बात नवम्बर 2000 की है। चित्रकार सतीश गुजराल ने वरिष्ठ पत्रकार एच के दुआ के विवाह की ख़ुशी में दिल्ली में एक पार्टी का आयोजन किया था। पार्टी में दिल्ली के नामी-गिरामी लोग पहुंचे थे। कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर भी पार्टी की शोभा बढ़ाने आये हुए थे।
जैसा कि दिल्ली की पार्टियों में होता है, शराब अपने पूरे शबाब पर थी। अब पार्टी में मुफ्त की दारु मिले तो दारुबाज़ तो पगलाएंगे ही। मणिशंकर अय्यर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मणिशंकर अय्यर जब शराब के नशे में धुत्त हुए तो पहुँच गए अमर सिंह के पास, जो उस समय समाजवादी पार्टी के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्हें इस तरह की सोशल गैदरिंग में बुलाया जाता था।
अब आप पूछेंगे कि अय्यर साहब भरी पार्टी में सीधा अमर सिंह के पास ही क्यों पहुंचे, तो चलिए पहले वो सुन लीजिये, फिर उसके बाद कहानी आगे सुनियेगा।
आपको याद होगा कि 1999 में जब वाजपेयी जी की सरकार सदन में एक वोट से गिरी थी तो सोनिया गाँधी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। इटली में जन्मी इन महिला का भारत के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा होने जा रहा था। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए सोनिया की माँ और बहन भी इटली से दिल्ली पहुँच चुकी थीं।
पर ऐन वक़्त पर मुलायम सिंह यादव ने मामला फँसा दिया। उन्हें लगा कि भारत का प्रधानमंत्री बनने का हक़ सिर्फ उसी व्यक्ति को है जिसका जन्म इस देश की मिट्टी में हुआ हो। तो नेताजी ने साफ़-साफ़ कह दिया कि वह सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली किसी भी सरकार का समर्थन नहीं करेंगे।
अब सोनिया गाँधी करें भी तो क्या करें !
मुलायम के समर्थन के बिना उनकी सरकार बन नहीं सकती थी। फिर भी सोनिया जी हिम्मत जुटा कर राष्ट्रपति के पास 242 सांसदों का समर्थन पत्र ले कर चली गईं और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उन्होंने सोचा कि एक बार राष्ट्रपति महोदय ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया तो उन्हें पंद्रह-बीस दिन का टाइम मिल जायेगा। इस दौरान सेकुलरिज्म की दुहाई दे कर मुलायम के ऊपर दबाव बनाया जायेगा और उन्हें विश्वास मत के दौरान समर्थन के लिए मजबूर किया जाएगा। पर राष्ट्रपति के आर नारायणन मजबूर थे। वह दिल से चाहते हुए भी सोनिया गाँधी को प्रधानमंत्री बनने का न्योता नहीं दे पा रहे थे क्यूंकि तेरह महीने पहले ही उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को तब तक प्रधानमंत्री बनने के लिए आमंत्रित नहीं किया था जब तक कुछ खास मंत्रालय लेने के लिए कोप भवन में बैठी जयललिता ने अपने सांसदों का समर्थन पत्र उन्हें नहीं दे दिया।
तो हुआ ये कि राष्ट्रपति महोदय को सोनिया गाँधी को खाली हाथ लौटाना पड़ा। सोनिया गाँधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना चकनाचूर हो गया। कांग्रेसी नेताओं से अपने नेता का यह दुःख देखा नहीं गया। वो जब भी और जहाँ भी मौका मिलता, खलनायक मुलायम सिंह यादव को जी भर कर कोसते।
तो चलिए, अब हम कहानी की ओर वापस चलते हैं।
सतीश गुजराल की पार्टी में पाँच पैग चढ़ाने के बाद गांधी परिवार के वफादार मणिशंकर अय्यर के अन्दर का गुस्सा जोर मारने लगा। कांग्रेस की क्वीन के प्रति अपनी लॉयल्टी साबित करने का यह एक सुनहरा मौका था। तो अय्यर साहब पहुँच गए अमर सिंह के पास, जो दो-चार अन्य गेस्ट्स के साथ बातें कर रहे थे।
मणिशंकर अय्यर ने अमर सिंह से कहा,
“You racist! You prevented Sonia Gandhi from becoming the Prime Minister only because she’s a foreigner.”
