कम्युनिस्टों ने नीरज चोपड़ा की संघी,मोदीभक्त बताकर उड़ाई खिल्ली* *कम्युनिस्टों को हिंदुत्व से होती है खुजली , इनके सिर पर नाचती है मुस्लिम परस्ती*

राष्ट्र चिंतन


आचार्य श्री विष्णुगुप्त


नीरज का अर्थ कमल होता है । कमल दो प्रमुख कारणों से प्रेरक है, विख्यात है। एक, कमल भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह है। कमल चुनाव चिन्ह की कसौटी पर ही भाजपा सत्ता में आई, भाजपा आज पूरी दुनिया में सबसे बड़ी पार्टी है, दूसरे में कमल सनातन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला है। सनातन देवताओं के लिए कमल का फूल पसंदीदा है।
कीचड़ में ही कमल खिलता है। भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा कमल ही है। ठीक इसी प्रकार कमल यानी नीरज चोपड़ा अभाव ,संघर्ष, गरीबी, प्रशिक्षण के अभाव के बीच में खिला हुआ कमल है। उन्होंने आज भारत का गौरव बढ़ाया है, देश भक्ति और प्रेरक लौ जलाई है। अदम्य साहस, वीरता दिखाई, एकाग्रता बनाई रखी।जिसके फलस्वरूप भारत में टोक्यो ओलंपिक खेल में गोल्ड मेडल जीता। नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने पर देश में कैसी खुशी हुई है, यह भी उल्लेखनीय है। आज पूरा देश अपने आप को गर्व से अनुभूत कर लिया है। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक नीरज चोपड़ा की उपलब्धि और वीरता के सामने नतमस्तक है।
पर कम्युनिस्ट जमात की इतनी नाखुशी क्यो है, उन्हें इतना गुस्सा क्यो आ रहा है, उनके लिए नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल प्रशंसा नहीं बल्कि दुख का कारण क्यो बन गया है? दुर्भाग्य है कि कम्युनिस्टों को नीरज चोपड़ा द्वारा गोल्ड जितना अच्छा नहीं लग रहा है, स्वीकार नहीं हो रहा है, पच नहीं रहा है । सोशल मीडिया पर और व्यक्तिगत चर्चा में कम्युनिस्ट, मुस्लिम जमात गिरोह लगातार नीरज चोपड़ा की खीलिया उड़ा रहे हैं, नीरज चोपड़ा की उपलब्धि लक्षित कर रहे हैं ,नीरज चोपड़ा को सनातन धर्म की के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित कर रहे हैं, नीरज चोपड़ा को मोदी भक्त के तौर पर उपस्थित कर रहे हैं। नीरज चोपड़ा को सरेआम दंगाई कह रहे हैं। अप्रत्यक्ष तौर पर यह प्रत्यारोपित कर रहे हैं की एक सनातन धर्म की प्रतिनिधित्व करने वाले और नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वाले खिलाड़ी को न तो गोल्ड मेडल जीतने का नैतिक अधिकार है और ना ही उसके गोल्ड मेडल जीतने पर बधाइयां देने के लिए और उत्सव मनाने के लिए कोई जरूरत है।
कम्युनिस्ट, मुस्लिम जमात नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने पर इतनी उबाल वाली प्रतिक्रिया देने, इतनी उम्र मानसिकता उत्पन्न करने के पीछे भी कारण है। कारण नीरज चोपड़ा की देशभक्ति है ,नीरज चोपड़ा की नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास और प्रेम है। कारण नीरज चोपड़ा का सनातनी होना है। जानना यह भी जरूरी है कि नीरज चोपड़ा सिर्फ भाला फेंक खेल के ही खिलाड़ी नहीं है बल्कि वे सोशल मीडिया के भी खिलाड़ी