कोरोना से मौतों के गुनहगार, भाग – 2
- डॉ आनंद कुमार
कॉन्ग्रेस पार्टी के नेताओं तथा उनकी राज्य सरकारों की भूमिका भी कोरोनावायरस नियंत्रण में नकारात्मक रही है। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार, जहां कांग्रेस प्रमुख भूमिका में है, शासन व्यवस्था के नाम पर लूटपाट में लगी हुई है। जब उन्हें लूटपाट से ही फुर्सत नहीं तो मरीजों की व्यवस्था कौन देखें! यही कारण है कि महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति देश में सबसे बदतर बनी हुई है।
पंजाब की कैप्टन अमरिंदर की सरकार जिस प्रकार किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली को जाम करने में व्यस्त रही, उससे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति बेकाबू हो गई।
यद्यपि मोदी सरकार को किसान आंदोलन सही ढंग से ना संभाल पाने के लिए दोषी माना जा सकता है, पर कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकारें कोरोना नियंत्रण में बिल्कुल नाकाम रही। किंतु अपनी असफलता का ठीकरा वे मोदी सरकार पर फोड़ती रही।
कांग्रेस पार्टी द्वारा इस संबंध में जो टूल किट में दिशा निर्देश जारी किए हैं वह निश्चित रूप से आश्चर्यचकित करने वाले हैं।
यह टूलकिट कांग्रेस नेताओं के दोहरे मापदंडों, उनकी राजनीति के गिरते स्तर को व देश की छवि विश्व में धूमिल करने के प्रयासों को उजागर करती है। कुछ समय पहले राहुल गांधी एक अमेरिकी प्रोफेसर को दिए गए साक्षात्कार में यू एस की सरकार से अपील करते देखे गए कि वह मोदी सरकार को किसी भी प्रकार की सहायता देना बंद करें। हद तो तब हो गई जब 60 बरस से इस देश की सत्ता का सुख भोगने वाली कांग्रेस पार्टी अपने नेताओं को यह निर्देश देती है कि कोरोना मरीजों को काम आने वाली दवाइयों, ऑक्सीजन तथा अस्पताल के बिस्तरों को अपने नाम से आरक्षित करा लें या अपने पास इकट्ठा कर लें तथा उन्हें तभी दिया जाए जब कि कोरोना मरीज कांग्रेस पार्टी से सहायता मांगे।
सहायता का यह अद्भुत तरीका कांग्रेस की नई खोज है। ऐसे देशद्रोही व्यवहार के लिए उन्हें जो भी सजा दी जाए वह बहुत कम है। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसकी रखवाली कौन कर सकता है?
क्रमशः
(लेखक राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं)