चित्त की वृत्तियों की विकृति आज संपूर्ण मानवता को परेशान कर रही है। यही कारण है कि अपनी समस्याओं के समाधान के लिए संपूर्ण विश्व योग की शरण में आकर भारत को नमन कर रहा है। धीरे-धीरे संसार के लोग अब यह समझ रहे हैं कि संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक शक्तियों का विकास केवल योग से ही संभव है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग का निरूपण हमारे लिए किया है। जिसमें यम, नियम ,आसन ,प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ध्यान और समाधि सम्मिलित हैं। योग की इसी पगडंडी को पकड़कर मनुष्य मोक्ष के राजभवन तक पहुंच सकता है। इसी विषय को अपनी सरल भाषा में विदुषी लेखिका सुनिता बापना जी ने इस पुस्तक के माध्यम से हम सबके समक्ष प्रस्तुत किया है।
पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया गया है। बहुत ही सहज और सरल ढंग से आधुनिक विज्ञान के साथ अपने प्राचीन अध्यात्म विज्ञान को बड़ी सफलता के साथ लेखिका समन्वित करने में सफल रही हैं। इस पुस्तक में आहार पर भी विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है । आज के विश्व समाज की दुरावस्था का एक कारण यह भी है कि लोग आहार पर विशेष ध्यान नहीं देते। पुस्तक के अध्ययन से इस दिशा में हमारा बहुत महत्वपूर्ण मार्गदर्शन होना संभव है। कुल 6 भागों में पुस्तक को विभाजित किया गया है। जिसमें अलग-अलग विषयों को बड़ी स्पष्टता से व्याख्यायित किया गया है।
पुस्तक के विषय में सच यह है कि इसका न केवल प्रत्येक अध्याय पढ़ने योग्य है बल्कि एक एक प्रश्न और एक एक शब्द पढ़ने योग्य है।
पुस्तक के प्रकाशक ग्रंथ विकास सी -37 बर्फखाना राजा पार्क जयपुर हैं। पुस्तक प्राप्ति के लिए 0141 – 2322382 व 2310785 पर संपर्क किया जा सकता है। पुस्तक की कुल पृष्ठ संख्या 199 है और पुस्तक का मूल्य ₹350 है।
- डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत