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विशेष संपादकीय

प्रधानमंत्री मोदी का सराहनीय राजधर्म और देश के मतदाता का कर्त्तव्य


बहुत ही प्रसन्नता का विषय  है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने  9:75 करोड़ किसान भाइयों को ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ की नौवीं की किश्त जारी की है । इससे उनका वह गुण प्रकट होता है जो भारत में वैदिक परंपरा में किसी भी शासक के लिए अनिवार्य माना गया है अर्थात वह जनहितकारी और लोकोपकारी नीतियों में विश्वास रखने वाले प्रधानमंत्री हैं । इसमें उनके विरोधी चाहे कितनी ही राजनीति खोजें परंतु उन्होंने प्रधानमंत्री के पद पर रहकर अपने पुनीत दायित्व का ही निर्वाह किया है। इसी को भारतीय राजनीतिक परंपरा में ‘राजधर्म’ कहा जाता है। जिसके लिए वह प्रशंसा और बधाई के पात्र हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा 9. 75 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के खाते में 19,500 करोड रुपए भेजे गये हैं।
प्रधानमंत्री की देश के किसानों के प्रति इस प्रकार की संवेदनशीलता से अब उम्मीद की जाती है कि इससे निश्चय ही किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।  प्रधानमंत्री का यह निर्णय तब और भी अधिक प्रशंसनीय और अभिनंदनीय हो जाता है जब देश कोरोना संकट से जूझ रहा है और विकास कार्यों की दरकार कर रहा है। परंतु उन सबको रोक कर अपने देश के किसानों की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने प्राथमिकता दी।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से हर  वर्ष प्रत्येक पात्र किसान को ₹6000 प्रत्यक्ष तौर पर उसके खाते में सरकार की ओर से भेजे जाते हैं।प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से 1.38 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि किसान परिवारों के खातों में प्रत्यक्ष तौर पर जमा कराई जा चुकी है। इस विषय में उत्तर प्रदेश सरकार भी  मुख्यमंत्री योगी जी के नेतृत्व में किसानों के हित में अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम आयोजित तथा क्रियांवित करके किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए प्रयासरत है।फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड ,किसान ऋण मोचन योजना, एम एस पी पर किसानों से खाद्यान्न की खरीद, गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान, खाद बीज एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान, मुफ्त राशन, कृषक दुर्घटना कल्याण योजना आदि अनेक योजनाओं से प्रदेश के किसानों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने के भगीरथ प्रयास माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हो रहे हैं। जिससे लगता है कि प्रदेश की योगी सरकार भी किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए कृत संकल्प है। उनके विरोधी चाहे इसमें कितनी ही राजनीति खोजें परंतु वह भी अपने राजधर्म का सम्यक निर्वाह कर रहे हैं।
किसानों को खाद की उचित उपलब्धता बनी रहे और बिजली की आपूर्ति निरंतर और निर्बाध प्राप्त होती रहे ।जिससे सिंचाई के लिए समय पर पानी मिलता रहे। अन्य अनेक अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरी करने की भी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश की संकल्प शक्ति को सराहनीय ही कहा जाएगा।उत्तर प्रदेश में 2 . 48 करोड किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से 32500 करोड रुपए का भुगतान संभव है।  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 22.08 करोड़ रुपए से 25,60,000 से अधिक किसानों को क्षतिपूर्ति की जा रही है।
45.44 लाख से अधिक किसानों को 1.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है।
4289 लाख से अधिक गन्ने की पेराई, 4 75.69 लाख टर्न चीनी का अधिक उत्पादन, 625 लाख मीट्रिक टन सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2020 _21, 4. 34 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न की सरकारी खरीद करके किसानों को 78.000 करोड़ रुपए का भुगतान, 66.8 4 लाख मैट्रिक टन धान की सरकारी खरीद, लाख मैट्रिक टन से भी ज्यादा गेहूं की रिकॉर्ड सरकारी खरीद, 3 लाख 92 हजारकरोड़ रुपए का किसानों को फसली ऋण भुगतान, 36000 करोड़ रुपए से 600000 किसानों का ऋण मोचन, 3 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना में कोटेदार बटाईदारों को भी लाभ,सब मिशन फॉर एग्रीकल्चरल योजना अंतर्गत ₹500000 तक के कृषि यंत्रों के लिए 80बपरसेंट अग्रिम भुगतान, मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करना उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषित किया है।
