महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की, तथा कितने गुरुकुलों की स्थापना की और कितने शास्त्रार्थ किए यह सब लेख यह उपस्थित है।
( महर्षि स्वामी दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापनाएं कब और कहां कहां की गई )
दीवान बहादुर हरबिलास शारदा द्वारा रचित,विश्व गुरु स्वामी दयानंद का जीवन चरित्र एवं उनकी शिक्षाएं से यह सारी सामग्री ली गई है , यह पुस्तक हरविलास जी ने इंग्लिश में 1943 में लिखी थी इसका अब हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है ।
(१) प्रथम आर्य समाज राजकोट , की स्थापना १६जनवरी १८७५ ईस्वी में महर्षि दयानंद ने की थी, किंतु यह आर्य समाज ६ महीने ही चल करके समाप्त हो गई थी, इसका कारण था कि बड़ौदा के महाराज गायकवाड मल्हार राव को अंग्रेजों ने एक अंग्रेज ऑफिसर को जहर देकर मारने के आरोप में गद्दी से उतार गिरफ्तार कर लिया था।
(२) आर्य समाज अहमदाबाद की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८ मार्च १८७५ ईस्वी में की थी , किंतु यह आर्य समाज भी राजकोट आर्य समाज की भांति ही कुछ दिनों में ही चल कर समाप्त हो गई।
(३) आर्य समाज बम्बई की स्थापना महर्षि दयानंद ने १० अप्रैल १८७५ ईस्वी को ककड़वाड़ी में की थी। प्रथम दो आर्य समाजो के बंद हो जाने के कारण इस आर्य समाज को ही प्रथम आर्य समाज माना जाता है।
(४) आर्य समाज लाहौर की स्थापना महर्षि दयानंद ने २४ जून १८७७ ईस्वी को की थी।
(५) आर्य समाज अमृतसर की स्थापना महर्षि दयानंद ने १२ अगस्त १८७७ ईस्वी को की थी।
(६) आर्य समाज मुलवाई बुंगा की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७७ ईस्वी में की थी।
(७) आर्य समाज गुरदासपुर की स्थापना महर्षि दयानंद ने २४ अगस्त १८७७ ईसवी में की।
(८) आर्य समाज रावलपिंडी की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७७ ईस्वी में की थी।
(९) आर्य समाज झेलम की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७८ ईस्वी में की थी।
(१०) आर्य समाज वजी़जराबाद की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७८ ईस्वी में की थी।
(११) आर्य समाज गुजरांवाला की स्थापना महर्षि दयानंद ३ मार्च १८७८ ईस्वी में की थी।
(१२) आर्य समाज मुल्तान की स्थापना महर्षि दयानंद ने ४ अप्रैल १८७८ ईस्वी में की थी।
(१३) आर्य समाज रुड़की की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७८ ईस्वी में की थी।
(१४) आर्य समाज मेरठ की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७८ ईस्वी में थी।
(१५) आर्य समाज दानापुर बिहार की स्थापना महर्षि दयानंद ने अप्रैल १८७८ ईस्वी में की थी।
(१६) आर्य समाज दिल्ली की स्थापना महर्षि दयानंद ने १ नवंबर १८७८ ईस्वी में की थी।
(१७) आर्य समाज फर्रुखाबाद की स्थापना महर्षि दयानंद ने १२ जुलाई १८७९ ईस्वी में की थी।
(१८) आर्य समाज मुरादाबाद की स्थापना महर्षि दयानंद ने २० जुलाई १८७९ ईस्वी में की थी।
(१९) आर्य समाज शाहजहांपुर की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७९ ईस्वी में की थी।
(२०) आर्य समाज कानपुर की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८७९ ईस्वी में की थी।
(२१) वैदिक मंत्रालय (जो अब दयानंद आश्रम अजमेर का भाग है) की स्थापना महर्षि दयानंद ने लक्ष्मी कुंड बनारस में १२ फरवरी१८८० ईस्वी में की थी।
(२२) आर्य समाज बनारस की स्थापना महर्षि दयानंद ने १५ अप्रैल १८८० ईस्वी में की थी।
(२३) आर्य समाज लखनऊ की स्थापना महर्षि दयानंद ने मई १८८० ईस्वी में की थी।
(२४) आर्य समाज आगरा की स्थापना महर्षि दयानंद ने २० दिसंबर १८८० ईस्वी में की थी।
(२५) गौरक्षणी सभा आगरा की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८८१ ईस्वी में की थी।
(२६) आर्य समाज जयपुर की स्थापना महर्षि दयानंद ने मार्च १८८१ ईस्वी में थी।
(२७) श्रीमती परोपकारिणी सभा की स्थापना महर्षि दयानंद ने १६ अगस्त १८८० ईस्वी में की थी।
(२८) आर्य समाज अजमेर की स्थापना महर्षि दयानंद ने १३ फरवरी १८८१ ईस्वी में की थी।
(२९) आर्य समाज जोधपुर की स्थापना महर्षि दयानंद ने १८८३ ईस्वी में की थी।)(
महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने ६ गुरुकुलों की स्थापनाएं भी की थी।
(१) फर्रुखाबाद में गुरुकुल की स्थापना।
(२) मिर्जापुर में गुरुकुल की स्थापना।
(३) कासगंज में गुरुकुल की स्थापना।
(४) छलेसर में गुरुकुल की स्थापना।
(५) बनारस में गुरुकुल की स्थापना।
(६) लाहौर में गुरुकुल की स्थापना।
किंतु यह गुरुकुल अधिक समय तक चल ना सके इसका कारण था कि इन गुरुकुल में पढ़ने वाला विद्यार्थी, पौराणिक पंडित ही बनकर निकलता था। इसका कारण mune gurkul ओं में पढ़ाने वाले शिक्षक थे जो वैदिक शिक्षा ना देकर पुराणों की शिक्षा देते थे , इस कारण से महर्षि दयानंद ने इन गुरुकुल ओ को बंद कर दिया।)(
(महर्षि स्वामी दयानंद द्वारा किए गए महत्वपूर्ण शास्त्रार्थ कब और कहां किस किस से किये थे।
(१) महर्षि दयानंद का प्रथम शास्त्रार्थ अजमेर में१८६६ ईस्वी को रेवे॰ ग्रे रोबसन व शूलब्रेड से हुआ।
(२) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कर्णवास में १८६७ ईस्वी को अनूपशहर के पंडित अम्बादत्त से हुआ।
(३) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ रामघाट में १८६७ ईस्वी को पंडित कृष्णानंद से हुआ।
