तीसरी लहर से निपटने के लिए ‘टीकाकरण’ बुनियादी सुरक्षा कवच
विवेक सिंह
कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच डेल्टा प्लस वेरिएंट का संक्रमण कई देशों में देखा जा रहा है। भारत में भी 12 राज्यों में डेल्टा प्लस से संक्रमित मरीज मिले हैं। अगले 2-3 महीनों में टीकाकरण बहुत तेजी से करना होगा। टीके को लेकर कुछ भ्रांतियां भी फैली हैं, जो कि निराधार हैं। सरकार का प्रयास हो कि तीसरी लहर के आने से पहले अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण कर उन्हें सुरक्षित कर दिया जाए। दूसरी लहर की त्रासदी को देखते हुए टीके ही बचाव के एकमात्र उपाय हैं। दूसरी लहर की भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में ऐसा कोई परिवार नहीं बचा होगा, जिसने अपने प्रियजन या जानने वालों को ना खोया हो। तीसरी लहर से निपटने के लिए टीकाकरण बुनियादी सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगा।
वर्ष 2020 में भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में दर्ज किया गया था। इस साल अप्रैल-मई के महीने में कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी। 1 दिन में 4.2 लाख तक नये कोरोना के मामले आ रहे थे। अमेरिका में भी पहली लहर जुलाई, 2020 में चरम पर थी, लगभग 6 महीने बाद जनवरी, 2021 में दूसरी लहर पीक पर थी। तीसरी लहर आने में ज्यादा समय नहीं लगा, 3 महीने के अंदर अप्रैल में तीसरी लहर अपने पीक पर थी। भारत में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला है।
देश में पहली लहर सितंबर, 2020 में अपने पीक पर थी। जनवरी की शुरुआत में कोरोना पर नियंत्रण पा लिया गया। फरवरी से दूसरी लहर की शुरुआत हो गई, अप्रैल, 2021 में दूसरी लहर अपने चरम पर थी। यदि ऐसा ही ट्रेंड रहा तो आगामी कुछ महीनों में तीसरी लहर अपनी दस्तक दे सकती है।
अभी तक महामारियों के संबंध में जो ज्ञात इतिहास है, उसके अनुसार दूसरी लहर पहली लहर से अधिक खतरनाक होती है, जबकि तीसरी लहर दूसरी लहर से कम खतरनाक होती है। फिलहाल कोरोना के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता क्योंकि कोरोना का वायरस लगातार अपने रूप बदल रहा है। वायरस का नया वेरिएंट पहले से अधिक खतरनाक और संक्रामक है। अभी डेल्टा प्लस वेरिएंट सबसे ज्यादा खतरनाक बताया गया है जो एक चिंता का विषय है। अभी से यह अनुमान लगाना कि तीसरी लहर दूसरी लहर के मुकाबले कम खतरनाक होगी या ज्यादा खतरनाक, उचित नहीं है। सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन, दवा, वेंटिलेटर जैसे अन्य मेडिकल उपकरणों की कोई कमी न हो।
गांव के लोग शिक्षित कम हैं। स्मार्टफोन और इंटरनेट की व्यवस्था सभी के पास नहीं है। ग्राम स्तर पर टीकाकरण की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। लोगों के लिए वैक्सीनेशन सेंटर 5 किलोमीटर से दूर नहीं होना चाहिए। ऐसे लोग जो कोविन पर रजिस्ट्रेशन नहीं करवा सकते, उनके लिए सीधे वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर तुरंत वैक्सीन लगवाने की व्यवस्था होनी चाहिए। 23 जून, 2021 तक 32.2 करोड लोग ‘कोविन’ पर रजिस्टर्ड हुए हैं, उनमें से 19 करोड़ से अधिक लोग नॉन डिजिटल तरीके से रजिस्टर्ड हैं। हाल में ही सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे लोग जो सेल्फ रजिस्ट्रेशन कोविन पर नहीं करा सकते, सीधे वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कोविन पर करवा सकते हैं।
गांव के लोगों में कोरोना को लेकर जागरूकता की कमी दिखाई पड़ रही है। बीमारी को हल्के में लिया जा रहा है। ग्रामीण लोग कोरोना की जांच कराने और टीके लगवाने में कतरा रहे हैं। वैक्सीन को लेकर भी उनमें अनेक प्रकार की भ्रांतियां हैं, जिसको समय पर दूर करना नितांत आवश्यक है। देश की 70 फीसदी से अधिक आबादी 6 लाख गांवों में बसती है। सरकार को गावों पर विशेष ध्यान देना होगा। राजनीतिक दलों द्वारा कोरोना और वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाया गया, इसका असर कहीं न कहीं भोलीभाली ग्रामीण जनता पर देखने को मिल रहा है। टीकाकरण को लेकर उदासीनता है।
एक रिसर्च के अनुसार एक व्यक्ति की लापरवाही या टीका न लेने की वजह से कम से कम 8 व्यक्ति डेल्टा प्लस वेरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं। टीके न लेने वाले लोग न केवल अपने और अपने परिवार के लिए संक्रमण का खतरा उत्पन्न कर रहे हैं बल्कि समाज के लिए भी कोरोना संक्रमण के कारक बने हुए हैं। आने वाले समय में स्थिति से निपटने के लिए सरकार को ‘भय बिन होय न प्रीति’ की नीति अपनानी पड़ सकती है। ऐसे लोग जो टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं हो रहे हैं या टीका लेने में आनाकानी कर रहे हैं, उन्हें सरकार से मिलने वाले सभी लाभों से वंचित करने की चेतावनी देनी चाहिए।
देश को तीसरी लहर से होने वाली परेशानियों से बचाने के लिए एक ही रास्ता है, अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण। फर्जी वैक्सीन लगने के अनेक मामले सामने आ रहे हैं जो चिंता का विषय है।