🙏बुरा मानो या भला 🙏
—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
भारत-पाकिस्तान के बीच का कारगिल युद्ध 8 मई, 1999 से शुरू होकर करीब दो महीने तक चला था। भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों से भारतीय भूमि को मुक्त कराया था। भारतीय सैनिकों की वीरता को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी ने कारगिल विजय दिवस मनाने पर रोक लगा दी थी क्योंकि कांग्रेस के चहेते और “शाही परिवार” के दरबारी नेता जनाब राशिद अल्वी का कहना था कि – “कारगिल की लड़ाई भाजपा की लड़ाई थी। इसलिए इसे नहीं मनाया जाना चाहिए।” ठीक वैसे ही जैसे कांग्रेस की कार्बन कॉपी माने जाने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कोविड वैक्सीन के लिये कहा था कि – “यह भाजपा की वैक्सीन है। इसलिए इसे मैं नहीं लगवाऊंगा।”
यहां ग़ौरतलब है कि समाजवादी के ही एक कुख्यात (अपने विवादित बयानों के लिए) नेता आजम खान जो कि आजकल शरशैया पर पड़े हुए हैं, ने गाजियाबाद के मसूरी इलाके में एक चुनावी सभा में दिए अपने भाषण में कथिततौर पर कहा था कि- “भारत ने 1999 में कारगिल की लड़ाई मुस्लिम सैनिकों की वजह से जीती। जिस सैनिक ने कारगिल की चोटी पर फतह पाई वह हिंदू नहीं, बल्कि मुसलमान था।” याद रखिये कि शायद यह वही आजम खान हैं जिन्होंने “भारत माता को डायन बताया था”।
आजम खान को मुस्लिम समाज का रहनुमा बताया जाता है, उधर राशिद अल्वी भी मुस्लिम समाज में अपना एक बेहतर मक़ाम रखते हैं।
ऐसे में यह समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है कि अपने को कथिततौर पर “मुस्लिम पार्टी” कहने वाली कांग्रेस ने विजय दिवस मनाने से क्यों मना किया था जबकि बक़ौल आजम खान कारगिल युद्ध तो मुस्लिम सैनिकों ने लड़ा और जीता था।
तो क्या यह माना जाए कि सोनिया एंड पार्टी को मुस्लिम सैनिकों की शौर्यगाथा हज़म नहीं हो पाई थी या फिर समाजवादी पार्टी के मुस्लिम सैनिक उस युद्ध में विजयी हुए थे जिसे कांग्रेस पचा नहीं पाई थी।
सच क्या है यह तो राशिद अल्वी साहब और आजम खान साहब को बेहतर पता होगा, लेकिन एक बात तय है कि विदेशियों द्वारा स्थापित कांग्रेस को भारत माता की विजयगाथा कभी हज़म ही नहीं हो पाई और शायद कभी होगी भी नहीं।
🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।