डॉ आनंद कुमार,
दिल्ली देश की राजधानी है। यहां अच्छे से अच्छे अस्पताल हैं। हर विषय के अनुभवी डाक्टर हैं। जनसंख्या केवल दो करोड़ के लगभग है। टैक्स भी यहां पर बहुत एकत्रित होता है। क्षेत्र भी बहुत बड़ा नहीं है और संसाधन सबसे ज्यादा हैं। यदि थोड़ा सा भी सही ढंग से प्रयास किया गया होता तो कोरोना की दूसरी लहर को दिल्ली में अच्छे ढंग से नियंत्रित किया जा सकता था।
पर यहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने आपको पढ़ा-लिखा समझते हैं तथा अपने आपको दिल्ली का मालिक भी बताते हैं, पर इस दिल्ली के मालिक ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की जो बदहाली की है, वह जगजाहिर है। दिल्ली के आम लोग जब दवाइयों, आक्सीजन व बेड के अभाव में तड़प-तड़पकर सड़कों पर दम तोड़ रहे थे तब आम आदमी पार्टी के नेता तथा एमएलए अपने खासमखास लोगों के लिए उनकी कालाबाजारी तथा होर्डिंग में लगे हुए थे।
केजरीवाल जी की एक समस्या है कि वे व्यवस्था बनाने में विश्वास नहीं रखते। वे तो अव्यवस्था पैदा करके राजनैतिक रोटियां सेकते हैं। इसीलिए जब किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली के आवागमन के सारे रास्ते जाम किए जा रहे थे। दिल्ली के नागरिकों की सारी सप्लाई, व्यवसाय, व्यापार, उद्योग ठप्प करके दिल्ली को बर्बाद करने की योजनाएं चल रही थीं तो दिल्ली का यह मालिक दिल्लीवासियों के साथ खड़ा न होकर आंदोलनजीवियों की व्यवस्था में लगा हुआ था।
हमने यह भी देखा कि मुख्यमंत्रियों की बैठक में दिल्ली के मालिक यह नहीं बताते कि उन्होंने कोरोना नियंत्रण के लिए क्या क्या उपाय किए हैं? बताते तो तब जब उन्होंने कुछ किया होता? इसके विपरीत उन्होंने बड़े नाटकीय ढंग से प्रधानमंत्री जी के समक्ष आक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया और उसे लाइव भी कर दिया। अपनी भावभंगिमा से उन्होंने ऐसा आभास कराने का प्रयास किया कि दिल्ली के केजरीवाल कितने चिंतित हैं। किंतु बाद में जानकारी में आया कि आक्सीजन की अव्यवस्था के लिए वे स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
INOX कंपनी जो देहली के अस्पतालों के लिए आक्सीजन की सप्लाई करती है उसके पत्र से, जो कंपनी के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार को लिखा था, स्पष्ट है कि उस कंपनी को दिल्ली के केवल 15 अस्पतालों को आक्सीजन सप्लाई करने के आदेश केजरीवाल सरकार ने दिए थे। कंपनी के अधिकारी अन्य अस्पतालों को सप्लाई करने के बारे में पूछते रहे, लेकिन केजरीवाल सरकार कंपनी को कोई आदेश आक्सीजन सप्लाई के बारे में नहीं दे पाई। ऐसी स्थिति में जिन लोगों की दिल्ली में आक्सीजन की कमी के चलते मृत्यु हुई है, उसके लिए केजरीवाल के विरूद्ध हत्या का मुकदमा चलना चाहिए।
आप पार्टी के अधिकांश नेता विशेष रूप से केजरीवाल कोरोनाकाल में दहशत (Panic) पैदा करने के लिए कुख्यात रहे हैं। दहशत के माध्यम से अव्यवस्था पैदा करना तथा उस अव्यवस्था के लिए किसी दूसरे पर आरोप लगाना यह उनकी शासन व्यवस्था का एक प्रमुख तरीका है। याद करिए कोरोना की प्रथम लहर को, जिसमें केजरीवाल व मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में लाखों लोगों की मौत की भविष्यवाणी की थी, अब उन्हें सिंगापुर की चिंता सता रही है। आक्सीजन की कमी के नाम पर दिल्ली में सबसे ज्यादा दहशत फैलाने का काम भी दिल्ली के मालिक, आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने ही किया था।
आम आदमी क्लिनिक के नाम पर जो घोटाला/धोखा केजरीवाल द्वारा दिल्ली के लोगों से किया है, वह अक्षम्य है। यदि इसी योजना को सही ढंग से लागू कर देते तो आज दिल्ली के लोगों की यह बदहाली नहीं होती। दिल्ली के मालिक काम करने के स्थान पर विज्ञापनों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। तभी तो पिछले तीन महीनों में 150 करोड़ व पिछले दो साल में 800 करोड़ रूपए केवल विज्ञापनों पर फूंक चुके हैं।
( लेखक राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं )