बंगाल : जीतने के बाद की खूनी होली
पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद ममता बनर्जी की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो हिंसा का नंगा नाच करना शुरू किया उससे लोगों को खेला होबे का असली अर्थ समझ में आ गया। भाजपा समर्थकों के खिलाफ शुरू हिंसा, लूटपाट व बलात्कार की दर्जनों घटनाएं लोकतंत्र को शर्मसार करती रही और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। तृणमूल कार्यकर्ताओं की सनक भरी इन कार्रवाइयों से डरकर हजारों लोग बंगाल छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गये।
बद्रीनाथ वर्मा / राम जी तिवारी
पूरे चुनाव के दौरान व्हीलचेयर पर बैठकर चुनाव अभियान चलाने वाली ममता बनर्जी चुनाव परिणाम आते ही कालीघाट इलाके के हरीश मुखर्जी लेन स्थित अपने घर के अंदर से पैदल चलकर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करने पहुंच गईं। जिस व्हीलचेयर ने उन्हें इतनी बड़ी जीत दिलाई चुनाव परिणाम पक्ष में आते ही उन्होंने उसे बिसरा दिया। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले से भी बड़ी जीत में इस व्हीलचेयर का बहुत बड़ा योगदान है। भाजपा की पूरी मशीनरी से लड़ रही एक अकेली घायल महिला की छवि गढ़कर उन्होंने बंगाली अस्मिता का ऐसा तूफान खड़ा कर दिया कि दो सौ पार के दंभ वाला आसोल परिवर्तन की हवा निकल गई। रही सही कसर भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में हुई मुस्लिमों की लामबंदी ने पूरी कर दी। यह गोलबंदी इतनी जबरदस्त थी कि 34 साल तक एकछत्र शासन करने वाले वामफ्रंट और उसके पहले 22 साल तक बंगाल की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला।
खैर, व्हीलचेयर पर प्लास्टर चढ़े पैर के साथ चुनाव प्रचार व अब बिल्कुल फिट हो जाना यह कल की बात है। आज का सच यही है कि ममता बनर्जी ने अपनी स्ट्रीट फाइटर की छवि को बरकरार रखते हुए खेला कर दिया है। बंगाल की सत्ता पर तीसरी बार काबिज होने के साथ ही उन्होंने बंगाल में सत्तासीन होने का ख्वाब देख रही भाजपा के रथ को फिलहाल रोक दिया है। हालांकि भाजपा इस बात को लेकर खुश हो सकती है कि 3 से बढ़कर अब उसके विधायकों की संख्या 77 हो गई है और राज्य में कांग्रेस व लेफ्ट फ्रंट का सफाया कर मुख्य विपक्षी पार्टी का तमगा उसने हासिल कर लिया है। इसके विपरीत राज्य विधानसभा चुनाव में ममता की पार्टी को 213 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिला है। हालांकि इस प्रचंड जीत का मजा नंदीग्राम में मिली शिकस्त ने किरकिरा कर दिया है। शुभेंदु ने साबित कर दिया कि नंदीग्राम के असली अधिकारी वही हैं। हालांकि ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद का शपथ लेकर एक नया रिकार्ड बनाया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई हारा हुआ उम्मीदवार फिर से मुख्यमंत्री बन गया हो। नंदीग्राम से हारकर भी मुख्यमंत्री पद संभालने को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि तृणमूल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह है। उन्होने तंज कसा कि ममता बनर्जी को 213 विधायकों में से कोई भी मुख्यमंत्री पद के काबिल नहीं दिखा।
बहरहाल, इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही ममता बनर्जी की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो हिंसा व लूटपाट का नंगा नाच शुरू किया उसने खेला होबे का असली अर्थ लोगों को समझा दिया। भाजपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ व आगजनी तो आम बात हो गई। भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट पीटकर नृशंस हत्या व महिलाओं से बलात्कार की अनगिनत घटनाओं ने पूरे देश में ही नाराजगी पैदा कर दी। तृणमूल कार्यकर्ताओं की सनक भरी इन कार्रवाइयों से डरकर हजारों लोग बंगाल छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गये। बंगाल से पलायन कर असम के धुबरी पहुंचने वाले ऐसे ही सैकड़ों भाजपा समर्थकों की व्यथा कथा शेयर करते हुए भाजपा नेता और अब असम के नये मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ने ट्वीट किया। साथ ही इनके रहने खाने का बंदोबस्त करने का भरोसा दिया। भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हो रही इस हिंसा के खिलाफ ट्वीटर पर स्पाइनलेस भाजपा हैशटैग ट्रेंड करने लगा। हर तरफ से बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठने लगी। दबाव में आई भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा दो दिवसीय दौरे पर बंगाल पहुंचे। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने भी संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की।
पश्चिम बंगाल की इस पाशविक हिंसा के खिलाफ भाजपा समर्थकों का देशव्यापी गुस्सा सोशल मीडिया पर हैशटैग स्पाइनलेस भाजपा के रूप में प्रकट होने लगा तो केंद्रीय गृह मंत्रालय भी हरकत में आ गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्यपाल जगदीप धनखड़ को फोन कर इस पर चिंता जताई और राज्यपाल से रिपोर्ट देने को कहा। प्रदेश भाजपा ने अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में दावा किया कि बीरभूम जिले के नानूर से भाजपा उम्मीदवार तारक साहा कि पोलिंग एजेंट बनी दो महिला कार्यकर्ताओं से तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और एक कार्यकर्ता का अपहरण कर ले गये। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र के 12 गांवों में भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं के साथ शारीरिक उत्पीड़न और यौन शोषण की घटनाएं लगातार हो रही हैं। टीएमसी के गुंडों की धमकियों से डरकर एक लाख से ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़ चुके हैं। इस पाशविक हिंसा का सर्वाधिक दुखद पक्ष यह है कि शासन और प्रशासन की भूमिका केवल मूक दर्शक की ही दिखाई दी। दंगाइयों को न ही किसी का कोई डर था और न ही शासन-प्रशासन की ओर से नियंत्रण की कोई प्रभावी पहल दिखाई पड़ी।
हिंसा की घटनाओं को लेकर जेपी नड्डा ने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। नड्डा ने कहा कि जिस तरह नरसंहार हुआ, क्रूरता से हत्याएं की गईं और जिस तरह कार्यकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 36 घंटे तक शांत रहीं, यह बताता है कि इसमें उनकी संलिप्तता है। ममता बनर्जी का मौन उनकी संलिप्तता के बारे में बताता है और उन्होंने अपना तीसरा कार्यकाल अपने हाथों में खून के साथ शुरू किया है। नड्डा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया और उनपर और उनके परिजनों पर हमले किए। उन्होंने खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाया। छेड़छाड़ और दुष्कर्म के मामले बड़े पैमाने पर हुए हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हम चुनाव के प्रचार में जब कहते थे कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं, तो हम सही थे। बंगाल में पहले लोगों पर हमला, फिर परिवारों पर हमला, फिर महिलाओं पर हमला और उसके बाद लूटपाट हमारी आशंका को सच प्रमाणित कर रहे हैं।
नड्डा के मुताबिक बंगाल की जनता और बंगाल के लोगों की बहुत ही निर्दयता से हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि जिनके साथ इस तरह की घटना घटी है भाजपा उनके साथ खड़ी है। इन घटनाओं को देखकर मुझे विभाजन के समय की याद आ गई है। 16 अगस्त 1946 को सीधा हमला भी याद है, डायरेक्ट एक्शन डे। भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले और हत्या की घटनाओं पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से बंगाल में शांति कायम करने के लिए हर संभव कदम उठाने की अपील की। