पादरियों को वेटिकन की सुरक्षा की क्यों है दरकार
हमारे धर्मनिरपेक्षतावादी सच्चाई और झूठ की ज्यादा परवाह नहीं करते, मर्सी सेंथिल कुमार की भारतीय पादरियाें काे वेटिकन के सुरक्षा घेरे में लाने की मांग यह दर्शाती है कि चर्च से समर्थन पाने का लालच कितना प्रबल है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में भारत के आंतरिक मामलों में वेटिकन का हस्तक्षेप बढ़ा है और भारत के कैथोलिक चर्च का पूरा संचालन वेटिकन और कैनन लॉ के दिशा -निर्देशों के तहत ही हो रहा है, वर्तमान समय में पाेप ही भारत में बिशपाें काे नियुक्त करते हैं।
फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई माैत काे लेकर चर्च बड़ी रणनीति पर काम कर रहा है। स्वामी को आदिवासियों, दलितों और शूद्रों का मसीहा घोषित किया जा रहा है, कही शहीद और कही उसे वेटिकन से संत घोषित करने की मांग की जा रही है। अब तो स्वामी के लिए अंतरराष्ट्रीय नोबेल पुरस्कार की भी मांग की जा रही है।
फादर स्टेन स्वामी पर लगे आरोपों की बात करें तो भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े में मामले में गिरफ्तार जेसुइट फादर स्टेन स्वामी की जमानत याचिका एनआईए की विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि फादर स्टेन स्वामी ने प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के साथ मिलकर देश में अशांति पैदा करने एवं सरकार को गिराने की साजिश रची थी। जांच एजेंसी ने दस्तावेजों का विश्लेषण किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि फादर स्टेन और उनका एनजीओ बगैचा माओवादियों के हितों में सहयोग करता था, क्योंकि उनका एनजीओ एक अन्य ट्राइबल राइट्स ऑर्गेनाइजेशन विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन (वीवीजेवीए) के साथ संबंध रखता है, जो प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) का एक फ्रंट ऑर्गेनाइजेशन है।
चर्च फादर स्टेन स्वामी पर लगे किसी भी आरोप का जवाब देने की बदले अटैक इज द बेस्ट डिफेन्स की नीति अपना रहा है, एक दशक पहले कंधमाल हिंसा पर भी उनका यही रवैया था , उस समय इटली सरकार द्वारा भारतीय राजदूत को धमकाना और भारत में पाेप के राजदूत का कंधमाल हिंसा की जांच के लिए जाना भारतीय चर्च की आज जैसी आकमक रणनीति ही है।
चर्च की ऐसी आक्रामक रणनीति काे फलने – फूलने के लिए खाद -पानी अपने काे सेकुलर कहने वाले राजनीतिक पार्टियों से मिलता रहता है। ताजा मामला तमिलनाडु का है सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के मंत्री की बहू और डीएमके विधायक मर्सी सेंथिल कुमार (Mercy Senthil Kumar) ने एक ऐसा कानून बनाने की जरूरत बताई है, जिसके तहत ‘वेटिकन’ की मंजूरी के बाद ही किसी अपराध के लिए चर्च के पादरियों को गिरफ्तार किया जाए। डीएमके सरकार में सहकारिता मंत्री आईएस पेरियासामी की बहू और आईपी सेंथिल कुमार की पत्नी मर्सी सेंथिल कुमार भी डीएमके से विधायक हैं। मर्सी सेंथिल कुमार ने डिंडीगुल में आतंकवाद के आरोपित फादर स्टेन स्वामी की याद में आयोजित शोक समारोह में ये बात कही।
मर्सी सेंथिल कुमार ने कहा कि जो संत है, जो पादरी है, वे संसार भर की सेवा करने वाले हैं और सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए, जिसके तहत बिना ‘वेटिकन’ की सहमति के किसी भी पादरी को किसी भी अपराध में गिरफ्तार न किया जाए। हालही में तमिलनाडु के मदुरै में रोमन कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्निया को प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, हिंदू धर्म और मातृभूमि के बारे में कथित रूप से अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
हालांकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार चर्च के प्रति अपना नरम रुख अपनाए हुए है। तमिलनाडु सरकार ने विवादास्पद फादर ए राज मारियासुसाई काे तमिलनाडु लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्त करने का आदेश जारी किया है फादर मारियासुसाई का बेहद विवादास्पद अतीत रहा है क्योंकि उनका कथित तौर पर शहरी नक्सलियों के साथ घनिष्ठ संबंध बताया जा रहा है। वरिष्ठ नौकरशाहों ने TNPSC में फादर मारियासुसाई की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि TNPSC सिविल सेवकों के चयन के लिए जिम्मेदार संस्था है।
हमारे धर्मनिरपेक्षतावादी सच्चाई और झूठ की ज्यादा परवाह नहीं करते मर्सी सेंथिल कुमार की भारतीय पादरियाें काे वेटिकन के सुरक्षा घेरे में लाने की मांग यह दर्शाती है कि चर्च से समर्थन पाने का लालच कितना प्रबल है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में भारत के आंतरिक मामलों में वेटिकन का हस्तक्षेप बढ़ा है और भारत के कैथोलिक चर्च का पूरा संचालन वेटिकन और कैनन लॉ के दिशा -निर्देशों के तहत ही हो रहा है, वर्तमान समय में पाेप ही भारत में बिशपाें काे नियुक्त करते हैं।
हालांकि बाइबल इस मुद्दे पर निर्णायक रूप से बताती है कि जहां रहाे, सरकार की मानो, क्योंकि यह व्यवस्था परमेश्वर की ओर से है, कहीं कोई ऐसी सरकार नहीं, जिसे परमेश्वर ने न ठहराया हो। सो जो लोग देश की व्यवस्था को मानने से इनकार करते हैं, वे परमेश्वर की आज्ञा काे मानने से इनकार करते हैं , वे दंड पाएगे । (रोमियों 13: 1-2)