वार्षिकोत्सव का गूगल मीट एवं फेसबुक पर प्रसारण : गुरुकुल पौंधा देहरादून का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव 5 जून 6 जून 2021 को आयोजित

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ओ३म्

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गुरुकुल पौंधा-देहरादून देश में बालकों के प्रमुख गुरुकुलों में से एक है। इसकी स्थापना 21 वर्ष पूर्व जून, 2000 में हुई थी। हम इस स्थापना के अवसर पर उपस्थित थे और उसके बाद से गुरुकुल के सभी उत्सवों एवं अन्य कार्यक्रमों में सम्मिलित होते रहे हैं। बीच में भी जब मन करता है तो हम अकेले अथवा कुछ मित्रों के साथ गुरुकुल जाते रहे हैं। 21 वर्ष की अवधि में गुरुकुल ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इस गुरुकुल में योग्य स्नातक तैयार हुए हैं। प्रमुख ब्रह्मचारियों में श्री रवीन्द्र कुमार, श्री अजीत कुमार, श्री दीपेन्द्र, श्री शिवकुमार वेदि तथा श्री शिवदेव आर्य जी का नाम ले सकते हैं। गुरुकुल पौंधा की स्थापना आर्यजगत् के विख्यात विद्वान संन्यासी स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी ने की थी। स्वामी जी वर्तमान में देश में आधा दर्जन से अधिक गुरुकुल चलाते हैं।

स्वामी जी स्वयं दिल्ली में गुरुकुल गौतमनगर का संचालन करते हैं। यह गुरुकुल भी अनेक उपलब्धियों से पूर्ण है और यहां भी अनेक उच्च कोटि के विद्वान तैयार हुए हैं जो शिक्षा जगत सहित अनेक क्षेत्रो में अपनी सेवायें दे रहे हैं। इस गुरुकुल की उड़ीसा, केरल सहित उत्तर प्रदेश, हरयाणा आदि में शाखायें वा इकाईयां हैं। उड़ीसा में बालक तथा कन्याओं के पृथक-पृथक गुरुकुल हैं। स्वामी प्रणवानन्द जी का जीवन गुरुकुल आन्दोलन को जारी रखने व उसे बढ़ाने, आर्यसमाज को योग्य वैदिक विद्वान एवं पुरोहित प्रदान करने सहित देश की विभिन्न सेवाओं में युवक प्रदान करना है। हमें स्वामी जी के गौतमनगर-दिल्ली, मंझावली-हरयाणा तथा बुलन्दशहर-उत्तर प्रदेश के गुरुकुल देखने का अवसर भी मिला है। सभी गुरुकुल वर्तमान में वैदिक शिक्षा के विपरीत वातावरण होते हुए भी उत्तमता से चल रहे हैं। वर्तमान समय में इतने अधिक गुरुकुलों का एक व्यक्ति द्वारा संचालन करना एक कीर्तिमान है जिसके लिए सारा आर्यजगत स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी का ऋणी है। सबको स्वामी जी को भरपूर आर्थिक सहयोग एवं नैतिक समर्थन देना चाहिये जिससे उनको गुरुकुलों के संचालन में किसी प्रकार की बाधा व निराशा न आये।

