ईसाइयत और इस्लाम में मतांतरण एक ‘धार्मिक आदेश एवं कर्तव्य’
संजय सक्सेना
मतांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के इस्लामिक दावा सेंटर के मौलानाओं से जैसी जानकारियां सामने आ रही हैं, वे न केवल चौंकाने वाली, बल्कि यह इंगित करने वाली भी हैं कि यह धंधा एक बड़ी साजिश के तहत बड़े पैमाने पर चल रहा था।
उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने यह खुलासा करके चौंका दिया है कि धर्मांतरण कराने वाले गैंग के तार हवाला रैकेट से जुड़े हुए हैं। अहमदाबाद में पकड़े गए मोहम्मद उमर गौतम के सहयोगी सलाउदीन के जरिए एसटीएफ इस गैंग को विदेशों से मिल रही फंडिंग के बारे में जल्द ही बड़ा खुलासा कर सकती है। यूपी एटीएस 21 जून को जब से अवैध धर्मांतरण मामले का खुलासा किया है, तब से अब तक कुल 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसमें उमर गौतम और जहांगीर के अलावा मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, इरफान शेख, राहुल भोला, सलाउद्दीन शामिल हैं लेकिन बड़ी बात ये है कि धर्मांतरण का ये जाल यूपी ही नहीं दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, बिहार और गुजरात समेत देश के 24 राज्यों तक फैला हुआ हैं। धर्मांतरण का खेल हवाला के जरिए विदेशी धन से किया जा रहा था।
अनैतिक हथकंडे अपना कर धर्मांतरण कराने वाला गिरोह अब तक एक हजार से अधिक लोगों का अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन करा चुका है। सबसे शर्माना बात यह है कि इस साजिश का शिकार वह मूक बधिर छात्र और बच्चे हुए जिनके माता-पिता आर्थिक रूप से काफी कमजोर थे। इन बच्चों और महिलाओं का नौकरी, शादी का लालच देकर धर्मांतरण कराया गया था। इसके लिए आईएसआई और विदेशों से फंडिंग हो रही थी। धर्मांतरण मामले में एटीएस ने सबसे पहली दो गिरफ्तारियां जामिया नगर नई दिल्ली से जहांगीर और उमर गौतम नाम के दो अभियुक्तों की की थी। इन पर आरोप है कि इन लोगों ने प्रदेश में धर्मांतरण कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। जहांगीर और उमर गौतम से पूछताछ में यूपी एटीएस को यह भी जानकारी मिली थी कि इसमें इस्लामिक दावा सेंटर नाम की संस्था शामिल है, जिसका संचालन उमर गौतम कर रहा था। गौतम से पूछतांछ के बाद 28 जून को यूपी एटीएस ने हरियाणा के गुरुग्राम से मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, महाराष्ट्र के बीड से इरफान शेख और दिल्ली से राहुल भोला नाम के तीन आरोपियों को अवैध धर्मांतरण केस में गिरफ्तार किया था। इनकी गिरफ्तारी मुख्य आरोपी मौलाना उमर गौतम और जहांगीर से रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर की गई थी।
धर्मांतरण मामले में सबसे अहम गिरफ्तारी 30 जून को गुजरात के वड़ोदरा से हुई। अवैध धर्मांतरण के मामले में लखनऊ जेल में बंद आरोपी मोहम्मद उमर गौतम को हवाले के जरिए रकम भेजने वाले आरोपी सलाउद्दीन को गुजरात के बड़ोदरा से गिरफ्तार कर लिया था। इस्लामिक दावा सेंटर से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर कासमी से हुई पूछताछ के आधार पर यह कहा जा रहा है कि करीब 500 बच्चे और महिलाएं अभी तक धर्मातंरण गैंग की शिकार हो चुकी हैं। धर्मांतरण के शिकार हुए लोगों में सबसे अधिक 156 लोग दिल्ली के हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 122 लोग शामिल हैं। ये वो लोग है, जो हिन्दू से मुस्लिम बने हैं, इनमें से करीब 50 सिर्फ फतेहपुर और दो लखनऊ के रहने वाले हैं। गुजरात से गिरफ्तार आरोपी सलाउद्दीन ने डेढ़ साल में करीब 28 लोगों को तो उमर गौतम और जहांगीर ने 33 लोगों का कराया धर्म परिवर्तन कराया था। गृह विभाग की मानें तो 7 दिन के पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए इस्लामिक दावा सेंटर से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर