मोनिका शर्मा
पिछले दिनों एक खबर आई कि राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक महिला को तीन महीने तक लोहे की सांकलों से बांधकर पीटा जाता रहा। पति और बेटे समेत परिवार के पांच लोगों ने उसे बेड़ियों में जकड़ कर रखा था। उन्हें उसके चरित्र पर शक था, जिसके चलते उस महिला के साथ उन्होंने ऐसा व्यवहार किया। मां की देखभाल के लिए पीहर जाने को लेकर पति ने उस पर शक किया।
रिश्तों में भरोसे की बुनियाद अब खोखली हो रही है। जीवन भर का साथ कहे जाने वाले रिश्ते में कभी पति का अहम तो कभी वहम औरत का जीना दुश्वार कर देता है। ऐसे ही पिछले दिनों मध्य प्रदेश के धार में बिना बताए रिश्तेदार के यहां जाने के कारण परिजनों ने अपनी दो लड़कियों को सरेआम लाठी-डंडों से जमकर पीटा। इन लड़कियों के पिटने का विडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है। अपनों के इस व्यवहार की एक वजह लड़कियों का फोन पर बात करना भी है। यह मामला बताता है कि संदेह भरी सोच पिता-भाई को भी बर्बर बना देती है।
वहमी सोच के चलते मारपीट, हत्या, एसिड अटैक और यहां तक कि ऑनर किलिंग जैसे मामले भी आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। दुख की बात यह भी है कि शक्की सोच के इस संक्रमण के चलते अशिक्षित घरों में ही नहीं, उच्च शिक्षित परिवारों में भी सजा देने के नाम पर औरतों के साथ बर्बरता के ढेरों वाकए सामने आ चुके हैं। किरदार पर शक भर किए जाने की बदौलत किसी महिला को सजा दिए जाने के फैसले तो बाकायदा पंचायतों में सुनाए गए हैं।
अफसोस है कि महानगरों से लेकर गांवों-कस्बों तक अपनों की शक्की सोच के चलते महिलाओं के सामने कभी स्कूल, नौकरी और कभी-कभी घर तक छोड़ने के हालात बन जाते हैं। कमोबेश हर उम्र, हर तबके की महिलाएं अपनों के वहम की बेड़ियों में जकड़ी हैं, जबकि सुरक्षा, सम्मान और विश्वास का भाव सबसे ज्यादा घर और अपनों से ही जुड़ा होता है। मगर ऐसे वाकए बताते हैं कि परिवार, जीवनसाथी और समाज की महिलाओं को लेकर जो सोच है, उसके कितने भयावह पहलू हैं। आए दिन सामने आने वाली ऐसी घटनाओं के चलते साथ, सहयोग और आपसी समझ की सोच हर मोर्चे पर जंजीरों में बंधी दिखती है। बदलाव के नाम पर कुछ बदलता नजर नहीं आता। बंधी-बंधाई मानसिकता का ही तो नतीजा है कि प्रतापगढ़ में महज चरित्र पर शक की वजह से उस महिला को यूं सांकलों में बांधकर पीटा गया और पीटने वालों में उसका बेटा भी शामिल था।
पिछले कुछ वर्षों में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, अधिकतर मामलों में अवैध संबंधों को लेकर शक किया जाता है। हॉटस्टार के ‘आउट ऑफ लव’ सर्वे के अनुसार, शादीशुदा जोड़ों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। सर्वे बताता है कि 45 फीसदी भारतीय गोपनीय तरीके से अपने साथी के फोन की जांच करना चाहते हैं और 55 प्रतिशत पहले ही ऐसा कर चुके हैं। पुरातनपंथी सोच के ताने-बाने के साथ तकनीक ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीते साल राजस्थान में एक शख्स ने शक के कारण अपनी पत्नी की जान ले ली। जांच में पता चला कि मृतक पत्नी सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय थी, फेसबुक पर उसके करीब 6 हजार फॉलोअर्स थे। वर्चुअल दुनिया में मौजूदगी के कारण पति अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह करने लगा और उसकी हत्या कर दी। संदेही सोच के साथ जुड़े सामंतवादी रवैये का ही परिणाम है कि शक भर होने से किसी महिला को डायन बताकर उसकी जान ले ली जाती है। पुरातन सोच वाले समाज से लेकर प्रोग्रेसिव विचारों के परिवेश तक, स्त्रियों के लिए मुसीबतें बरकरार हैं।
कहने को बीते डेढ़ साल की विपदा ने एक-दूजे का साथ देने का पाठ पढ़ाया है, लेकिन एक औरत का अपनी ही अकेली मां की देखभाल करने जाना भी बेड़ियों में जकड़े जाने जैसी गलती बन गया। बेटियों का फोन पर बात करना लाठी-डंडों से उनकी बर्बर पिटाई की वजह हो गया। वजह संदेह भरी सोच, जिसका इलाज अगर कुछ है तो यह कि पुरुषवादी सोच बदलनी चाहिए।