राजस्थान में 11.50 लाख कोरोना डोज बर्बाद 8 जिलों में डस्टबिन में मिले कोरोना के टीके
एक तरफ राहुल गाँधी वैक्सीन की कमी पर शोर मचा रहे हैं, लेकिन राहुल सहित पूरी पार्टी को नहीं मालूम कि कांग्रेस शासित राज्य में किस तरह वैक्सीन की बर्बादी हो रही है। जनहित में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को मोदी सरकार पर प्रहार करने से पहले अपने मुख्यमंत्रियों को वैक्सीन बर्बादी को रोकने के सख्त आदेश देने होंगे।
राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। जहाँ एक तरफ राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस की सरकार कह रही है कि केंद्र सरकार राज्य की ज़रूरत के हिसाब से एक चौथाई कोरोना वैक्सीन भी नहीं दे रही है और टीके की किल्लत के कारण कई सेंटर्स बंद करने पड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़ों से राज्य की शासन-व्यवस्था की पोल खुल रही है।
केंद्र सरकार रोज इसका हिसाब देती है कि प्रतिदिन कितने राज्यों को कितनी संख्या में वैक्सीन दी जा रही है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वैक्सीन की बर्बादी का आँकड़ा 11.50 लाख दिया है। बता दें कि वैक्सीन के एक वायल में 10 रोज होते हैं और इतने लोग नहीं मिले तो बाकी के बर्बाद हो जाते हैं। ‘दैनिक भास्कर’ की पड़ताल के अनुसार, 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल में करीब 2500 से भी ज्यादा डोज तो केवल डस्टबिन में मिले हैं।
मीडिया संस्थान ने अपनी पड़ताल के हिसाब से बताया कि कूड़े के साथ मिले कोरोना वैक्सीन के 500 से अधिक वायल 20-75% तक भरे हुए थे। वहीं आँकड़ों की मानें तो 2021 में 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई है। हालाँकि, इस पर राज्य सरकार के आँकड़े अलग ही हैं। उसने कहा है कि राजस्थान में महज 2% वैक्सीन ही बर्बाद हुए।
जबकि केंद्र सरकार के आँकड़े कहते हैं कि जहाँ अप्रैल 2021 में राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी का प्रतिशत 7 है। ‘दैनिक भास्कर’ की पड़ताल कह रही है कि राज्य में जिन भी कोविड-19 टीकाकरण केंद्रों पर पड़ताल की गई, वहाँ 25% वैक्सीन बर्बाद हो गए। मीडिया संस्थान ने कहा कि उसके पास ये वायल अभी भी मौजूद हैं और इन्हें राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा ने जाँच का आश्वासन दिया है।