आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदम – ALH Mk III हेलीकॉप्टर
योगेश कुमार गोयल
अनेक विशेषताओं से लैस एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकने वाला बहुउद्देशीय भूमिका वाला अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर है, जिसे देश की आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़े कदम का प्रतीक माना गया है।
भारतीय नौसेना द्वारा 8 जून को स्वदेश निर्मित तीन उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों एएलएच एमके-3 को औपचारिक रूप से पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) में शामिल कर लिया गया। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित तीनों हेलीकॉप्टरों को पूर्वी नौसेना कमान के भारतीय नौसैनिक स्टेशन (आईएनएस) देगा में शामिल किया गया। नौसेना में इन्हें शामिल करने के लिए पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम में स्थित नौसेना के हवाई स्टेशन आईएनएस डेगा पर इंडक्शन सेरेमनी ‘322 डेगा फ्लाइट’ आयोजित की गई। नौसेना के बेड़े में शामिल करने से पहले हेलीकॉप्टरों को वाटर कैनन सैल्यूट दिया गया। नौसेना के हवाई बेड़े में इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने के बाद भारत की सामुद्रिक शक्ति बढ़ गई है। नौसेना ने अपने बयान में कहा भी है कि इन समुद्री निगरानी और तटीय सुरक्षा (एमआरसीएस) हेलीकॉप्टरों को शामिल करने के साथ ही पूर्वी नौसैनिक कमान को देश के समुद्री हितों की खोज में बल की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा बढ़ावा मिला है।
अनेक विशेषताओं से लैस एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकने वाला बहुउद्देशीय भूमिका वाला अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर है, जिसे देश की आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़े कदम का प्रतीक माना गया है। एचएएल द्वारा इसी साल एयरो इंडिया 2021 के दौरान अपने 16 एएलएच अनुबंध के भाग के तौर पर नौसेना को तीन उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एएलएच एमके-3 तथा भारतीय तटरक्षक को दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एएलएच सौंपे थे। एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर की पहली इकाई 19 अप्रैल 2021 को भारतीय नौसेना एयर स्क्वाड्रन आईएनएएस-323 आईएनएस हंसा, गोवा में कमीशन की गई थी। यह स्क्वाड्रन एचएएल द्वारा निर्मित अत्याधुनिक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर एएलएच एमके-3 का संचालन करेगी। एएलएच करीब तीन लाख घंटे की उड़ान भरकर बहुमुखी संचालन में अपनी क्षमता साबित कर चुका है।
एएलएच एमके-3 में अत्याधुनिक ग्लास कॉकपिट और शक्तिशाली शक्ति इंजन लगा है, जो कोच्चि स्थित नौसेना के भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा विकसित स्वदेशी लो-फ्रीक्वेंसी डंकिंग सोनार (एलएफडीएस) से लैस है। एचएएल के साथ मार्च 2017 में 5126 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर मार्क-3 के 16 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया गया था। अनुबंध में मौजूदा एएलएच एमके-3 में एडीएस-बी आउट के साथ आईएफएफ एमके-12 एंड एटीसी एक्सपीडीआर, वी/यूएचएफ संचार प्रणाली, ट्रैफिक अलर्ट और कॉलिजन अवाइडेंस (टीसीएएस-1), एसएआर होमर प्रणाली, ऑटोमैटिक डिप्लॉयबल इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर (एडीईएलटी), लाउड हैलर, रेडियो अल्टीमीटर, रेस्क्यू बास्केट, मेडिकल इंटेंसिव केअर युनिट (एमआईसीयू), आईएडीएस प्रणाली, एएफसीएस, डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग प्रणाली (एसएसडीवीआर), ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एआईएस), हाई इंटेंसिटी सर्च लाइट (एचआईएसएल), प्रेशर रिफ्यूलिंग सिस्टम, कंट्रोल ग्रिप्स, ईओ पीओडी आरईवी-3, सर्विलांस रडार सिस्टम, 12.7 एमएम गन सिस्टम का एकीकरण इत्यादि 19 प्रमुख प्रणालियां शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि अपने बेड़े से चेतक लड़ाकू विमान हटाने की भारतीय नौसेना की योजना है, इसीलिए इन हेलीकॉप्टरों में तटीय सुरक्षा की जरूरतों के दृष्टिगत 19 तरह के उपरोक्त बदलाव किए गए हैं।