क्या है राफेल का कोड चेंज करने का मामला ?

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आज मोदी विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्यों विरोध करते हैं, इस मामले की जितनी गहराई में जाओगे, उतनी मोदी विरोधियों की जनसेवा के नाम पर देश विरोधी हरकतें ही सामने आएंगी, जिनसे आज तक जनता अनजान है और मोदी विरोधियों के दुष्प्रचार से भ्रमित होकर शिक्षित होते हुए भी अनजान बन रहे हैं।

किसने मना किया कि प्रधानमंत्री मोदी का विरोध मत करो, लेकिन उस विरोध का आधार होना चाहिए। कोई खोजी पत्रकार भी सच्चाई सामने लाने का प्रयास नहीं करता, क्यों? क्या ब्रह्मोस केवल गणतंत्र दिवस परेड के लिए बना था?

बात शुरू होती है अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार से! तब अटल जी के विशेष अनुरोध पर, भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्रम्होस मिसाइल तैयार की थी! 

ब्रम्होस की काट आज तक दुनिया का कोई देश तैयार नहीं कर सका है!

विश्व के किसी देश के पास अब तक ऐसी कोई टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हुई जो ब्रम्होस को अपने निशाने पर पहुँचने से पहले रडार पर ले सके!

अपने आप में अद्भुत क्षमताओं को लिये ब्रम्होस ऐसी परमाणु मिसाइल है जो 8000 किलोमीटर के लक्ष्य को मात्र 140 सेकेंड में भेद सकती है।

और चीन के लिये ब्रम्होस की यह लक्ष्य भेदन क्षमता ही सिरदर्द बनी हुई है। न चीन आज तक ब्रम्होस की काट बना सका है, न ऐसा रडार सिस्टम जो ब्रम्होस को पकड़ सके!

अटल जी की सरकार गिरने के बाद, सोनिया के कहने पर, कांग्रेस सरकार ने ब्रम्होस को तहखाने में रखवा कर आगे का प्रोजेक्ट बन्द करवा दिया!

जिसमें ब्रम्होस को लेकर उड़ने वाले फाइटर जेट विमान तैयार करने की योजना थी जो अधूरी रह गयी।

ब्रम्होस का विकास रोकने के लिए चीन ने ना जाने कितने करोड़ रुपये-पैसे सोनिया को दिए होंगे!

दस वर्षों बाद, जब मोदी सरकार आई, तब तहखाने में धूल-गर्द में पड़ी ब्रम्होस को सँभाला गया! वह भी तब, जब मोदी खुद भारतीय सेना से सीधा मिले, तो सेना ने तब व्यथा बताई!

वर्तमान में ब्रम्होस को लेकर उड़ सके ऐसा सिर्फ एक ही विमान है और वह है राफेल!

जी हाँ दुनिया भर में सिर्फ राफेल ही वो खूबियाँ लिये हुए है, जो ब्रम्होस को सफलता पूर्वक निशाने के लिये छोड़ कर वापस लैंड करके मात्र ४ मिनट में फिर अगली ब्रह्मोस को लेकर दूसरे ब्लास्ट को तैयार हो जाये!

मोदी ने फ्रांस से डील करके, राफेल को भारतीय सेना तक पहुँचाने का काम कर दिया, और यहीं से असली मरोड़ चीन और उसके पिट्ठू वामपंथियों को हुई।

इसमें देशद्रोही पीछे कैसे रहते! जो विदेशी टुकड़ों पर पलने वाले गद्दार अपने आका चीन के नमक का हक अदा करने मैदान में उतर आये!

खैर .. शायद भारतीय सेना और मोदी दोनों इस तरह की आशंका को भाँप गये ! तो राफेल के भारत पहुँचते ही उसका ब्लैक बॉक्स सहित पूरा सिस्टम निकाला गया।

राफेल के कोड चेंज कर के उस में भारतीय कम्प्यूटर सिस्टम डाला गया जो राफेल को पूरी तरह बदलने के साथ उसकी गोपनीयता बनाये रखने में सक्षम था।

लेकिन बात यहीं नहीं रुकी ! राफेल को सेना को सुपुर्द करने के बाद सरकार ने सेना को उसे अपने हिसाब से कम्प्यूटर ब्लैक बॉक्स और जो तकनीक सेना की है, उसे अपने हिसाब से चेंज करने की छूट दे दी।

जिससे सेना ने छूट मिलते ही मात्र 48 घण्टों में राफेल को बदलकर रख दिया ! जिससे चीन, जो राफेल के कोड और सिस्टम को हैक करने की फिराक में था, वह हाथ मलते रह गया!

फिर चीन द्वारा अपने पाले वामपंथी कुत्तों को राफेल की जानकारी लीक करके उस तक पहुँचाने काम सौंपा गया।

भारत भर की मीडिया में भरे वामपंथी दलालों ने राफेल सौदे को घोटाले की शक्ल देने की नाकाम कोशिश की, ताकि सरकार या सेना, विवश होकर, सफाई देने के चक्कर मे इस डील को सार्वजनिक करे।

जिससे चीन अपने मतलब की जानकारी जुटा सके पर सरकार और सेना की सजगता के चलते दलाल मीडिया का मुँह काला होकर रह गया!

तब फिर अपने राहुल गांधी मैदान में उतरे ! चीनी दूतावास में गुपचूप राहुल गांधी ने मीटिंग की ! उसके बाद राहुल गांधी ने चीन की यात्रा की और आते ही राफेल  सौदे पर सवाल उठाकर राफेल की जानकारी सार्वजनिक करने की माँग जोरशोर से उठने लगी।

पूरी मीडिया, सारी कोंग्रेस की दिलचस्पी सिर्फ, और सिर्फ, राफेल की जानकारी सार्वजनिक कराने में है, ताकि चीन ब्रम्होस का तोड़ बना सके ! पर ये अबतक सम्भव नहीं हो पाया, जिसका श्रेय सिर्फ कर्तव्यनिष्ठ भारतीय सेना और मोदी जी को जाता है।

चीन ब्रम्होस की जानकारी जुटाने के चक्कर में, सीमा पर तनाव पैदा करके युद्ध के हालात बनाकर देख चुका है ! पर भारतीय सेना की चीन सीमा पर ब्रम्होस की तैनाती देखकर अपने पाँव वापस खींचने को मजबूर हुआ था!

डोकलाम विवाद चीन ने इसीलिये पैदा किया था कि वह ब्रम्होस और राफेल की तैयारी देख सके।

इधर कुछ भटके हुए लोग राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के योग्य समझ रहे हैं, जो खुद भारत की गोपनीयता और सुरक्षा को शत्रु देश के हाथों उचित कीमत पर बेचने को तैयार बैठा है!

नेहरू ने भी लाखों वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को बेची थी! और जनता समझती है भारत युद्ध में हार गया!

आज ये राफेल और ब्रम्होस ही भारत के पास वो अस्त्र हैं जिसके आगे चीन बेबस है!

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