हैं , समाज सेवा के भी खिलाड़ी हैं , देश रक्षा के भी खिलाड़ी हैं, देश के खतरों के प्रति समर्पित रहने वाले खिलाड़ी हैं, संकटकाल में देश की रक्षा करने के भी खिलाड़ी हैं, खिलाड़ी ही क्यों बल्कि देश का हर नागरिक अपनी अपनी राष्ट्रभक्ति से प्रेरक परिस्थितियां उत्पन्न कर प्रेरणा देते हैं , इसी कसौटी पर नीरज चोपड़ा हमेशा अपने आप को सक्रिय रखते हैं और देशभक्ति के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आने का काम किए हैं। इसके कोई एक नहीं, अनेकों उदाहरण उपस्थित हैं।
खासकर नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश के विकास, देश की उन्नति , देश की रक्षा, देश की कूटनीति आदि क्षेत्रों में आई वीरता और स्थिरता का प्रभाव नीरज चोपड़ा पर पड़ा और प्रभावित होकर नीरज चोपड़ा नरेंद्र मोदी के भक्त बन गए। सोशल मीडिया पर उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में कोई एक नहीं बल्कि अनेक पोस्ट लिखें , प्रशंसा में अपने शब्द लगाएं । उनके लिए खासकर 2019 की नरेंद्र मोदी की जीत बहुत ही उल्लेखनीय, प्रशंसनीय थी । नरेंद्र मोदी की जीत का समर्थन उन्होंने किया था। नीरज चोपड़ा ने 2019 नरेंद्र मोदी की जीत पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि देश के विकास, उन्नति, देश की रक्षा, देश की कूटनीति में आई बहार और आई वीरता , आई कर्मठ शीलता पर आंच नहीं आएगी, कोई बंधन नहीं बंधेगा, कोई रुकावट नहीं आएंगी, कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगेगा। जनता का सही निर्णय है। अब पहले की तरह अगले पांच साल भी मोदी देश को गौरवान्वित करते रहेंगे। भारत में कोई कम्युनिस्ट तंत्र नहीं है, भारत में कोई कम्युनिस्ट तानाशाही नहीं है। भारत में लोकतंत्र है। देश का हर नागरिक अपना विचार रखने के लिए स्वतंत्र है। इसलिए नीरज चोपड़ा का यह विचार कैसे नकारात्मक या हानिकारक कहा जा सकता है?
देशद्रोहियों को भी समय-समय पर खबर लेने का काम करते हैं और उन्हें शब्दों से, विचारों से दंडित करने का काम करते है, जनता को जागरूक करने का काम समय-समय पर नीरज चोपड़ा करते रहे हैं। खासकर तब चर्चा में आए थे जब ऑस्ट्रेलिया में हरियाणा के एक सनातन समर्थक देशभक्त युवक को जबरदस्ती जेल में डाल दिया गया था। उस सनातन समर्थक युवक का दोष भी जान लीजिए। उसका दोष सिर्फ देश भक्ति थी । उसका दोष देशद्रोहियों को आइना दिखाना था, उसका दोष देशद्रोहियों को चुनौती देना था, देशद्रोहियों के चेहरे को उजागर करना था। ऑस्ट्रेलिया में भारत विरोधी ,भारत के विखंडन का ख्वाब रखने वाले सिख आतंकवादियों की सक्रियता काफी खतरनाक थी। सिख आतंकवादियों का समूह ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर प्रदर्शन कर भारत विखंडन की बात कर रहे थे ,भारत विखंडन के नारे लगा रहे थे, विदेशों में भारत की छवि को खराब कर रहे थे। यह देख कर सनातन समर्थक युवक के अंदर देशभक्ति जागी थी और उसने तिरंगे को हाथ में लेकर अकेला प्रदर्शन में उतारने का काम किया था , साहस दिखाया था, वीरता दिखाई थी।