सुरेश एस डुग्गर
जम्मू के वायुसैनिक हवाई अड्डे पर हुए फिदायीन ड्रोन हमलों तथा उसके बाद जम्मू शहर व सीमांत क्षेत्रों में स्थिति कई मिलिट्री स्टेशनों को फिदायीन ड्रोनों से उड़ा देने की नाकाम कोशिशों के उपरांत सेना अब इनसे निपटने की तैयारी में जुट गई है।
सच यह है कि जमीन के रास्ते फिदायीन आतंकियों को इस ओर भेज कर हमले करवाने में आ रही मुश्किलों के चलते अब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में फिदायीन ड्रोनों के माध्यम से कहर बरपाने की पूरी तैयारी कर ली है। उसने अपने यहां चीन से पिज्जा डिलीवरी की आड़ में खरीदे गए सैंकड़ों ड्रोन आतंकी गुटों को दिए हैं जिन्होंने उन्हें फिदायीन ड्रोनों में तब्दील कर दिया है। रक्षा सूत्रों के बकौल, पिछले कुछ अरसे में जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर पर हथियार गिराने में कामयाब रहे ड्रोनों में से जो मार गिराए गए थे उनका पोस्टमार्टम इस बात को साबित करता था कि पाकिस्तान ने उन्हें असैम्बल किया था ताकि एजेंसियों को यह पता लगाने में मुश्किल हो कि आखिर यह कहां से आए हैं।
पर जम्मू के वायुसैनिक हवाई अड्डे पर हुए फिदायीन ड्रोन हमलों तथा उसके बाद जम्मू शहर व सीमांत क्षेत्रों में स्थिति कई मिलिट्री स्टेशनों को फिदायीन ड्रोनों से उड़ा देने की नाकाम कोशिशों के उपरांत सेना अब इनसे निपटने की तैयारी में जुट गई है। नाम न छापने की शर्त पर एक सेनाधिकारी का कहना था कि रक्षा संस्थानों को अब जमीन और हवाई मार्ग से होने वाले संभावित फिदायीन हमलों की खातिर उपकरण जुटाने पड़ रहे हैं जिस कारण सुरक्षाबलों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।
हालांकि अधिकारी यह सुनिश्चित तौर पर बताने में असमर्थ थे कि पाकिस्तान ने सीमा के उस पार सक्रिय आतंकी गुटों को कितने फिदायीन ड्रोनों को सौंपा है पर सोशल मीडिया तथा इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के बकौल, चीन ने सैंकड़ों की संख्या में फिदायीन ड्रोन पाकिस्तान को मुहैया करवाए हैं। साथ ही उन्हें फिदायीन ड्रोनों में बदलने की ट्रेनिंग भी दी गई है। जानकारी के लिए चीनी सेना ने पिछले दिनों एक साथ 3600 ड्रोनों को एक साथ और एक ही कंट्रोल से उड़ा कर पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था और अब पाकिस्तान ने जम्मू में इन ड्रोनों से फिदायीन हमला कर भारतीय सुरक्षाबलों को अचम्भे में डाल दिया है।
फिदायीन ड्रोन जम्मू-कश्मीर में जी का जंजाल बन गए हैं। यह सच है कि जम्मू-कश्मीर में ड्रोन नए खतरे के रूप में सामने आए हैं। दरअसल इन ड्रोनों ने अब हथियारों, मादक पदार्थों की डिलीवरी से बम हमलों तक का सफर सफलतापूर्वक तय कर लिया है। जम्मू के अतिसंवेदनशील इलाकों में लगातार चौथे दिन ड्रोन मंडराते हुए दिखे हैं।
पहली बार देश के किसी वायुसैनिक हवाई अड्डे पर ड्रोन से हुए बम हमले ने सुरक्षा व्यवस्था और एयर डिफेंस सिस्टम की स्टीकता पर भी सवाल उठा दिए हैं। यह उन दावों की पोल भी खोल देते हैं जिनमें अकसर सुरक्षा एजेंसियां दावा करती हैं कि एंटी ड्रोन टैक्नोलाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जम्मू के सभी सीमावर्ती इलाकों में इसे स्थापित किया गया है और यही कारण है कि ड्रोन से हथियार व नशीले पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगा है, जबकि आए दिन ड्रोन सीमावर्ती इलाकों में देखे जा रहे हैं।
