प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य ( वरिष्ठ अधिवक्ता)
अक्सर आपने फिल्मो और असली ज़िन्दगी में देखा होगा की हर जज मुजरिम को फांसी की सज़ा देने के बाद अपने पेन की निब तोड़ देते है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है या फिर कभी आपके मन में यह सवाल उठा है की, आखिर क्यों जज मुजरिम को फांसी की सज़ा देने के बाद अपने कलम का निब तोड़ देते है ? क्या आप इसके पीछे का कारण जानते है ? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों मौत की सजा सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ दी जाती है।
आपको बता दे फांसी की सजा सुनाने के बाद कलम तोड़ने की प्रथा आज से नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने से चलता आ रहा है। जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी तभी भी सजा सुनाने के बाद कलम को तोड़ा दिया जाता था। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर कार सजा और कलम का क्या संबंध हो सकता है। आज हम आपको अपने इस पोस्ट में बताएंगे की फांसी की सजा और कलम इन दोनों के बिच में क्या संबंध होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे सज़ा और कलम के बीच बहुत ही गहरा नाता होता है। जिस तरह कलम से लिखी हुई बात को कोई मिटा नहीं सकता उसी तरह कोर्ट के द्वारा दी हुई सजा को कोई भी ताकत नहीं रोक सकता है। वही अगर हम कलम से फांसी की सज़ा की बात करे तो। आपको बता दे जिस कलम से आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाती है उसे जज के द्वारा इसलिए तोड़ दिया जाता है कि, दोबारा इस कलम से फिर किसी को फांसी की सजा नहीं मिले। और साथ ही साथ इस तरह का कोई अपराध दोबारा न करें। वही फांसी की सजा दुनिया की सभी सजाओं में सबसे बड़ी सजा होती है। जिसे किसी आम अपराधी को नहीं सुनाया जाता है।
यह कठिन सज़ा उन अपराधियों को सुनाया जाता है जो किसी जघन्य अपराध की घटना को अंजाम देते है। सजा मुकर्रर होने के बाद कलम तोड़ने का एक और भी कारण बताया जाता है। जिसके मुताबिक जब भी किसी जघन्य अपराध करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा मुकर्रर होती है। तो उसकी जिंदगी समाप्त हो जाती है। एक इंसान की जिंदगी को समाप्त होने के बाद जज द्वारा कलम तोड़ दिया जाता है। कलम तोड़ने का मतलब होता है की अब इस अपराधी को कोई नहीं बचा सकता है। अब इस की ज़िन्दगी समाप्त होब चुकी हैं।
फांसी की सजा सुनाने से पहले उस सजा पर जज के द्वारा जिस कलम से हस्ताक्षर किया जाता है। उसे तोड़ने का एक और कारण यह भी माना जाता है कि, यही कलम है जिसने उस शख्स की मौत लिखी है। वही किसी की जान लेने के कारण अपने आपको प्रायश्चित कराने के लिए जज के द्वारा कलम की निब तोड़ दी जाती है।