सिख आतंकवादियों को चुनौती दी थी । सिख आतंकवादियों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया था ,सिख आतंकवादियों को एहसास कराया था कि तिरंगे को थाम कर लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने जान गवाई थी ,हम इस तिरंगे की लाज को अछून रखेंगे,तिरंगे पर आने वाली आंच को हम हमेशा बुझाने का काम करेंगे। सिख आतंकवादियों की समूह ने मुस्लिम परस्त, पाकिस्तान परस्त के साथ गठजोड़ कर उस सनातन समर्थक युवक को आस्ट्रेलिया की जेल में डलवा दिया था । कई महीनों तक निर्दोष सनातन समर्थक युवक आस्ट्रेलिया की जेल में था। भारत में जब यह बात फैली तब देशभक्त समर्थक समूह में बेचैनी हुई ,ऑस्ट्रेलियाई जेल में कैद युवक को रिहा कराने के लिए अभियान चला। नीरज चोपड़ा ने भी युवक की रिहाई के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया था। इसका सुखद परिणाम यह हुआ हरियाणा के मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री को इस घटना से अवगत कराया और देशभक्त युवक की रिहाई के लिए कोशिश करने के लिए कहा था। एक देशभक्त की रिहाई कराने की कोशिश करना ,उसकी मदद करना और देशभक्ति की प्रेरणा देना जैसे कार्य क्या गुनाह है ,क्या वर्जित है?
राष्ट्र के गौरव में विश्वास करने वाले देशवासियों को शायद यह मालूम नहीं होगा कि करोना के संकटकाल में यह खिलाड़ी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं रहा है बल्कि अपने कर्तव्यों को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए उपस्थित किया था। यह जानकर आश्चर्य होगा के अपनी आवश्यकताओं को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने करोना के संकटकाल में देश और अपने राज्य की आर्थिक मदद करने में आगे आए थे। नीरज चोपड़ा ने प्रधानमंत्री केयर फंड में 1 लाख और हरियाणा के मुख्यमंत्री के फंड में तीन लाख रुपए जमा कराएं थे। यह राशि बहुत लोगों के लिए बहुत छोटी होगी लेकिन यह राशि एक ऐसे खिलाड़ी के द्वारा देश और राज्य को समर्पित की गई थी जिसकी आए कम थी, जो गरीबी के बीच में संघर्ष कर रहा था, जिसके पास साधन सीमित थे फिर भी उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर यह राशि देश और राज्य को समर्पित की थी। बड़ी-बड़ी हस्तियां जहां अरबों और खरगों में खेलने के बावजूद एक पैसा भी देश और राज्य के लिए खर्च नहीं करती हैं वहीं पर एक साधारण खिलाड़ी द्वारा यह राशि समर्पित करना एक प्रेरक कार्य है, जिससे हमलोग प्रेरणा लेकर संकटकाल में देश और राज्य को मदद करते हैं।
नीरज चोपड़ा ने खेल के क्षेत्र में नरेंद्र मोदी सरकार की आर्थिक प्रक्रियाओं को लेकर , प्रशासनिक प्रक्रियाओं को लेकर समर्थन में खड़े रहते हैं । नीरज चोपड़ा ने यह कहने में कोई हिचक नहीं दिखाई थी की नरेंद्र मोदी की सरकार में खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा मिल रही है, बेहतर आर्थिक सहायता मिल रही है, बेहतर प्रशासनिक सक्रियता मिल रही है, बेहतर कोचिंग मिल रही है, विदेशी कोच मिल रहे हैं। एक समय वह भी था जब हॉकी के खिलाड़ियों को जूते