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों को एयरलिफ्ट करने के लिए इन हेलीकॉप्टरों में रिमूवेबल मेडिकल आईसीयू लगाया गया है, जो एएलएच एमके-3 की बड़ी विशेषता है। इस प्रणाली को एयरक्राफ्ट की विद्युत आपूर्ति पर ऑपरेट किया जा सकता है और इसमें चार घंटे का बैटरी बैकअप भी है। हेलीकॉप्टर में दो-तीन घंटे में उपकरण लगाकर इसे एयर एंबुलेंस में भी बदला जा सकता है। दरअसल एचएएल द्वारा आईएनएस हंसा में आईएनएसए-323 के एएलएच एमके-3 पर एक मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एमआईसीयू) स्थापित की गई है। एमआईसीयू से लैस होने के कारण भारतीय नौसेना अब प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी वायुमार्ग द्वारा गंभीर रोगियों की चिकित्सा हेतु निकासी के लिए इनका इस्तेमाल कर सकती है। एमआईसीयू में डिफिब्रिलेटर, मल्टीपैरा मॉनीटर, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ-साथ इन्फ्यूजन तथा सीरिंज पंप के दो सैट तथा रोगी के मुंह या श्वसन मार्ग में स्राव को साफ करने के लिए एक सक्शन सिस्टम भी है।
एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टरों का उपयोग विशेष संचालन, खोज तथा बचाव और तटीय निगरानी के लिए नौसेना की आईएनएएस-323 एयर स्क्वाड्रन से किया जाएगा और माना जा रहा है कि इसमें इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने के बाद यह एयर स्क्वाड्रन समुद्री सुरक्षा बढ़ाने तथा देश के समुद्री हितों की रक्षा के प्रयासों में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्नत एवियोनिक्स के कारण ये हेलीकॉप्टर हर प्रकार के मौसम में कार्य करने के लिए सक्षम हैं। प्रमुख रूप से समुद्री टोही, लंबी दूरी की खोज व बचाव और तटीय सुरक्षा जैसे मिशनों को दिन-रात सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले ये हेलीकॉप्टर आधुनिक निगरानी रडार तथा इलैक्ट्रो-ऑप्टिकल उपकरणों से लैस हैं। विभिन्न समुद्री लक्ष्यों का आसानी से पता लगाने के लिए इन हेलीकॉप्टरों में 270 डिग्री कवरेज के साथ निगरानी रडार लगा है। विशेष संचालन क्षमताओं से लैस एएलएच एमके-3 में अत्यधिक शक्तिशाली शक्ति इंजन (सफ्रान अर्डीडेन 1एच1), स्वदेशी इंटीग्रेटेड आर्किटेक्चर डिस्प्ले सिस्टम (आईएडीएस), फुल ग्लास कॉकपिट, उन्नत किस्म के सेंसर, भारी मशीनगन इत्यादि फिट किए गए हैं। हेलीकॉप्टर डिजिटल मूविंग मानचित्र के साथ आईएडीएस, इलैक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, इलैक्ट्रो-ऑप्टिकल फली, काउंटर उपाय वितरण प्रणाली, इन्फ्रारेड सप्रेशर, स्वास्थ्य और उपयोग निगरानी प्रणाली, ठोस राज्य डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (एसएसडीवीआर), इंजन कण विभाजक जैसी विशेषताओं से भी लैस है। इन हल्के हेलीकॉप्टरों में वे सभी विशेषताएं हैं, जो इससे पहले नौसेना के भारी ‘मल्टी रोल’ हेलीकॉप्टरों में होती थी। इनका इस्तेमाल समुद्री क्षेत्र पर निगरानी रखने तथा तटीय सुरक्षा के लिए किया जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कई पुस्तकों के लेखक हैं, उनकी हाल ही में पर्यावरण संरक्षण पर 190 पृष्ठों की पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ प्रकाशित हुई है)