यदि यह सभी आंकड़े जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं, सत्य हैं तो अवश्य ही प्रशंसनीय हैं। जिनकी सत्यता एवं विश्वसनीयता पर अभी प्रश्नचिन्ह लगाने की आवश्यकता नहीं है देखना यह होगा कि यह वास्तव में धरातल पर उतरते हैं अथवा मात्र आगामी चुनावों के दृष्टिगत चुनाव जीतने के दृष्टिकोण से घोषणाओं तक सीमित है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 27 आधुनिक किसान मंडी  भी विकसित किए जाने की योजना है । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह भी घोषित किया गया है कि गन्ना मूल्य के भुगतान में उसने इतिहास रचा है तथा बंद चीनी मिलों को उन्हें शुरू किया गया है
जिससे गन्ना किसानों को लाभ होना निश्चित है। यह भी सरकार की घोषणा है कि कोरोना कर्फ्यू में एक भी चीनी मिल बंद नहीं हुई तथा किसानों के लिए 16 घंटे टोल फ्री कॉल सेंटर चालू है।
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार के द्वारा प्रयास किया जा रहा है।कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की पहल की गई है।
फसल बीमा योजना सप्ताह का आयोजन करना भी उत्तर प्रदेश सरकार की उपलब्धि बताई जा रही है।सोलर पंप लगाने पर 70 फ़ीसदी अनुदान भी दिया जाना उत्तर प्रदेश सरकार की योजना है। मौसम के प्रतिकूल होने के बावजूद सरकार ने किसानों को उचित मूल्य दिया जाना भी बताया है।
निश्चित रूप से यह सभी योजनाएं, घोषणाएं या वायदे किसान को लाभ पहुंचाने वाले होंगे तथा किसान की आर्थिक समृद्धि में वृद्धि करने वाली योजनाएं हो सकती हैं।
उत्तर प्रदेश में अगले 5 या 6 महीने के अंदर विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। उपरोक्त सभी प्रस्ताव योजनाएं एवं घोषणाएं यथार्थ में धरातल पर उतारने चाहिए यह मात्र घोषणाओं तक सीमित ना रह जाए। वास्तव में प्रदेश और देश का किसान बहुत ही दयनीय स्थिति से गुजर रहा है।
किसानों को आंदोलन करने पड़ रहे हैं। आंदोलनों को पूर्णतया उचित नहीं ठहराया जा सकता। परंतु यदि इन आंदोलनों की ओर किसानों का रुझान है तो उनका यह रुझान इतना संदेश तो जरूर दे रहा है  कि प्रदेश और देश में किसानों की दुर्दशा है।
लेकिन इतना करने के बावजूद भी किसानों की दुर्दशा में कोई परिवर्तन आएगा उनकी दशा और दिशा में सुधार आएगा, इस संबंध में कहना अभी जल्दबाजी होगी।
किसानों के लिए बहुत कुछ किया जाना अभी शेष है।
वास्तव में किसानों को एमएसपी का लाभ धरातल पर नहीं मिला है। यह सत्य है और यह तथ्य है। माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में जो कार्यक्रम , योजनाएं चलाई जा रही हैं उनका सीधा लाभ अभी किसानों को नहीं मिला है। यदि हम एमएसपी की बात करें तो एमएसपी का लाभ अभी तक किसानों को नहीं मिल पाया है। आंदोलन का सबसे बड़ा एक कारण यह भी है, जिस पर माननीय प्रधानमंत्री को और माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को अवश्य ही सोचना होगा ।ब्यूरोक्रेसी अथवा अफसरशाही चाहे कितनी भी सकारात्मक रिपोर्ट दे रही हो लेकिन किसान की हालत बहुत ही बद से बदतर है।
स्मरणीय है कि ‘फीलगुड’ और ‘शाइनिंग इंडिया’ का नारा जो  ब्यूरोक्रेसी अथवा तत्कालीन राजनेताओं द्वारा पूर्व में दिया गया था वह फेल हो चुका था।और भाजपा पुनः सत्ता में नहीं आ पाई थी।इसलिए भाजपा को समय रहते हुए समझना अच्छा होगा क्योंकि राष्ट्रहित में भाजपा को सत्ता में रहना चाहिए , ऐसी बहुमत की मान्यता है। लेकिन इसको लेकर भाजपा किसी भूल में न रह जाए।
किसान की हालत को और आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए यदि उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को मुफ्त बिजली देने और उनके बकाया बिजली बिलों को माफ करने की घोषणा करती है ,तो उत्तर प्रदेश के किसानों को बहुत बड़े स्तर पर लाभ होगा और उसकी दशा और दिशा सुधर सकती है। ऐसा प्रदेश के सत्ता में बैठे अनेक राजनेताओं का भी विचार व्यक्तिगत वार्ताओं में सुनने को मिलता है। लेकिन हम उनके नाम यहाँ बताना उचित नहीं समझते हैं।