खरीदने तक पैसे नहीं होते थे , उनकी सरकारी मदद प्रतीकात्मक होती थी। जिसके कारण खिलाड़ी न केवल अभाव में जीते थे बल्कि उसका प्रभाव खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर भी पड़ता था। अंजू बॉबी ने अभी हाल में ही यह बयान दी है कि नरेंद्र मोदी सरकार में खिलाड़ियों को बेहतर ही नहीं बल्कि समूची आर्थिक सहायता मिल रही है, खिलाड़ियों की हर तरह से मदद हो रही है, खिलाड़ियों को पदक जीतने में ,खिलाड़ियों को अपना प्रदर्शन सुधारने में, सरकारी मदद सहायक सिद्ध हो रही है। अंजू बॉबी जॉर्ज खुद ही अपने खेल से ओलंपिक प्रतिनिधित्व करने में सफलता पाई थी। अंजू बॉबी जॉर्ज जो कह रही है वह सही कह रही है । वह ना तो संघी है और ना ही वह मोदी भक्त है । सत्य को सत्य कहना ,सत्य के साथ खड़ा रहना, सत्य पर पड़े पर्दे को हटाना एक अच्छी मनुष्यता को प्रमाणित करती है।
नीरज चोपड़ा की इन्हीं कसौटी के ऊपर कम्युनिस्ट जमात, मुस्लिम जमात खिल्ली उड़ा रही हैं। ये जमाते कह रही हैं कि एक संघी प्रेरणा का स्रोत नहीं हो सकता, उसके मेडल जीतने पर खुशी नहीं मनाई जा सकती, वह तो दंगाई है ,हिंदू समर्थक है आदि आदि।मुस्लिम जमात का विरोध तो समझ में आता है। मुस्लिम समाज तो देश की परिधि को नहीं मानती, देश की परिधि से वह अपने आप को बाहर समझती है, उसकी परिधि सिर्फ इस्लाम है ,इस्लाम की परिधि में ही सब कुछ सोचती है। सोशल मीडिया पर ऐसी मानसिकता के लोग नीरज चोपड़ा के लिए नहीं बल्कि दुश्मन देश की खिलाड़ी की जीत की दुआ मांग रहे थे, वह दुश्मन देश का खिलाड़ी पाचवे स्थान पर रहा। पर कम्युनिस्टों की ऐसी सोच क्यों है ,क्या को भारत के कम्युनिस्ट मुस्लिम परस्त हो गए हैं। क्या कम्युनिस्ट भी भारत को एक मुस्लिम देश के तौर पर तब्दील करना चाहते हैं ,इस पर भी विचार होना जरूरी है। वास्तव में शेष दुनिया के कम्युनिस्टों की मानसिकता और भारत के कम्युनिस्टों की मानसिकता अलग-अलग हो गई है । भारत के कम्युनिस्ट देश की मूल संस्कृति सनातन का विरोध करते करते मुस्लिम वादी हो गए हैं। उनकी हर राजनीतिक प्रक्रियाओं में मुस्लिम संरक्षण की मानसिकता निहित होती है।
देशभक्ति का सीधा-साधा अर्थ देश के साथ खड़ा होना, देश की सुरक्षा करना , देश के लिए जान तक गवाना , देश का गौरव बढ़ाना आदि होता है । इसी कसौटी पर समय-समय पर हर देश में देशभक्ति की वीरता देखी जाती है।कभी कम्युनिस्ट देश सोवियत संघ में भी यह देश भक्ति का उदाहरण उपस्थित था। स्टालिन ओर सोवियत संघ की जनता ने देशभक्ति की कसौटी पर ही हिटलर का सामना किया था। कम्युनिस्ट देश वियतनाम ने कभी अपनी देशभक्ति की भावना शक्ति के आधार पर अमेरिका को भगाया था। भारतीय कम्युनिस्टों को उपस्थित इन उदाहरणों से सीख लेने की जरूरत है।
नीरज चोपड़ा का विरोध कर कम्युनिस्ट अपनी कब्र खुद खोद रहे हैं। रस्सी जल गई पर ऐठन गई नहीं। इसी कहावत को चरितार्थ कर रही हैं कम्युनिस्ट जमात। कम्युनिस्ट जमात को नीरज चोपड़ा जैसी उपलब्धि पर गर्व करना सीखना चाहिए।


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