गुरुकुल पौंधा देहरादून ने विगत 21 वर्षों में महत्वपूर्ण उन्नति की है। गुरुकुल के पास वृहद यज्ञशाला, वृहद सभागार, कार्यालय भवन, आचार्य निवास, अतिथि निवास, छात्रावास, भोजन कक्ष तथा पाकशाला सहित गोशाला एवं सूटिंग रेंज भी है। एक वृहद पुस्तकालय भी है जहां विविध विषयों की सहस्राधिक दुर्लभ पुस्तकें हैं। गुरुकुल देहरादून नगर से 16 किमी. दूर एक ग्राम पौंधा में स्थित है। गुरुकुल चारों से साल के ऊंचे वृक्षों से घिरा हुआ है। पूर्व दिशा में एक बरसाती नदी है। चारों ओर मनोरम दृश्य है। नगर से दूर होने तथा मसूरी, चकराता तथा टिहरी व पौड़ी गढ़वाल के पहाड़ निकट होने से यहां गर्मी कम होती है और वन से घिरा होने के कारण यहां का तापक्रम निकटवर्ती स्थानों से कम रहता है। अध्ययन एवं अध्यापन के लिये यह गुरुकुल उपयुक्त स्थान है। स्थान की महत्ता की दृष्टि से भी यहां वाहनों का गमनागमन शून्य होने के कारण शान्ति रहती है और प्रदूषण किंचित है ही नहीं। अतः यह गुरुकुल अपने उत्सवों में दिल्ली, उत्तराखण्ड, हरयाणा आदि की जनता को विशेष रूप से आकर्षित करता है। उत्सवों में यहां आर्यजगत के शीर्ष विद्वान डा. रघुवीर वेदालंकार, श्री वेद प्रकाश श्रोत्रिय, डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री, डा. सोमदेव शास्त्री, डा. धर्मपाल शास्त्री, पं. इन्द्रजित् देव सहित अन्य अनेक विद्वान व प्रसिद्ध भजनोपदेशक पधारते हैं। आर्यजगत की दो महान विभूतियां भजनोपदेशक पं. ओमप्रकाश वर्मा, यमुनानगर तथा पं. सत्यपाल पथिक जी प्रत्येक वर्ष यहां उत्सवों में पधारती थी। कुछ समय पूर्व इन दोनों विद्वानों के दिवंगत होने से भविष्य में इनकी कमी अनुभव की जायेगी।

पं. नरेशदत्त आर्य, पं. सत्यपाल सरल, श्री कैलाश कर्मठ, पं. दिनेश आर्य पथिक आदि भजनोपदेशक भी यहां पधारते रहे हैं। श्रोताओं की उपस्थिति भी हजारों की संख्या में होती है जिससे वार्षिकोत्सव में चार-चान्द लग जाते हैं। अतिथियों के भोजन व निवास की भी उत्तम व्यवस्था की जाती है। हमने देश की कुछ प्रमुख संस्थाओं के उत्सवों में एक श्रोता के रूप में भाग लिया है। अपने अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि यहां निवास एवं भोजन की प्रशंसनीय व्यवस्था होती है। सभी अतिथि सन्तुष्ट देखें जाते हैं। यहां पुस्तकों के प्रकाशक व विक्रेता तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के विक्रेता भी आते हैं। अतः गुरुकुल शिक्षा एवं व्यवस्था सहित अतिथि सत्कार के क्षेत्र में भी उत्तमता से कार्य कर रहा है। इन सब उपलब्धियों का श्रेय गुरुकुल के आचार्य डा. धनंजय जी तथा उनके सहयोगी अधिष्ठाता पं. चन्द्रभूषण शास्त्री सहित गुरुकुल के आचार्यों तथा सहयोगियों को दिया जा सकता है। गुरुकुल के वर्तमान आचार्य डा. यज्ञवीर जी आचार्य हैं। डा. यज्ञवीर जी व्याकरण के शीर्ष विद्वान हैं। अतीत में गुरुकुल को आर्यसमाज के अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों का सहयोग प्राप्त हुआ है। इन विद्वानों में पं. राजवीर शास्त्री एवं डा. रघुवीर वेदालंकार आदि विद्वानों सम्मिलित हंै। वर्तमान में भी अनेक प्रतिष्ठित विद्वान गुरुकुल में आते रहते हैं और विद्यार्थियों को अध्ययन कराते हैं।

