नाचघरों में लड़कियां को काम करते हुए देखा, जब भी मैंने उनसे बात करने के प्रयास किया, वह सहम जाती थी रात को बाहर जाते समय उनके साथ 1-2 नीग्रो होते थे मैने कई बार प्रयास किया ,फिर मैंने एक पठान टैक्सी ड्राईवर की मदद से नीग्रो को कुछ पैसे देकर उन लड़कियों से बात करने पर राजी किया
और हमारी भेट 1 भारतीय रेस्टोरेंट सागर रत्ना में हुई। सभी लड़कियां भारत के अलग अलग भागों से अच्छे हिन्दू परिवारों से है और कुछ एक ने तो अपने परिवार से विद्रोह करके अपने ही घर से चोरी करके गहने-कैश लेकर अपने मुस्लिम प्रेमी के साथ भाग कर विवाह किया था और कुछ महीने प्रेमी के साथ बिताने के बाद दुबई घूमने आयी थी, और मुस्लिम लड़को ने उनके साथ ऐश करने के बाद उन्हें बेच दिया था। कुछ ने बताया कि उनका मुस्लिम पति दुबई में ही जॉब करता है और साथ रखने के लिए आई थी पर यहाँ उसे बेच दिया गया
उनमें से 3 लड़कियां तो ऐसी थी जिन्हे 1 ही मुस्लिम लड़के ने अलग अलग स्थानों पर विवाह कर के यहाँ बेचा था,उन लड़कियों ने बताया कि हमारे अलावा भी बहुत सी लड़कियां है जो अलग अलग होटलों में नाच घरों में नरक भोग रही है। अधिकतर लड़कियां ने बताया कि उन्होंने बहुत बड़ा अपराध किया। और वे सब उसकी सजा के रूप में नरक भोग रही है।
मैने उन्हें वापिस भारत अपने घर लौटने के लिए कहा तो सब ने मना कर दिया ,अब उनके लिए भारत में कुछ नहीं है ,हम न तो परिवार और समाज को अपना मुँह दिखाने लायक रही और न हमारे पास कोई दूसरा सोर्स जिससे अपने रहने खाने की व्यवस्था कर सके ,अब तो इसी नरक में रहना है और फिर भगवान् जाने क्या होगा जब आयु ढल जाएगी।
लगभग सभी लड़कियो ने अपनी पढाई भी पूरी नहीं की थी , स्कूल- कॉलेज की पढाई के दौरान ही प्यार हुआ और मुस्लिम लड़को से विवाह किया था , वैसे तो पूरे भारत से लड़कियां इन इस्लामिक जिहादियों के जाल में फसंती है पर सबसे अधिक उत्तराखंड से आई हुई थी। 1 लड़की तो दिल्ली के पंजाबी सरकारी अफसर की बेटी थी ,और सब लड़कियां हिन्दू दलित समाज से ही थी ,वैसे नाम के लिए तो ये सभी लड़कियां होटल-रैस्टोरेंट बार में काम करती थी, पर वहाँ आने वाले ग्राहकों को खुश रखने के लिए देह व्यापार करने पर भी बाध्य थी।
मेरे बहुत अधिक आग्रह करने पर दिल्ली की २ लड़की अपने परिवार का पता और फोन नंबर देने पर राजी हुई। मेने उन्हें समझाया था कि मैं अपनी और से प्रयास करूँगा कि आपका परिवार आपको स्वीकार करें और आप इस नर्क से निकल कर वापिस भारत अपने परिवारों के साथ रहें। में दिल्ली में उनके परिवारों से मिलने के लिए गया। और उनकी बेटी की स्थति से अवगत कराया पर दोनों के परिवार नहीं चाहते हैं कि लड़कियां वापिस आएं। वे अब उनके लिए मर गई है। निसंदेह आत्मा तो मर ही गई है। पर देह जीवित है।
मेरा अपने हिन्दू-सिक्ख भाई बहनों से निवेदन है कि अपने घरों के बच्चों के आसपास मंडराते हुए ऐसे मनचलों को देंखे तो खुद भी सचेत हो जायें और बच्चों को भी जागरूक करें ,ताकि हमारी बेटियां इन जिहादियों के जाल में न फंसे
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।