25 फरवरी 2021 को भारत-पाकिस्तान के बीच 2003 के सीजफायर के समझौते को फिर से लागू किए जाने के बाद यह बड़ा आतंकी हमला है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, हमले का निशाना और उसका तरीका तय करता है कि वह कितना बड़ा है। उन्होंने कहा कि यह वायुसेना की प्रतिरक्षा प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बरती जा रही चौकसी में लापरवाही की तरफ भी हमारा ध्यान दिलाता है। हालांकि अब सुरक्षाकर्मियों को हवा में किसी भी संदिग्ध वस्तु को देखते ही उसे मार गिराने को कहा गया है। ड्रोन हमले की चुनौती से निपटने के लिए सेना की 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में नई रणनीति बनाई गई है।
सूत्रों ने बताया कि एलओसी समेत वादी के सभी संवेदनशील इलाकों में एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह चाक-चौबंद बनाया गया है। इसके अलावा सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और सैन्य शिविरों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर ड्रोन हमले की आशंका के मद्देनजर उसमें व्यापक सुधार लाया गया है। सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वह आसमान में किसी भी संदिग्ध वस्तु को देख उसे मार गिराएं, विशेषकर जो किसी संवेदनशील प्रतिष्ठान के आस-पास उड़ रही हो।
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने ड्रोन हमले से पैदा हालात पर चिनार कोर मुख्यालय में हुई बैठक की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय की अध्यक्षता में सभी सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले पर गहन विचार-विमर्श किया है। यह अत्यंत संवेदनशील और खतरनाक मामला है। इसका जवाब अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के सहारे ही दिया जा सकता है और यही बैठक में सभी की राय थी।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि अगर यह ड्रोन हमला है तो इसके विभिन्न पहलुओं की गहन जांच जरूरी है। यह हमला सिक्योरिटी सिस्टम पर सवाल उठाता है। पाकिस्तान में बैठे आतंकी अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 20-25 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय वायुसेना के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला करें और उसमें पाकिस्तानी सेना का सहयोग न हो, यह कैसे हो सकता है। आतंकियों को इस तरह का ड्रोन और टेक्नोलाजी पाकिस्तानी सेना ने ही दी है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर यह कहा जाएगा कि जम्मू में ही एयरपोर्ट के आस-पास किसी सक्रिय आतंकी ने यह काम किया है, तब भी यह हमारी नाकामी कही जाएगी और उसके पास भी यह ड्रोन और विस्फोटक पाकिस्तानी सेना की मदद से ही पहुंचा है।
यह भी सच है कि पाकिस्तान प्रदेश में हथियारों व मादक पदार्थों की सप्लाई के लिए ड्रोन का खुला इस्तेमाल कर रहा है। प्रदेश में इंटरनेशनल बॉर्डर तथा एलओसी पर पिछले डेढ़ साल में उसने 8 बार ऐसी कामयाब डिलीवरी भी की हैं और अब पहली बार सफलतापूर्वक ड्रोन से बम हमला भी कर दिया है।
यह तथ्य चौंकाने वाला है कि जम्मू का वायुसैनिक हवाई अड्डा हमेशा पाक सेना के निशाने पर रहा है जो इंटरनेशनल बॉर्डर की जीरो लाइन से जमीनी मार्ग से 14 किमी दूर है तो हवाई दूरी मात्र 5 किमी की है। लेह लद्दाख, करगिल और सियाचिन हिमखंड के ठिकानों तक रसद पहुंचाने में यह अपनी अहम भूमिका निभाता है तो कश्मीर में फैले आतंकवाद के दौरान भी यह सुरक्षाबलों के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है। अब इसे ड्रोन बम हमलों से निशाना बना कर पाक सेना ने भारतीय सेना व वायुसेना के लिए एक नया चुनौती भरा मोर्चा जरूर खोल दिया है।