आज का दौर ‘ग्लोबल विलेज’ का दौर है जिसमें संपूर्ण विश्व एक ग्राम ईकाई के रूप में परिवर्तित हो चुका है। कुछ लोगों की क्षमताएं रहती हैं कि विदेशी कंपनियों को बुलाने का अर्थ फिर भारत को गुलाम कराने की तैयारी करना है। ऐसे लोग ईस्ट इंडिया कंपनी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वह एक ही विदेशी कंपनी आई थी, और उसी ने देश को गुलाम कर लिया था। ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि आज सन 1600 की वे परिस्थितियां नही हैं जिनमें ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत आना पड़ा था और उसने धीरे-धीरे भारत पर अपना राज्य स्थापित कर लिया था। आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। आज हमें व्यापार के लिए दूसरों के साथ चलना भी पड़ेगा और दूसरों को अपने साथ लगाना भी पड़ेगा।
मोदी सरकार द्वारा उठाए गये प्रशासनिक सुधारों, मजबूत आर्थिक बुनियाद का हवाला देते हुए भारत ने सोमवार को मध्य यूरोपीय देशों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अपने संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने यहां दूसरे भारत-मध्य यूरोप व्यापार मंच (आईसीईबीएफ) के उद्घाटन अवसर पर कहा, ‘विभिन्न क्षेत्रों में हम दोनों के बीच चीजों को आगे बढ़ाने की बहुत संभावना है। भारत और मध्य यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपने व्यापार आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने के तौर तरीकों के लिहाज से बीते कुछ साल बेहद महत्वपूर्ण रहे हैं। यह दो दिवसीय आयोजन फिक्की ने उद्योग मंत्रालय के सहयोग से किया। इसमें मध्य यूरोपीय देशों से 120 से अधिक व्यापार प्रतिनिधि और 250 से अधिक भारतीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सिंह ने कहा कि भारत आईटी, दवा, स्वच्छ और हरित ऊर्जा, नदियों की सफाई और कचरा प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में इन देशों के साथ और अधिक सहयोग पर विचार कर रहा है। कुल मिलाकर आर्थिक क्षेत्र में ऐसी गतिविधियां समयानुकूल ही कही जाएंगी। -देवेन्द्रसिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।