शुभ गुरु पूर्णिमा
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भगवा ध्वज केवल एक वर्ग विशेष, दल विशेष, विचार विशेष का ध्वज नहीं है। #खयाल_आया की यह वही ध्वज है जो वेदों ने पुराणों ने उपनिषदों ने हमें दिया है। यही वह ध्वज है जिसे श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसे क्षत्रियों सहित परशुराम जी जैसे सभी ब्राह्मण कुलों ने अपने युद्ध रथों पर भी लहराया और इसे अपने गुरुकुलों पर भी फहराया! यही ध्वज वनवासी हनुमान, माता शबरी का भी रहा है।
गौतम बुद्ध, भगवान महावीर, सम्राट अशोक हिंदुत्व के अंतर्गत बुद्धत्व व जैनत्व को विकसित करते हुए सतत भगवा ध्वज उठाए रहे। महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी जैसे अनेकों योद्धा इसी ध्वजा के साथ अपने समाजोद्धारक अभियान चलाते रहे हैं। इस भगवा ध्वज को ही गुरुनानक, गुरु गोविंदसिंग से लेकर आज तक पंच प्यारे अपने हाथों में उठाए चल रहे हैं। प्राचीन काल मे न केवल ब्राह्मण कुल बल्कि अपने श्रेष्ठ कार्यों के कारण ब्राह्मण कुल में पूज्य हो गए दलित समाज के ऋषि जाबाली, वाल्मीकि, दासी पुत्र ऋषि श्रृंगी, केवट पुत्र ऋषि व्यास, चांडाल पुत्र ऋषि मातंग, गणिका पुत्र ऋषि नारद, आदि आदि अनेकों संतो, विचारकों, कवियों, दार्शनिकों ने भगवा को ही अपना आधार माना है। संत रैदास, महात्मा फुले, तो भगवा के लिए अपनी गर्दन पर कटार तक चलवाने हेतु उद्धृत रहते थे। बाबा साहेब ने भगवा की रक्षा हेतु ही कहा था की विदेशी धरती पर जन्मा कोई धर्म मुझे कभी स्वीकार्य नही होगा। #सनदरहे टंट्या भील, तिलका मांझी जैसे हजारों वनवासी जनजातीय देशभक्त योद्धा भी भगवा के प्रमुख वाहक रहे हैं। भगवा ध्वज के संवाहक अवतारों, देवी-देवताओं, पुण्यात्माओं, महात्माओं, योद्धाओं, गुरुओं, संतो की सूची बनाऊंगा तो स्थान व समय कम पड़ जाएगा! भगवा की रक्षा हेतु सागर भर रक्त बहाया है हमारे दलित, जनजातीय, वैश्य, क्षत्रिय, ब्राह्मण संतों व यौद्धाओं ने। सार यह कि हम #भगवापुत्र ही हैं! #भगवासाध्य है हमारा, और, #भगवाही_साधन भी है!!
हम भगवा ध्वज को पूजते रहें, इसे अपना गुरु बनाए रहें व भगवा हम पर अपना आश्रय, आशीष, अवलम्ब बनाए रखे यही कामना!!
प्रवीण गुगनानी
guni.pra@gmail.com
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विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में सलाहकार (राजभाषा)
guni.pra@gmail.com 9425002270