दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भारत की ताजपोशी से पाकिस्तान को तीखी मिर्ची लगी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को उम्मीद जताई कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान निष्पक्ष होकर काम करेगा। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हाफीज चौधरी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत अपने कार्यकाल के दौरान प्रासंगिक नियमों और मानकों का पालन करेगा।
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और दो साल का कार्यकाल है। भारत ने रविवार से 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। भारत का कार्यकाल एक महीने तक चलेगा। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने अंग्रेजी के वर्णमाला के आधार पर बदलती रहती है। भारत 1 जनवरी 2021 को सुरक्षा परिषद का सदस्य बना था और उसे अपने कार्यकाल के दौरान दो बार अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा।
एक महीने तक कश्मीर के मामले पर कोई भी चर्चा नहीं कर पाएगा पाक
पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा, ‘चूंकि भारत ने इस पद को संभाल लिया है, हम उसे एक बार फिर से यह याद दिलाना चाहते हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जम्मू-कश्मीर पर प्रस्तावों को लागू करे।’ बता दें कि भारत ऐसे समय पर सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना है जब अफगानिस्तान में पाकिस्तान के समर्थन से तालिबान खूनी हिंसा कर रहा है। अफगान सेना के साथ उसकी जंग जारी है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक भारत के अध्यक्ष रहने का मतलब यह है कि पाकिस्तान अब एक महीने तक कश्मीर के मामले पर कोई भी चर्चा सुरक्षा परिषद में नहीं कर पाएगा। इसी वजह से पाकिस्तान को भारत के अध्यक्ष बनने पर मिर्ची लग रही है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने का कड़ा विरोध कर रहा है। यही नहीं अगले एक महीने में अफगानिस्तान से विदेशी सेनाएं वापस जा रही हैं और ऐसे में अफगानिस्तान को लेकर कई बड़े घटनाक्रम हो सकते हैं।
सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्तान पर नकेल कसेगा भारत
पाकिस्तान, तालिबान और चीन की नापाक चाल को भारत सुरक्षा परिषद के जरिए मात दे सकता है। पाकिस्तान हमेशा से ही भारत की अफगानिस्तान में मौजूदगी का विरोध करता रहा है। सबसे अहम बात यह है कि भारत ने अगले एक महीने के कार्यकाल के दौरान जो ‘प्रोग्राम ऑफ वर्क’ बनाया है, उसमें चीन और पाकिस्तान पर नकेल कसना शामिल है। भारत आतंकवाद विरोधी अभियान और समुद्री नौवहन सुरक्षा पर चर्चा करने जा रहा है। इनसे पाकिस्तान और चीन का चिढ़ना तय है।
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