(४) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कर्णवास में १८६७ ईस्वी को पंडित हरीवल्लभ से हुआ।
(५) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ सोरों में १८६७ ईस्वी को पंडित अंगद शास्त्री से हुआ।
(६) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ काकौड के मेले में अक्टूबर १८६८ ईस्वी को पंडित उमादत्त से हुआ
(७) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ फर्रुखाबाद में १८६८ ईस्वी को पंडित श्री गोपाल से हुआ।
(८) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ फर्रुखाबाद में १९ जून १८६८ को पंडित हलधर ओझा से हुआ।
(९) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कन्नौज में १८६८ ईस्वी को पंडित हरिशंकर से हुआ।
(१०) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कानपुर में ३१ जुलाई १८६९ ईस्वी को पंडित हलधर ओझा से हुआ।
(११) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बनारस में १६ नवंबर १८६९ ईस्वी को पंडित ताराचरण तर्करत्न ,
स्वामी विशुद्धानंद, पंडित बाल शास्त्री, पंडित राजाराम, पंडित शिवसहाय, पंडित माधवाचार्य, पंडित वामनाचार्य आदि आदि ३१ पंडितों से हुआ।
(१२) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ मिर्जापुर में १८७२ ईस्वी को पंडित गोविंद भट्ट, पंडित जयश्री से हुआ।
(१३) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ डुमरांव में १८७२ ईस्वी को पंडित दुर्गादत्त से हुआ।
(१४) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ आरा में १८७२ ईस्वी को पंडित रूद्रदत्त, पंडित चंद्रदत्त से हुआ।
(१५) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ पटना में सितंबर १८७२ ईस्वी को पंडित राम जीवन भट्ट, पंडित रामौतार से हुआ।
(१६) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कलकत्ता कोलकाता में १८७३ ईस्वी को पंडित हेमचंद्र चक्रवर्ती से हुआ।
(१७) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कलकत्ता कोलकाता में २३ मार्च १८७३ ईस्वी को पंडित महेशचंद्र न्याय रत्न से हुआ।
(१८) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ हुगली में ३ अप्रैल १८७३ ईस्वी को पंडित ताराचरण तर्क रत्न से हुआ।
(१९) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ लखनऊ में १८ नवंबर १८७३ ईस्वी को पंडित गंगाधर से हुआ।
(२०) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ छपरा में २५ माई १८७३ ईस्वी को पंडित जगन्नाथ से हुआ।
(२१) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ कानपुर में अक्टूबर १८७३ ईस्वी को पंडित गंगाधर से हुआ।
(२२) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ प्रयागराज, इलाहाबाद में फरवरी १८७४ ईस्वी को पंडित काशीनाथ शास्त्री से हुआ।
(२३) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ सूरत में २५ नवंबर १८७५ ईस्वी को पंडित इच्छा राम शास्त्री से हुआ।
(२४) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ भड़ौच में १८७५ ईस्वी को पंडित माधवराव से हुआ।
(२५) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ राजकोट में १८७५ ईस्वी को पंडित महिधर से हुआ।
(२६) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बम्बई में १० मार्च १८७५ ईस्वी को पंडित खेमजी, पंडित बालजी जोशी से हुआ।
(२७) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बम्बई में जून१८७५ ईस्वी को पंडित कमलनयन आचार्य से हुआ।
(२८) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बड़ौदा में १८७५ ईस्वी को पंडित यज्ञेश्वर से हुआ।
(२९) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बड़ौदा में १८७५ ईस्वी को पंडित आप्या शम्भू से हुआ।
(३०) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बम्बई में २७ जून १८७६ ईस्वी को पंडित रामलाल से हुआ।
(३१) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ मुरादाबाद में नवंबर १८७६ ईस्वी को रेवे॰पार्कर से हुआ।
(३२) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ शाहजहांपुर के चांदपुर मेले में २० मार्च १८७७ ईस्वी को वेले टी स्कांट , तथा मोहम्मद कासिम से हुआ।
(३३) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ जालंधर में २४ सितंबर १८७७ ईस्वी को मोहम्मद अहमद हसन से हुआ।
(३४) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ गुजरांवाला में१९ फरवरी १८७८ ईसाई मिशनरी से हुआ।
(३५) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ अजमेर में २८ नवंबर १८७८ ईस्वी को रेवे॰ ग्रे ,व हसबैंड से हुआ।
(३६) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बदायूं में ४ अगस्त १८७९ ईस्वी को पंडित राम प्रसाद से हुआ।
(३७) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ बरेली में २५ अगस्त १८७९ को रेवे॰ की जी स्कांट से हुआ।
(३८) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ व्याबर में २८ जून १८८१ ईस्वी को रेवे॰ शूलब्रेड से हुआ।
(३९) महर्षि दयानंद का शास्त्रार्थ उदयपुर में ११ सितंबर १८८२ ईस्वी को मौलवी अब्दुर्रहमान से हुआ।
इति ओम् शम्
प्रस्तुति : विमल आर्य
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