गोवंश की आयुर्वेदिक चिकित्सा
गौवंश व महिषी वशं अर्थात गाय भैंस की एक गंभीर समस्या है जिससे पशुपालक भाई बहुत परेशान हो जाते है। वह समस्या है कुछ गर्भवती या प्रसव के तुरंत पश्चात गाय भैंस में प्रजनन अंगों का दिखाना। जिसे पीछा दिखाना या पशुओं की जान निकलना या फूल दिखाना भी कह देते है। इसमें गर्भाशय या पशुओं का मूत्र मार्ग शरीर से बाहर आने लगता है। इसे यूट्रस या वजाइना प्रोलेप्स कहते हैं वेटनरी की भाषा में। गर्मी के मौसम में यह समस्या अधिक सामने आती हैं। ऐसे पशुओं का विशेष ख्याल रखना पड़ता है जिनका प्रसव जून जुलाई के महीने में होता है। वेटरनरी की अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में इसका समाधान काफी खर्चीला लंबा है समस्या ही दूर नहीं हो पाती। कुछ हार्मोन विटामिन पशु को दिए जाते हैं। इस समस्या से ग्रस्त पशु को अंत में पशुपालक औने पौने दामों पर बेच देते हैं रखते हैं तो बड़ी एहतियात रखनी पड़ती है रस्सियों का जाला पशुओं के प्रजनन अंगों पर लगाया जाता है जिससे पशु को परेशानी होती है। लेकिन इस समस्या का बहुत ही सस्ता सा परंपरागत आयुर्वेदिक समाधान है वह है बरगद के पत्ते व जटा ऐसी गाय भैंस को लगातार आठ से 10 दिन आधी किलो से लेकर 1 किलो ताजा हरे हरे बरगद के पत्ते खिलाने से यह समस्या चुटकियों में दूर हो जाती है। बरगद के दूध के पत्तों में ऐसा एक्टिव कंपाउंड है जो इस समस्या के लिए जिम्मेदार हार्मोन डिसबैलेंस को संतुलित करता है। इसकी तासीर भी ठंडी होती है। पिछले 15 दिनों में 2 देसी गौ माता पर मैं सस्ते सुरक्षित आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग कर चुका हूं शत प्रतिशत प्रणाम निकले हैं एक तो खुद मेरी राठी नस्ल की गाय है बरगद का वृक्ष भी अपने घर के आंगन में ही है। विश्वास करें बहुत ही असरदार नुस्खा है। जैसे ही पशु छोटे आकार में अंदरूनी प्रजनन को दिखाएं तभी हमें बरगद के पत्ते खिला देना शुरू कर देना चाहिए शरीर दिखाने की समस्या ग्रेड 1,2,3 तक चलती है जब बड़े आकार में अंदरूनी अंग बाहर निकलने लगता तो काफी चुनौती आती है शुरुआत में ही हमें सतर्क हो जाना चाहिए।
सेकुलर सरकारों संविधानिक तंत्र ने गौ माता को राष्ट्रीय प्राणी का दर्जा भले ही न दिया हो लेकिन बरगद को राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा देकर कुछ हद बरगद जैसे औषधीय चमत्कारी खूबियों से लैस वृक्ष के साथ न्याय किया है।
सादर नमस्ते✍✍✍
आर्य सागर खारी