कुछ समय पूर्व किसी हिन्दू संस्थान द्वारा किसी मुस्लिम को नौकरी न देने पर समस्त छद्दम सेक्युलरिस्ट्स संविधान की दुहाई देकर खूब चिल्ला रहे थे। लेकिन हाईवे पर हिन्दू नामों से चल रहे होटलों में एक भी हिन्दू न होने पर इन छद्दमों के दही जमा पड़ा है। अब संविधान को कोई खतरा नहीं, और न ही किसी गंगा-जमुनी तहजीब को खतरा। आखिर कब तक संविधान और गंगा-जमुनी तहजीब के नाम पर हिन्दुओं के साथ छलावा होता रहेगा। क्या अब संविधान सबको बराबरी का अधिकार नहीं देता? इस भयंकर षड़यंत्र को समझना होगा, अन्यथा हिन्दू धर्म, जाति और महंगाई आदि पर रोता रहेगा और गजवा-ए-हिन्द बनाने वाले अपना खेल हिन्दुओं द्वारा अर्जित आय से औंधे मुंह दे मारेंगे और छद्दम सेक्युलरिस्ट्स अपनी तिजोरियां भरते रहेंगे।
देखिये शिवा होटल में नमाज का विशेष कमरा। इस साज़िश को समझना होगा। हिन्दुओं के साथ कितना बड़ा छल किया जा रहा है। संविधान और गंगा-जमुना तहजीब के नाम पर कब तक हिन्दू भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता रहेगा? किसी छद्दम धर्म-निरपेक्ष में यह पूछने का साहस नहीं कि हिन्दू नाम रखने पर भी इन होटलों में हिन्दुओं को नौकरी क्यों नहीं?
आपको राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात के हाइवे पर तमाम ऐसे होटल्स मिलेंगे, जिनका नाम ‘आशिर्वाद’, ‘सहयोग’ ‘भाग्योदय’, ‘सर्वोदय’, ‘अलंकार’, ‘तुलसी’, ‘सर्वोत्तम’ आदि हिन्दू नाम वाला होगा ..!! लेकिन, इन होटलोंं की चेन, जिसमे हजारो हॉटेल्स है, उन्हें गुजरात के बनासकांठा के रहने वाले ‘चेलिया मुस्लिम’ ” चलाते है ..!!
इन होटलों में एक भी हिन्दू को नौकरी नही दी जाती .. चेलिया ग्रुप ऑफ़ हॉटेल्स का हेड ऑफिस अहमदाबाद में है । इनकी पूरी खरीद ‘सेंट्रलाइज्ड’ होती है । ये डायरेक्ट कोल्डड्रिंक, नमकीन आदि बनाने वाली कम्पनीज के साथ ‘बल्क’ में डील करते हैं .. फिर उसे हर एक होटल में सप्लाई करते है । जहाँ तक सम्भव हो, ये खरीदारी सिर्फ मुस्लिम से ही करते है । इनके होटल्स में इन्वर्टर बैटरी, आर. ओ. पानी आदि सप्लाई करने वाला भी मुस्लिम ही होता है ..।
चूँकि ये अपने होटल्स का नाम भी हिन्दू नाम जैसा ही रखते है और “ओनली व्हेज” लिखते है । और इनके होटल्स भी साफ सुथरे दिखते है .. इसलिए, हिन्दू इनकी होटल्स की तरफ आकर्षित होते है ..। इनका ये मानना है की, हिन्दुओ से पैसा निकालो और उसे मुस्लिमो के बीच लाओ ..!!
इनका पूरा बिजनस फ्रेंचाइजी मॉडेल पर आधारित होता है ..। इनकी एक सहकारी कमिटी है, जो अल्पसंख्यक आयोग में, अल्पसंख्यक कमेटी के रूप में रजिस्टर्ड है .. इस कमिटी में, देश विदेश के लाखो चेलिया मुस्लिम्स मेम्बर है और सब अपना अपना योगदान देते है । फिर ये हाइवे पर कोई अच्छा सा जगह देखकर उसे काफी ऊँची कीमत देकर खरीद लेते है । फिर उस हॉटेल का एक खरीदी बिक्री का अकाउंट बनाते है .. और उस हॉटेल को किसी चेलिया मुस्लिम को चलाने के लिए सौंप देते है ..!!
पुरे विश्व के ‘चेलिया मुस्लिम’ सिर्फ मुहर्रम में, अपने गाँव में इकठ्ठे होते है । फिर हर एक हॉटेल के लाभ-हानि का हिसाब करते है । इसलिए, मुहर्रम के दौरान, करीब २० दिनों तक, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के हाइवे पर के 90% हॉटेल्स बंद रहते है ..।
ये बसों के ड्राइवर को बेहद महंगे गिफ्ट देते है ताकि, ड्राइवर इनके ही हॉटेल पर ही बस रोके ..!!*
अहमदाबाद के सरखेज में इनका बहुत बड़ा सेंट्रलाइज्ड परचेज डिपो है । खुद का आलू प्याज आदि रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज है ..। ये सीजन पर सीधे किसानो से, बेहद सस्ते दाम पर आलू प्याज अदरक, आदि खरीद लेते है ..!!
