योगी और सैनिक
दिनांक 21-6 -2021 को योग दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सैनिक संस्था की मुंबई इकाई के कैप्टन शशिकांत शर्मा द्वारा “यौगिक तथा सैनिक” विषय पर आयोजित वेबीनार में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआl
वेबीनार में सेना व नौसेना के विशिष्ट एवं नीति निर्धारक जनरल्स तथा उच्च कोटि के योग गुरुओं से योग के महत्व और उसकी उपयोगिता पर विचार सुनने का अवसर प्राप्त हुआ l
नौसेना के भूतपूर्व एडमिरल माधवेंद्र सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने वक्तव्य में बताया की भारतीय सेना का प्रत्येक सैनिक एक योगी है l इसी कारण हमारा प्रत्येक सैनिक अत्यंत स्वस्थ फुर्तीला आत्म विश्वासी तथा एकाग्र चित्त है l
उसका पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम ही वैज्ञानिक योग विद्या पर आधारित है!
हम सैनिकों के स्वास्थ्य, एकाग्रता ,अनुशासन एवं दृढ़ता के लिए काया योग आसन प्राणायाम की शिक्षा देते हैं l
प्रशिक्षण के दौरान वह अपने स्वयं के शरीर के साथ अन्य साथियों के साथ तथा प्रकृति और उसके प्रत्येक प्राणी के साथ सह_ अस्तित्व से जीना सीखता है इसलिए किसी भी कठिन परिस्थिति में अपने को साध लेता है l क्योंकि प्रशिक्षण के समय उसे शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा का पूर्ण समायोजन सिखाया जाता है l
लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ,डिप्टी चीफ आर्मी स्टाफ, सेवानिवृत्त ने बताया कि भारतीय सेना का प्रशिक्षण विश्व में सबसे उच्च कोटि का हैl क्योंकि वह गीता के निष्काम कर्म योग की भावना पर आधारित है l ट्रेनिंग के दौरान प्रत्येक सैनिक में अपने कार्य के प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा, अधिकतम दक्षता समर्पण तथा निस्वार्थ भाव की भावना कूट-कूट कर भरी जाती है। तभी तो हमारा प्रत्येक वीर जवान इतना कर्तव्य परायण है की देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए सदैव तत्पर रहता हैl
इस वेबीनार का निष्कर्ष स्पष्ट था की हम में से प्रत्येक व्यक्ति जो कहीं भी कोई भी कैसा भी कार्य कर रहा हो, नौकरी ,व्यवसाय पढ़ाई आदि l यदि वह अपने कार्य को पूरी निष्ठा, पूरी दक्षता ,एकाग्रता, लगन तथा समर्पण भाव से करें तो वह भी वह भी एक सैनिक के समान निष्काम कर्म योगी ,देशभक्त नागरिक बन सकता है l यदि हम अपने कार्य को पूर्ण मनोयोग से करें तो प्रत्येक कार्य ईश्वर कार्य ही लगने लगता है तथा उससे मिलने वाला फल पारितोषिक प्रसाद लगने लगेगा जिसे हम सबके साथ मिलकर बांट कर खाना चाहेंगे l
यही तो अवधारणा है योगीराज श्री कृष्ण के निष्काम कर्म योग की जो हमें पूर्ण तथा पूजनीय बना देती है l
आज हमारे परिवार ,समाज तथा देश की दुखद स्थिति जैसे आपसी वैमनस्य ;ईर्ष्या शत्रुता ;धन संपदा इकट्ठा करने की अंधी दौड़ l समाज में अपना वर्चस्व बनाने के लिए भ्रष्टाचार, अनाचार ,अत्याचार तथा पद और सत्ता की भूख और तरह-तरह के जिहाद प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं l यह सब समस्याएं हमारी ही हैं हमने ही पैदा की हैं! इन चुनौतियों को हमें ही हराना है !उन सब का एक ही उपाय है वह है निष्काम कर्म योग का अपने जीवन में पालन l
हमारे सैनिक निष्काम कर्म योग के जीते जाते सिद्ध योगी हैं क्यों ना हम उनके मार्गदर्शन तथा सहायता से अपने युवाओं बच्चों, कामगारों ,व्यवसायियों ,स्त्री पुरुषों को उनके चरित्र से प्रेरित करें तथा वैसे ही वीर पैदा करें l
इस विषय पर गहराई से विचार कर कोई रूपरेखा बननी चाहिए जिसमें भूतपूर्व सैनिक तथा देशभक्त नागरिक मिलकर इस निष्काम कर्म की क्रांति को आगे बढ़ाएं तथा इस देश की सभ्यता संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा करें!
जय हिंद
सर्वेश मित्तल,
राष्ट्रीय सलाहकार,
राष्ट्रीय सैनिक संस्था रजिस्टर्ड
Mo 9818074320