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संस्कृत भाषा है सभी भाषाओं की जननी और संरक्षिका : डॉ मुकेश कुमार ओझा

 

पटना। 15जुलाई। भारतीय अध्यात्म विज्ञान,दर्शन एवं योग की विस्तृत रूप से जानकारी देने वाली और विश्व की सभी भाषाओं की जननी व संरक्षिका संस्कृत भाषा का सभी भारतवासियों को ज्ञान होना चाहिए। इस भाषा में अभिव्यक्ति के बिना भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। क्योंकि यह भाषा ज्ञान विज्ञान की भाषा है, जो भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान से परिपूर्ण है। इसमें अध्यात्म और भौतिकवाद का अद्भुत समन्वय पाया जाता है। जबकि विश्व की अन्य भाषाओं में ऐसा समन्वय देखने को नहीं मिलता । भारत सरकार विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों तथा विद्यालयों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य कर देना चाहिए। यह भाषा मानवता का संदेश देती है। इस भाषा को व्यवहार की भाषा बनाने के लिए पं अम्बिका दत्त व्यास आजीवन प्रयास करते रहे।
यह विचार शिविर के प्रशिक्षक एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा, प०अम्बिका दत्त व्यास स्मृति दशदिवसात्मक संस्कृत संभाषण शिविर में आठवें दिन शिविर के सदस्यों को संस्कृत में बोलते हुए व्यक्त किए।
यह शिविर सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना की ओर से आनलाइन चल रहा है। जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लोग उत्साह के साथ संस्कृत बोलना सीख रहे हैं। इस शिविर में चित्रकूट से डॉ प्रमिला मिश्र, गया से डॉ एकता वर्मा एवं डॉ ममता मेहरा, सिद्धार्थनगर से डॉ सुनीता देवी, जमशेदपुर से डॉ शालिग्राम विनीत मिश्र, पटना से डॉ रागिनी वर्मा,(सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में संस्कृत एवं हिंदी में प्रोफेसर), पटना से डॉ रम्भा कुमारी, डॉ सुलक्ष्मी कुमारी, रामनाथ पाण्डेय, डॉ माधुरी भट्ट,घनेन्द्र मंडन,नेहा वालिया, सिमरन कौर, शिवनारायण साह, रश्मि त्रिपाठी, झारखंड से डॉ श्रुति कर्ण, डॉ जुशु रश्मि, दरभंगा से देवी प्रभा, दिल्ली से सोम्य भास्कर, मुम्बई से कल्याणी कुलकर्णी,डिहरी से अखिलेश कुमार पाण्डेय,आरा से सावित्री कुमारी, दरभंगा से रश्मि कुमारी, मधुबनी से अभय कांत झा लखनऊ से डॉ ज्योति गौतम सिंह के साथ डा शिववंश पाण्डेय, अध्यक्ष विहार संस्कृत संजीवन समाज, डॉ जंगबहादुर पाण्डेय,प्रत्यूष शुभम् पल्लवी किरण,भी संस्कृत संभाषण उपस्थित थे।

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