ऐसा भी बताया गया है कि उनकी आवाज माननीय प्रधानमंत्री अथवा माननीय मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं पाती है ।किसानों की बात को उचित रूप से उठा अथवा कह नहीं पाते हैं। विडंबना यह है कि जब सत्ता में बैठे लोग इस प्रकार की बातें करते हों तो उससे एक निराशाजनक एवं नकारात्मक  वातावरण की उत्पत्ति होती है ।इसलिए इन बातों को भी अर्थात इस नकारात्मक वातावरण को भी समाप्त करने के लिए किसानों को बिजली मुफ्त दिलाई जाए।  उनके बिजली के बिल माफ किए जाने चाहिए। तभी उत्तर प्रदेश में भाजपा को किसानों की ओर से अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त हो सकेगा और जीत सुनिश्चित हो पाएगी अन्यथा अभी  निश्चित नहीं कहा जा सकता कि उत्तर प्रदेश में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा ?  परंतु समय रहते भाजपा को अभी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
आगामी चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए बसपा, सपा जिस तरीके से ब्राह्मण समाज के मतदाता को लुभाने का प्रयास कर रही है ,उससे ऐसा आभास होता है कि ब्राह्मण मतदाता इस बार असमंजस की स्थिति में है। वह भाजपा को कितना समर्थन देगा ? –  यह भविष्य ही बताएगा। कानपुर के बिकरू कांड को लेकर ब्राह्मण मतदाता के दिमाग को मथने का प्रयास सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा है । यद्यपि इसमें ब्राह्मण अपराधी द्वारा अधिकतर ब्राह्मणों की हत्या की गई , यह भी सर्वविदित है। परंतु इसमें वह राजनीतिक दल अधिक सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं जिनकी पृष्ठभूमि अपराधिक रही है । क्योंकि स्वाभाविक रूप से अपराधियों का अपराधियों के प्रति प्रेम ,सहयोगात्मक रुख एवं सहानुभूति पूर्ण रवैया होता है।
लेकिन इस विषय में भाजपा के कर्णधार मौन साधे हुए हैं।
उपरोक्त के अतिरिक्त अनुसूचित जाति, जनजाति के मतदाता, अन्य पिछड़ा वर्ग के किसान से संबंधित परिवार के लोग, यादव समाज के  मतदाता, मुसलमान मतदाता भाजपा के प्रति कितना समर्थन रखते हैं, यह भाजपा के कर्णधारो को अच्छी प्रकार से ज्ञात है ।इस पर कहना अनुचित होगा।
राजस्थान से यादव समाज के श्री भूपेंद्र यादव को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने से उत्तर प्रदेश का यादव कितना समर्थन दे पाएगा और श्री भूपेंद्र यादव कितना प्रभावित कर पाएंगे ? -यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। ऐसा हमारा आकलन के उपरांत सुझाव है।
क्योंकि हम  ‘नेको बद हुजूर को समझाएं देते हैं।’  हमारा मानना है कि देश प्रदेश के मतदाताओं को भी इस समय अपनी राष्ट्रीय सोच बनानी चाहिए। क्षेत्रीय मुद्दों को भुलाकर राष्ट्रीय संदर्भ में सोचते हुए अपने मत का उपयोग करने की प्रवृत्ति को अपनाना चाहिए । तभी हम यह कह सकेंगे कि भारत में वास्तव में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है । यदि भाषा ,क्षेत्र, संप्रदाय ,जाति आदि के आधार पर हम विभाजित मानसिकता का परिचय देते हुए खंडित जनादेश की प्रवृत्ति को भूलेंगे नहीं तो निश्चय ही इसके देश हित में घातक परिणाम आएंगे । पूर्व में भी हम अपनी मूर्खताओं और अपनी फूट की प्रवृत्ति के कारण गुलाम हुए हैं। फिर हमें ऐसी गुलामी की कठोर यातनाएं झेलनी ना पड़े और अपना अस्तित्व ना गंवाना पड़ जाए इसके लिए भी देश के जागरूक मतदाताओं को अपनी परिपक्वता का परिचय देना चाहिए। छोटी मोटी चीजों की सजा किसी भी शासक को बड़े संदर्भ और अर्थ में देना राजनीतिक अन्याय और भूल होगी।
हमें अपेक्षा करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी का राज धर्म देश में और भी अधिक सुंदर स्वरूप में फूले फलेगा  और देश का मतदाता भी अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए अपनी परिपक्व राजनीतिक सोच का परिचय देगा।

देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
चेयरमैन : उगता भारत

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