गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहे 21 दिवसीय चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में 14 अगस्त को संपन्न हुए स्वाधीनता महोत्सव के अवसर पर बोलते हुए डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि स्वतंत्रता का यह महोत्सव तब तक बेमानी है तब तक महर्षि दयानंद के सपनों का भारत हमें प्राप्त नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि 8300000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के लिए स्वामी दयानंद जी ने 1857 की क्रांति का शुभारंभ किया था। उस भारत में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, बर्मा भी सम्मिलित हैं।जो किसी काल विशेष में हमसे अलग हो गए। डॉक्टर आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद ने भारत में क्रांति की शुरुआत कर अनेकों योद्धाओं को क्रांति के माध्यम से देश को आजाद कराने के लिए प्रेरित किया।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि यहां पर करोड़ों लोगों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिये हैं। क्योंकि भारत की स्वाधीनता का आंदोलन सदियों तक चला था । जिस दिन पहला आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम भारत पर आक्रमण करने के लिए आया उसी दिन से भारत वासियों ने अपने स्वाधीनता की रक्षा के लिए बलिदान देने की परंपरा आरंभ कर दी थी । उस समय से लेकर 1947 तक जितने लोगों ने अपना बलिदान दिया या घर परिवार खोए उन सबको यदि सम्मिलित किया जाएगा तो निश्चित रूप से यह संख्या करोड़ों में पहुंच जाएगी।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि भारत के विषय में यह मान्यता सर्वथा निर्मूल है कि यहां पर मुगलों ने 800 साल शासन किया। क्योंकि सच यह है कि मुगलों का वास्तविक शासन 1556 से 1707 तक भारत के कुछ सीमित क्षेत्र पर रहा, जो लगभग डेढ़ सौ वर्ष का होता है। जबकि उससे पूर्व तुर्कों का शासन लगभग 320 वर्ष का है। इस काल में भी हमारे देश के अनेकों क्षेत्र ऐसे रहे जो इन विदेशी आक्रमणकारियों के शासन से अपने आप को स्वतंत्र बनाए रखें रखने में सफल हुए। डॉक्टर आर्य ने कहा कि निराशाजनक इतिहास को पढ़ना लाभप्रद नहीं है ।अपने गौरव बोध कराने वाले इतिहास को पढ़ना और पढ़ाना समय की आवश्यकता है।
Categories