राजस्थान में कौन बनेगा मंत्री ? – पार्टी नेताओं की फोन टैपिंग गरमाई

अभी पंजाब में विवाद सुलझा भी नहीं कि राजस्थान कांग्रेस में फोन टैपिंग मुद्दे को लेकर मामला गरमा गया है। फोन टैपिंग में विशेषज्ञ रही कांग्रेस अब स्वयं अपने ही जाल में फंस रही है।
राजस्थान की गहलोत सरकार एक बार फिर से फोन टैपिंग मामले में घिरती नजर आ रही है। इस बार सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह अपने ही पार्टी के विधायकों के फोन टैप करा रही है। बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने 13 जून 2021 को कहा, ”सीएम गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में चल रही जासूसी की साजिश इससे पहले भी हो चुकी है। उन्होंने विधानसभा में स्वीकार किया कि वास्तव में फोन टैपिंग हुई थी। राजस्थान बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है… यह कांग्रेस में चल रहे अंतर्कलह व असंतोष को दिखाता है।” 

जैसाकि आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी कि 2024 लोक सभा चुनाव आते-आते कांग्रेस विभाजन की ओर जा चुकी होगी, जो पंजाब और राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में दिखाई दे रहा है।

वहीं, 12 जून 2021 को पायलट खेमे के एक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने भी गहलोत सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था। सोलंकी ने कहा था कि राजस्थान में विधायकों की फोन टैपिंग कराई जा रही है। हालाँकि, उनकी फोन टैपिंग हो रही है या नहीं, इस बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा था, “मुझे नहीं पता कि मेरा फोन टैप हो रहा है या नहीं, लेकिन कुछ विधायकों ने कहा कि उनके फोन टैप किए जा रहे हैं। 2-3 विधायकों ने 11 जून 2021 को मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी दी। इस संबंध में मेरी सचिन पायलट से कोई बातचीत नहीं हुई।

 

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा, ”ये निराधार आरोप हैं। एक विधायक जैसे जिम्मेदार व्यक्ति को सबूतों के आधार पर चीजों की पुष्टि करने के बाद ही सार्वजनिक बयान देना चाहिए।”
इस मामले को लेकर राजस्थान बीजेपी प्रमुख सतीश पूनिया ने कहा था, “एक साल पहले भी ऐसा ही हाल था। आज फिर से कांग्रेस के एक विधायक कह रहे हैं कि उनके फोन टेप हो रहे हैं, जासूसी हो रही है। कांग्रेस बताए कि ये विधायक कौन हैं? कांग्रेस पार्टी सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा कि तर्ज पर अपने ही विधायकों को डरा रही है।”
न्यूज़ 18 हिंदी के अनुसार, “बीजेपी नेता अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि गहलोत सरकार ने पहले केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कई नेताओं के फोन टेप कराए। अब कांग्रेस विधायकों के फोन टेप से साफ हो गया कि अशोक गहलोत सरकार बचाने के लिए विधायकों की जासूसी करवा रहे हैं और उन पर निगरानी रख रहे हैं।”
फोन टैपिंग को लेकर गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यह मामला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब सचिन पायलट दो दिनों से दिल्ली में अपनी माँगों को लेकर डेरा डाले बैठे हैं, लेकिन अभी तक उनकी आलाकमान से मुलाकात नहीं हुई है।
राजस्थान में अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में 9 पद खाली हैं। सचिन पायलट का खेमा अकेले इनमें से 6-7 मंत्रीपद चाहता है। जबकि मीडिया रिपोर्ट की मानें तो राजस्थान में CM गहलोत की कैबिनेट के लिए लगभग 35 नाम चर्चा में हैं। इनमें से वो 10 निर्दलीय विधायक भी हैं, जो अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। बीएसपी वाले वो 6 MLA भी हैं, जो अब कांग्रेसी  हो चुके हैं। पायलट खेमे से अलग खुद कांग्रेस के लगभग 10 वरिष्ठ विधायक भी इस ताक में लगे हैं।
सचिन पायलट मामले को सुलझाने के लिए अब खुद सोनिया गाँधी अपने स्तर पर चीजों को देख रही हैं। इसके अलावा कयास यह भी है कि प्रियंका गाँधी वाड्रा से भी सचिन पायलट मुलाकात करेंगे।
सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ पिछले साल जुलाई में भी बगावत का मन बनाया था, लेकिन उन्होंने कुछ समय बाद गहलोत सरकार में वापसी कर ली थी। हालाँकि, इस बार पायलट अपने तेवरों से उड़ान भरने को तैयार दिख रहे हैं। 10 महीने पहले उनसे किए वादे पूरे करने की माँग को लेकर पायलट सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं।

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