कासमी द्वारा बीते डेढ़ साल में करवाए गए धर्मांतरण के 81 पन्ने का विवरण भी सामने आया है, जो काफी चौंकाने वाला है। मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के दस्तखत से 7 जनवरी 2020 से 12 मई 2021 के बीच 33 लोगों का धर्मांतरण करवाया गया, जिनमें 18 महिलाएं और 15 पुरुष शामिल हैं। वहीं राज्यों की बात करें तो सर्वाधिक धर्मांतरण दिल्ली से 14, उत्तर प्रदेश से 9, बिहार से 3, एमपी से 2 और गुजरात, महाराष्ट्र, असम, झारखंड और केरल से 1-1 व्यक्ति ने इस दौरान धर्मांतरण कर इस्लाम स्वीकार किया, जिन 33 लोगों के धर्मांतरण का ब्यौरा सामने आया है उनमें सिर्फ एक व्यक्ति जो यूपी में बुलंदशहर के खुर्जा का रहने वाला है सबसे कम पढ़ा लिखा छठवीं पास था, जिसने हाल ही में 8 जून 2021 को 28 साल की उम्र में धर्मांतरण किया। धर्मांतरण कराने वालों में चिकित्सक, इंजीनियर और पीएचडी होल्डर तक शामिल थे। धर्म बदलने वालों में सरकारी नौकरी करने वाले, बीटेक तक पढ़ाई कर चुका शिक्षक, एमबीए पास कर नौकरी कर रहा युवक, सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, दिल्ली के अस्पताल की स्टाफ नर्स, गुजरात का एमबीबीएस डॉक्टर, इलेक्ट्रिकल्स में डिप्लोमा होल्डर एमफार्मा, पीएचडी कर चुके युवा तक शामिल हैं। सभी ने इस्लामिक दावा सेंटर के निर्धारित धर्मांतरण फार्म के साथ एक एफिडेविट भी लगा कर दिया है, जिसमें वो लिखित तौर पर कह रहे हैं कि वह बिना किसी लालच या भय के अपना मूल धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार करते हैं।
बहरहाल, छल-कपट और लोभ-लालच से मतांतरण कराने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के इस्लामिक दावा सेंटर के मौलानाओं से जैसी जानकारियां सामने आ रही हैं, वे न केवल चौंकाने वाली, बल्कि यह इंगित करने वाली भी हैं कि यह धंधा एक बड़ी साजिश के तहत बड़े पैमाने पर चल रहा था। भले ही कुछ उन लोगों की पहचान कर ली गई हो, जिनका मतांतरण कराया जा चुका है, लेकिन अभी यह कहना कठिन है कि इस गिरोह की जड़ें कितनी गहरी हैं और उनसे जुड़े लोग कितने लोगों का मतांतरण करा चुके हैं। इसकी अच्छी-खासी आशंका है कि जैसे नोएडा के मूक-बधिर छात्रों का मतांतरण कराया गया, वैसे ही देश के अन्य ऐसे ही विद्यालयों के छात्रों को निशाना बनाया गया हो। मूक-बधिर छात्रों के मतांतरण कराने का मकसद कुछ भी हो, इससे अधिक अमानवीय एवं अधार्मिक और कुछ नहीं हो सकता कि समाज के सबसे कमजोर तबके को कुत्सित इरादों के लिए इस्तेमाल किया जाए। सबसे खतरनाक बात यह है कि पुलिस के हाथ आए मौलानाओं का मकसद केवल मूक-बधिर छात्रों का मतांतरण कराना ही नहीं था, बल्कि उनकी सहायता से समाज और देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देना भी था। स्पष्ट है कि इस मतांतरण गिरोह की तह तक जाने और उसके मददगारों की पहचान करने की भी जरूरत है।
उत्तर प्रदेश पुलिस का यह अंदेशा सच साबित हुआ है कि उसके हत्थे चढ़े मतांतरण गिरोह को विदेश से आर्थिक सहायता मिल रही थी, तो इसका मतलब होगा कि देश विरोधी कार्यों के लिए विदेश से आने वाले धन की आमद पर अभी भी प्रभावी रोक नहीं लगी है। साफ है कि केंद्रीय एजेंसियों को नए सिरे से चेतना होगा। इसके अलावा सभी राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी इसके लिए सक्रिय होना होगा कि मतांतरण के घिनौने धंधे पर प्रभावी रोक कैसे लगाई जाए? धर्म प्रचार के नाम पर कुत्सित इरादों से कराया जाना वाला मतांतरण एक तरह से राष्ट्रांतरण का कृत्य है। दुर्भाग्य से देश में कई संगठन-समूह गुपचुप रूप से मतांतरण कराने में लगे हुए हैं। ऐसे तमाम समूह ईसाई और इस्लामी धर्म प्रचारकों के समर्थन और संरक्षण से चलाए जा रहे हैं, क्योंकि ईसाइयत और इस्लाम में मतांतरण एक धार्मिक आदेश एवं कर्तव्य है।
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