गुरुकुल पौंधा का वार्षिकोत्सव प्रत्येक वर्ष जून महीने के प्रथम रविवार व उससे पूर्व के दो दिन मिलाकर कुल तीन दिनों का होता है। कोरोना महामारी से पूर्व यहां सत्यार्थप्रकाश तथा ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका प्रशिक्षण शिविर भी लगते रहे हैं। आर्यवीर दल के राष्ट्रीय शिविर भी यहां लगते रहे हैं। अनेक अन्य गतिविधियां भी यहां चलती रहती हैं। इन सब कार्यों के कारण ही यह गुरुकुल देश का एक प्रमुख, सफल व उत्तम गुरुकुल है। गुरुकुल का पिछले वर्ष का वार्षिकोत्सव कोरोना के कारण परम्परागत तरीके से न आयोजित कर कम लोगों की उपस्थिति में पूर्ववत मनाया गया था जिसका आर्यजगत में पहली बार फेसबुक के माध्यम से सजीव वा लाइव प्रसारण किया गया था। देश विदेश के अनेक विद्वानों तथा भजनोपदेशकों ने अपने घर से ही लाइव उपदेश तथा भजन सुनाये थे। इस बार का उत्सव भी नैट के माध्यम से गुरुकुल के फेसबुक पेज व गुगल मीट एप के द्वारा प्रसारित किया जायेगा। यह प्रसारण शनिवार दिनांक 5-6-2021 को प्रातः 7.00 बजे आरम्भ होकर प्रातः 10.00 बजे तक चलेगा जिसमें चतुर्वेद पारायण यज्ञ सहित डा. रघुवीर वेदालंकार, महावीर मीमांसक जी, डा. धर्मेन्द्र कुमार शास्त्री, डा. यज्ञवीर जी सहित पं. नरेश दत्त आर्य जी के भजन भी सुनने को मिलेंगे। स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। कल शनिवार सायं भी 5.00 बजे से 7.00 बजे तक भी कार्यक्रम का लाइव प्रसारण होगा। रविवार दिनांक 6-6-2021 को भी प्रातः 7.00 बजे से 11.00 बजे तक उत्सव का लाइव प्रसारण देश के सभी ऋषिभक्तों को सुलभ होगा। लाइव प्रसारण देखने के लिए फेसबुक एवं गुगल मीट के लिंक निम्न हैंः

फेस बुक लिंक: https://www.facebook.com/Gurukulpondhadehradun
गुगल मीट लिंक: https://meet.goole.com/snw-tqwm-ssk

यह भी बता दें कि गुरुकुल में नव-सम्वत्सर 2078 विक्रमी के दिन से चतुर्वेद पारायण यज्ञ चल रहा है जिसकी रविवार 6 जून, 2021 को पूर्णाहुति होनी है। कोरोनाकाल में यदि कहीं चतुर्वेद पारायण यज्ञ हुआ है तो वह हमारे ज्ञान में गुरुकुल पौंधा में ही हुआ है जिसके लिए गुरुकुल के आचार्य, स्टाफ के लोग तथा ब्रह्मचारीगण बधाई के पात्र हैं।

हम आर्यों से यह भी निवेदन करेंगे कि कोरोना काल में गुरुकुल के आचार्य जी गुरुकुल के बाहर गुरुकुल प्रेमियों से व्यक्तिगत सम्पर्क नहीं कर पा रहे हैं। इससे गुरुकुल को प्राप्त होने वाली सहयोग धनराशि बाधित हुई है। स्वभाविक रूप से इस कारण गुरुकुल में साधनों व अन्न आदि का अभाव भी होना सम्भव है। कुछ समझदार गुरुकुल प्रेमी सहयोग कर रहे होंगे परन्तु हम सबको जिन्होंने सहयोग नहीं किया है, कर्तव्य बनता है कि हम अधिक गुरुकुल को यथाशक्ति आर्थिक सहयोग करें जिससे गुरुकुल में किसी प्रकार का अभाव व साधनों की कमी न हो। हम सभी मित्रों से गुरुकुल को यथाशक्ति सहयोग करने की अपील करते हैं। गुरुकुल के बैंक खाते का विवरण इसी आशा से यहां प्रस्तुत कर रहे हैं जिसका लाभ उठाकर आप अपनी ओर से गुरुकुल को उचित सहायता राशि भेजने की कृपा करें।

गुरुकुल पौंधा-देहरादून के बैंक खाते का विवरणः

बैंक का नाम: Indian Overseas Bank, Dehradun
खाता व इसका नामः Srimad Dayanand Vedarsh Mahavidyalaya Nyas
गुरुकुल का एकाउण्ट नम्बरः 055202000001470
IFSC CODE: IOBA0000552

हम आशा करते हैं सभी ऋषिभक्त एवं वैदिक धर्म प्रेमी गुरुकुल के आयोजन का प्रसारण देखने का प्रयत्न करेंगे और गुरुकुल को यथाशक्ति सहयोग भी करेंगे। ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि कोरोना महामारी शीघ्र समाप्त हो जाये और पुनः पूर्वस्थिति बहाल हो जाये जिससे देश की प्रजा तथा सरकारों को जो कष्ट हो रहे हैं वह दूर हो सकें। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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