“इकोनॉमिक्स टाइम्स – अहमदाबाद” में छपे एक रिपोर्ट में, इस चेलिया हॉटेल्स की कुल पूंजी इस समय, करीब 3000 करोड़ रूपये पहुंच चुकी है ..!! और इनकी कुल परिसम्पत्तियों की कीमत, इस समय 10,000 करोड़ रूपये होगी ..।
हिन्दुओ के जेब से पैसा निकालकर उसे मुसलमानों में बांटने का ये “चेलिया ग्रुप्स ऑफ़ हॉटेल्स” बेहद खतरनाक मॉडल है ..।
दुःख इस बात का है की अभी तक, हिन्दू लोग चेलिया मुस्लिमो के इस गंदे खेल को नही समझ सके और इनके होटलों में खाना खाकर इन्हें आर्थिक रूप से और मज़बूत करते है … और फिर येही पैसा आतंकियों को जाता है ..।
इससे बड़ा खतरनाक ये है की ये लोग किसी हिन्दू के हॉटेल को चलने ही नही देते ..
( मुंबई-नासिक हाईवे पर सभी- होटल्स इन मुस्लिम लोगों के हैं हिन्दू नामों से)
कई हिन्दू ऐसे भी हैं जो इस मैसेज को फॉरवर्ड भी नहीं करेंगे यही लोग जिम्मेदार हैं मानसिक गुलामी की परंपरा को जिन्दा रखने में…. और इस जानकारी को आगे सभी से साझा करने में अपना सहयोग दें
सभी दिल्ली वालों सावधान !
15,16 मुस्लिम आदमी दिल्ली की हिंदू कॉलोनियों में जा रहे है और वह अपने आप को वक्फ बोर्ड (मुस्लिम संस्था) का बता रहे है और लोगों को अपनी बातों में उलझा कर व वक्फ बोर्ड कि किराएदारी का नोटिस रिसीव करा रहे है। यह दिल्ली में गुपचुप तरीके से जमीन जिहाद चल रहा है जिसको ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान चला रहे हैं जिसे अरविंद केजरीवाल ने वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बना रखा है। यह दिल्ली सरकार द्वारा सोची समझी साजिश के तहत जमीन जिहाद चल रहा है। जिसे ज्यादा से ज्यादा इन जमीनों पर मुस्लिमों को बसाया जा सके।
ज्ञात हो, 1993 में दिल्ली के सिविल लाइन्स पर कब्रिस्तान के ऊपर बन रहे बंगले और फ्लैटों के विषय में दरिया गंज स्थित वक़्फ़ बोर्ड कार्यालय से संपर्क करने पर तत्कालीन अध्यक्ष और सचिव ने जो अपनी आपबीती सुनाते खुलासे वाकई बहुत छौकाने वाले थे। संक्षेप में इतना ही कहा कि “जनाब हम तो पुलिस द्वारा हस्तक्षेप करने की वजह से बच गए और आपके सामने बैठे हैं, आपको कौन बचाएगा? अगर किसी तरह आप इस घोटाले को उजागर करने में कामयाब हो गए, आपकी तस्वीर पर माला चढ़ जाएगी। वक़्फ़ को हकीकत में नहीं मालूम की उसकी कितनी जमीन है, और कहाँ है? और जो है उस पर रसूकदार सरमायेदारों ने कब्ज़ा कर बेच दिया। ….”
इतना जरूर है कि जिस दिन मोदी सरकार ने वक़्फ़ घोटाले की जाँच शुरू की, बहुत मोटा घोटाला सामने आएगा। अल्पसंख्यक के नाम पर किस तरह घोटाले हो रहे हैं। मंदिरों की सम्पत्तियों और चढ़ावे पर सबकी निगाह रहती है, लेकिन मस्जिदों, दरगाहों और वक़्फ़ बोर्ड पर किसी की नज़र नहीं जाती। क्यों” कोई मीडिया नहीं बोलता, क्यों? क्या कोई मीडिया मस्जिदों और दरगाहों को होने वाली लाखों-करोड़ों की होने वाली आय को उजागर करेगा? यदि मंदिरों की भांति दरगाहों पर हो रही कमाई भी सरकार के अधीन हो, सरकार को किसी मौलवी अथवा इमाम को अपनी तरफ से एक पैसा देने की जरुरत नहीं पड़ेगी। वक़्फ़ बोर्ड के पास ही इतना धन होगा किसी सरकार का मुंह ताकने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
सभी दिल्ली वालों से अनुरोध है ऐसे कोई भी लोग आपकी कॉलोनी में आते हैं तो कोई भी नोटिस रिसीव ना करें और उन्हें वहां से भगा दे और पुलिस कंप्लेंट कर दें!