भारत एक आध्यात्मिक देश है। यहां अनेकों ऋषियों ने अनेकों वैज्ञानिक आविष्कार करके पुरा काल से ही संसार को चमत्कृत करने का सराहनीय कार्य किया है। जिस पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व और गौरव की अनुभूति होनी चाहिए । दुर्भाग्यवश हमारे ऋषियों के उन महान आविष्कारों और बौद्धिक संपदा से संपन्न ग्रंथों या उनकी बौद्धिक संपत्ति को एक षड्यंत्र के अंतर्गत हमसे दूर कर दिया गया। जिससे हम अपने गौरवपूर्ण अतीत से काट दिए गए और उस असीम बौद्धिक संपदा से भी हम वंचित कर दिए गए जिसे पाकर कोई भी राष्ट्र गर्व और गौरव की अनुभूति कर सकता है।
पूज्य पिताजी महाशय राजेंद्र सिंह आर्य जी के मुखारविंद से भारत के गौरवपूर्ण अतीत के विषय में जितना सुना उससे कई बार ह्रदय कुलबुलाने लगता था कि इस विषय में और भी अधिक आविष्कार और अनुसंधानात्मक कार्य किया जाना चाहिए ।जिससे भारत फिर से विश्व गुरु के पद पर आसीन हो। जब समाचार पत्रों को पढ़ते थे तो उनमे समाज को विनाश की ओर ले जाने वाली लूट, हत्या, डकैती, बलात्कार संबंधी नकारात्मक चिंतन को प्रस्तुत करने वाली खबरें छपी देखकर भी मन दुखी होता था । तब भीतर से आवाज आती थी कि अपना ऐसा समाचार पत्र हो जो इस नकारात्मक चिंतन से दूर सकारात्मक चिंतन को परोसने वाली बातों को अपना आदर्श माने और भारत के शानदार अतीत को प्रस्तुत कर उज्जवल भविष्य की आधारशिला रखने में समर्थ हो।
बस, इसी मानसिक पृष्ठभूमि में ‘उगता भारत’ का जन्म हुआ। आज से सही 11 वर्ष पहले जब इस समाचार पत्र ने जन्म लिया तो उस समय भारत के विषय में फ्रेंच कट दाढ़ी वाले तथाकथित विद्वान जो चाहे सो बोल रहे थे, जो चाहे सो लिख रहे थे और भारत की ऐसी तस्वीर प्रस्तुत कर रहे थे जिसे देख कर बहुत दुख होता था। यद्यपि यह तथाकथित विद्वान आज भी अपने कार्य में लगे हुए हैं, परंतु हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं कि 10 वर्ष पहले भारत के इतिहास के दोबारा लिखे जाने के जिस अभियान का श्रीगणेश ‘उगता भारत’ ने किया वह आज राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श का एक विषय बन चुका है। इस संदर्भ में प्रिय अनुज डॉ राकेश कुमार आर्य की श्रंखला ‘1235 वर्षीय भारतीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास’ बहुत अधिक लोकप्रिय हुई है , जिससे ‘उगता भारत’ को राष्ट्रीय स्तर पर एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ है।
हम उन अनेक विद्वान लेखकों का हृदय से अभिनंदन करते हैं जिन्होंने हमारे इस अभियान में हमारा विशेष मार्गदर्शन किया या अपने लेखन के माध्यम से समाचार पत्र को लोकप्रिय और सम्मान पूर्ण स्थान दिलाने में अपनी भूमिका का निर्वाह किया। पत्र के चेयरमैन की हैसियत से मैं अपनी ‘उगता भारत’ की टीम के सभी सदस्यों और पाठकों का भी हृदय से अभिनंदन करता हूं जिन्होंने एक दशक के इस काल में हर कदम पर हमारा साथ दिया और अनेकों आर्थिक विषमताओं के होते हुए भी पत्र को निरंतर प्रकाशित कराते रहने में अपनी भूमिका का सराहनीय प्रदर्शन किया।
मैं अपने सभी सम्मानित साथियों और पाठकों से यह अनुरोध भी करता हूं कि संघर्ष अभी रूका नहीं है। क्योंकि भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में जितने भी सफल और सार्थक प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों लोगों के द्वारा किए जा रहे हैं उन सबको धता बताने के लिए भी उतने ही स्तर पर नकारात्मक विध्वंसात्मक शक्तियां अपना कार्य कर रही हैं। देश से हिंदुत्व को मिटाने की हर चंद कोशिश की जा रही है। आर्य संस्कृति का विलोपीकरण करने और फिर से मुगलिया राज्य स्थापित करने की नकारात्मक शक्तियां भी अपना काम करने से पीछे नहीं रहती हैं। आतंकवाद और लव जिहाद जैसी घटनाएं भी देश को आगे बढ़ने से रोकने के लिए की जा रही हैं । ऐसे में शत्रु और शत्रु के इरादे को पहचानने की आवश्यकता है । सबको सामूहिक प्रयास कर एकता का प्रदर्शन करते हुए सरकार के उन राष्ट्रवादी कार्यों और कार्यशैली का स्वागत और अभिनंदन करना चाहिए जो इन शत्रुओं या षड्यंत्रकारियों से सामना करने के लिए तैयार की जा रही हैं। याद रहे कि राजनीति इस समय अपने सबसे घृणित स्वरूप में और निम्नतम स्तर पर खड़ी हुई है । विपक्ष अपनी भूमिका को भूल कर देश को तोड़ने वाली शक्तियों का साथ दे रहा है। इसलिए राजनीति के इस घृणित स्वरूप को राष्ट्रीय पटल से हटाने के लिए भी ‘उगता भारत’ को अपने पाठकों के प्यार और आशीर्वाद की आवश्यकता है। इस समाचार पत्र के 11 वर्ष सम्पन्न होने के इस पावन अवसर पर मैं आशा और अपेक्षा करता हूं कि आपका यह प्यार और शुभ आशीर्वाद निरंतर हमें प्राप्त होता रहेगा। साथ बनाए रखिए और हाथ पकड़े रखिए। हम सब मिलकर एक नए भारत, उदित भारत, समर्थ भारत , समृद्ध भारत, विश्व गुरु भारत का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
इस अवसर पर मैं अपने प्रिय अनुज डॉ राकेश कुमार आर्य को भी उनके कुशल संपादन और 55 वें जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं , जिसके 44 वें जन्म दिवस के अवसर पर इस पत्र का शुभारंभ 17 जुलाई 2010 को हुआ था।
‘इक पौधा था जो रोप दिया,
खुशबू फैलायेगा जग में।
इक आशा है जो कहती है
बसाए रखना अपने मन में।।
आशीष आपका मिला रहा
तूफानी रण स्थल में ।
कृपा प्रभु की बनी रहे
यही भाव छुपे अंतस्तल में।।”
देवेंद्र सिंह आर्य
चेयरमैन : उगता भारत