( तुम एक रेसिस्ट हो ! तुमने सोनिया गांधी को केवल इसलिये प्रधानमन्त्री बनने से रोक दिया क्योंकि वह विदेशी हैं ? )
अमर सिंह ने सफाई दी,
“I did not prevent her from becoming the PM. It was the collective decision of Samajwadi Party MPs and MLAs under Mulayam Singh’s leadership. As a spokesperson, it was my duty to articulate the party’s view.”
( मैनें उन्हें नही रोका। यह समाजवादी पार्टी के विधायकों और सांसदों का सामूहिक निर्णय था नेता जी के नेतृत्व में। मैने केवल प्रवक्ता के नाते उस सामूहिक विचार को रखा भर था।)
मणिशंकर अय्यर ने जब देखा कि वह अमर सिंह को उकसाने में सफल नहीं हुए हैं तो उन्होंने सिंह पर व्यक्तिगत हमला बोला,
“You are a broker of industrialists, you are Ambani’s dog.”
( तुम उद्योगपतियों के दलाल और अंबानी के कुत्ते हो।)
अमर सिंह ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए पलटवार किया,
“ये तू नहीं, शराब बोल रही है मणि शंकर! तुझे नहीं पता, पर सब देख रहे हैं कि नशे में धुत्त तेरा सारा शरीर कैसे डोल रहा है।”
जब मणिशंकर अय्यर ने देखा कि उनके उकसाने का अमर सिंह पर कोई असर ही नहीं हो रहा है, तो उन्होंने सिंह को ललकारा,
“What sort of a Thakur are you? You are a pimp. You are a bloody m**** f***** “
( तुम किस तरह के ठाकुर हो, तुम एक दल्ले और माद****द हो।)
अमर क्रोधित हो उठे। पर उन्होंने संयम बनाये रखा। कहा,
“I can also abuse your mother, but I won’t stoop so low. For God’s sake, don’t provoke the beast in me.”
( मैं भी तुम्हारे मां को गाली दे सकता हूँ। लेकिन मैं इतना नीचे नही गिरना चाहता। भगवान के लिये मेरे अन्दर के शैतान को मत जगाओ।)
पर मणिशंकर नहीं रुके। उनके सर पर तो मानो शैतान सवार था। उन्होंने कहा, “We belong to the Oxford and Cambridge set… Your leader can’t even articulate himself in English… Oh that bloody Mulayam — he looks just like me. It could be because my father visited UP at some point. Why don’t you check with Mulayam’s mother ?”
(हम लोग (कांग्रेसी) आक्सफोर्ड और हार्वर्ड के लोग हैं और तुम्हारा नेता तो कायदे से अंग्रेजी भी नहीं बोल सकता। और हां वह नीच मुलायम ! बिलकुल ही मेरे जैसा दिखता है। यह शायद इसलिये है क्योंकि मेरे पिता ने कभी उत्तर प्रदेश की यात्रा की थी, कायदे से तुम्हे मुलायम सिंह की मां से यह पूछना चाहिये।)
मणिशंकर अय्यर की यह सड़कछाप हरकत तो अच्छे-अच्छों को हिला कर रख देती। तो अमर सिंह भला क्या चीज थे ! अपने नेता की माँ के बारे में ऐसे अपशब्द सुन कर अमर सिंह के सब्र का बाँध टूट पड़ा। उन्होंने आव देखा न ताव, अय्यर की गर्दन पकड़ी और उनके ऊपर लात घूंसों की बौछार कर दी। अय्यर पिटते रहे और लोग देखते रहे। पार्टी में मौजूद किसी भी व्यक्ति ने अय्यर को बचाने की कोशिश नहीं की। मानो सभी को इस शुभ दिन का बरसों से इंतज़ार था।
इस घटना के बाद मणिशंकर अय्यर तीन महीने तक सार्वजनिक जीवन से गायब रहे। और जब कभी मणिशंकर संसद में कुछ बोलने को खड़े होते तो विरोधी सांसद चुटकी लेते हुए कहते कि, “बैठ जा नहीं तो अमर सिंह आ जायेगा।”
यह पूरी घटना विस्तार से ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के 3 दिसम्बर 2000 के अंक में छपी थी।
बहरहाल, यह कहानी बहुत पुरानी है, लेकिन फिर से यहाँ इसलिए बताई ताकि जिन्हें पता नहीं है उन्हें पता लग सके कि “मणिशंकर अय्यर” और दिग्विजय जैसे काग्रेसियों का असली व्यक्तित्व कैसा है..
प्रस्तुति : मनोज शास्त्री