दलित – आदिवासियों के कारण बड़ी देश की आबादी, मुसलमान बेकार में किए गए बदनाम : सपा विधायक इकबाल महमूद का विवादित बयान
समाजवादी पार्टी के आलाकमान से लेकर छोटे-बड़े नेताओं में विवादित बयान देने को लेकर होड़ लगी है। हर कोई अपनी गलतबायनी से पार्टी का सबसे बड़ा झंडाबरदार बनने में लगा है। अब विधायक इकबाल महमूद ने देश में जनसंख्या वृद्धि का ठीकरा दलित और आदिवासियों पर फोड़ दिया हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमान जनसंख्या नहीं बढ़ा रहे हैं बल्कि इसके पीछे प्रमुख कारण कारण दलित और आदिवासी हैं। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की आड़ में मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश हो रही है।
संभल से सपा विधायक और विधानसभा में विपक्ष के उपनेता इकबाल महमूद ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यदि राज्य सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाती है तो सपा उसका कड़ा विरोध करेगी और उसका हाल असम की एनआरसी की तरह ही हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार जनसंख्या नियंत्रण की आड़ में मुस्लिमों पर हमला कर रही है और जनसंख्या नियंत्रण कानून को मुस्लिमों को ध्यान में रखकर ही लाया जा रहा है। महमूद ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को चुनावी मुद्दा बताते हुए कहा कि भाजपा इस कानून के जरिए अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है और समाज को बाँटना चाहती है।
यह पहली बार नहीं है कि सपा के नेताओं ने अजीबोगरीब बयान दिया हो। संभल से ही सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है बल्कि ‘अल्लाह का अजाब’ है जो अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाकर माफी मांगने से खत्म होगी। इसके पहले सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन ने विवादित और गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया था। हसन ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान हुई मौतों और पिछले दिनों देश में आए दो चक्रवातों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि भाजपा सरकार ने शरीयत में दखल दी है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी किसी से पीछे नहीं है। उन्होंने ही वैक्सीन को लेकर विवादित बयान देकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी। जनवरी 2021 में अयोध्या से आए संतों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने ‘कोरोना वैक्सीन’ को ‘बीजेपी वैक्सीन’ बताकर इसे नहीं लगाने का ऐलान कर दिया था। इससे पहले अखिलेश ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि सीएए और एनआरसी के जरिए पूरे देश में कोरोना जैसी बीमारी फैलायी जा रही है। पूरे देश को आन्दोलित कर रखा है और इससे अव्यवस्था उत्पन्न हो गई है।
उत्तर प्रदेश की बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाने के लिए राज्य का विधि आयोग एक कानून के मसविदे पर विचार कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल के मुताबिक, राज्य की जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए आयोग ने कानून के प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है। यह मसविदा दो महीने के अंदर तैयार करके राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा। इससे उम्मीद जतायी जा रही है कि देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य में 2 से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।