देश के विश्वविद्यालयों शिक्षण संस्थाओं का ऐसे किया गया वामपंथीकरण
70 के दशक में इंदिरा गाँधी बहुत से चुनाव हार गयी .. लगा की देश से अब कांग्रेस खत्म हो जाएगी … खुद इंदिरा गाँधी बुरी तरह हार गयी थी ..ऐसे में इंदिरा गाँधी को वामपंथीयो की जरूरत पड़ी ..
लेकिन लालू. ममता, शरद पवार. मुलायम सिंह जैसे लोग मलाईदार रेलवे, ट्रांसपोर्ट, रक्षा, गृह आदि मंत्रालय जिसमे खूब पैसा कमा सके उसकी मांग करते है .. लेकिन वामपंथियो ने इंदिरा को मदद के बदले भारत की तमाम universities में chancellor, vice chancellor, NCERT, CBSE, भारत इतिहास research संस्थान जैसे तमाम संस्थाओ में मुख्य positions की मांग की .. ताकि देश के इतिहास और देश के युवाओ का वामपंथ के तरफ लाया जाए ..
इंदिरा गाँधी को वामपंथीयो की ये मांग बहुत छोटी लगी .. लेकिन इंदिरा की सत्ता की हवस का खामियाजा देश को कई पीढ़ी तक भुगतना पड़ेगा ..
क्योकि वामपंथियो ने इतिहास को विकृत किया .. बच्चों की किताबो में मनचाहे बदलाव किये .. स्नातक और स्नातकोत्तर तक के पाठ्यक्रम को बदल दिया .. और देश में वामपंथी विचार को खूब फैलाया
नतीजा ये हुआ की दिल्ली विश्वविद्यालय, JNU, अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, कोलकाता की जादवपुर युनिवर्सिटी, Hyderabad युनिवर्सिटी वडोदरा की MS युनिवर्सिटी सहित तमाम शिक्षण संस्थाओ में VC से लेकर professors तक वामपंथी और माओवादी भर गये ..और देश की तमाम युनिवर्सिटी को लाल रंग में रंग दिया
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की घोर हिन्दू विरोधी पेशे से एक वकील तीस्ता जावेद सेतलवाड और एक NGO माफिया, शबनम हाश्मी को कांग्रेस सरकारों ने grade 12 तक किताब publish करने वाली संस्था NCERT की council में सर्वोच्च पद पर बैठाया था …
कांचा इलाया जिसने देश को महिषासुर शहीदी theory दिया जो कसाब और हाफिज सईद से हजारो गुना खराब है उसे भी NCERT की council में रखा गया ..
universities के लिए इतिहास लिखने के लिए घोर माओवादी और घोर हिन्दू विरोधी रोमिला थापर और रामचन्द्र गुहा को रखा गया .. इन दोनों ने भारत के इतिहास को महाविकृत कर दिया . और इतिहास से हिन्दू शूरवीरो को पूरी तरह से हटा दिया …
इसी गंदे साजिश के तहत JNU में रोमिला थापर और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में इरफ़ान हबीब को बैठा दिया गया जिन्होंने घोर हिन्दू विरोधी पाठ्यक्रम बनाया ,,और माओवादी विचार फैलाया और ऐसे ही दरबारी, fraud historians को कांग्रेस ने तमाम पुरस्कारों और इनामों से नवाज़ा, और इनको ‘intellectual’ की पदवी भी दी.
जितने भी अच्छे researchers, historians, etc हुए उन्हें और उनके research papers को गायब कर दिया गया .. आज JNU में आरसी मजूमदार, जदुनाथ सरकार, एसआर राव, P.N Oak, etc जैसे हिंदूवादी सच्चे इतिहासकारों के research papers गायब है .. इनके किताबो को पाठ्यक्रम से भी हटा दिया गया।
अब मोदी जी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की देश के शिक्षा जगत पर कुंडली मारे इन वामपंथियों को एक एक कर हटाया जाए ..
मुझे ख़ुशी भी है की काफी जगहों से वामपंथी गायब हो रहे हैं !!!