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि चुनाव परिणाम के तुरंत बाद अनियंत्रित तरीके से हुई राज्यव्यापी हिंसा न केवल निंदनीय है, बल्कि पूर्व नियोजित भी है। उन्होंने कहा कि बंगाल में समाज विरोधी शक्तियों ने महिलाओं के साथ बर्बर व्यवहार किया, निर्दोष लोगों की हत्याएं कीं, घरों को जलाया, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों-दुकानों को लूटा एवं हिंसा के फलस्वरूप अनुसूचित जाति-जनजाति समाज के बंधुओं सहित हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर प्राण-मान रक्षा के लिए सुरक्षित स्थानों पर शरण के लिए मजबूर हुए हैं। कूचबिहार से लेकर सुंदरबन तक सर्वत्र जन सामान्य में भय का वातावरण बना हुआ है।
यही नहीं, अपने बेबाक बयानों को लेकर चर्चित रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने भी बंगाल की इस पाशविक हिंसा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने एक लेख लिखकर कहा कि भाजपा पर अक्सर फासीवादी होने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन ममता उससे भी बड़ी फासीवादी हैं। वह आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। जो भी उनकी आलोचना करता है वह अक्सर जेल में बंद होता है। उदाहरणस्वरूप जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा, जिन्हें केवल इसलिए जेल में डाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने ममता के कुछ कार्टून सोशल मीडिया पर साझा किए थे।
ममता बनर्जी की इस प्रचंड जीत का मजा नंदीग्राम में मिली शिकस्त ने किरकिरा कर दिया है। शुभेंदु ने साबित कर दिया कि नंदीग्राम के असली अधिकारी वही हैं। हालांकि हारकर भी ममता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हो गईं।
किसान शिलादित्य चौधरी, जिसने केवल ममता को यह बताया था कि उन्होंने अपने चुनावी वादों को नहीं पूरा किया। उन्हें माओवादी घोषित कर दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया। ममता की कार जब सड़क पर जाती थी और लड़के जय श्री राम के नारे लगाते थे तो ममता पुलिस को उन को गिरफ्तार करने के आदेश दे देती थीं। उदाहरण और भी हैं। जब 2012 में कोलकाता के पार्क स्ट्रीट में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था तो ममता ने इसे ‘मनगढ़ंत घटना’ कहा था। लेकिन जब बहादुर पुलिस अधिकारी दमयंती सेन ने इसकी जांच करने पर जोर दिया, तो इस बात ने ममता को इतना क्रुद्ध किया कि उन्होंने तुरंत सेन को एक महत्वहीन पद पर स्थानांतरित कर दिया था। सच्चाई यह है कि ममता एक तानाशाह प्रवृत्ति की घमंडी औरत हैं।
इससे इतर हिंसा का जायजा लेने गृह मंत्रालय की चार सदस्यीय टीम बंगाल पहुंची और हालात का जायजा लेने के साथ ही राजभवन जाकर राज्यपाल से भी मुलाकात की। केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम हेलीकॉप्टर के जरिए चुचुंड़ा पहुंची और धनियाखाली गांव में हिंसा के कारण बेघर हुए लोगों से मुलाकात की। लोगों का आरोप था कि चुनाव रिजल्ट के बाद जारी हिंसा के कारण उन्हें घर छोड़ना पड़ा है। कई लोगों की शिकायत है कि रिजल्ट के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारणों की पड़ताल करने और राज्य में जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए चार सदस्यीय दल का गठन किया है। गृह मंत्रालय ने इससे पहले बंगाल सरकार से राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने और समय गंवाए बिना ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि राज्य सरकार ऐसा करने में विफल होती है तो मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। खैर, केंद्र सरकार के सख्त रुख के बाद देखना दिलचस्प होगा कि हिंसा का यह बेलगाम दौर थमता है या फिर राजनीतिक आरोपों प्रत्यारोपों के बीच किसी विशेष दल को समर्थन करने का खामियाजा बंगाल की जनता यूं ही भुगतने के लिए अभिशप्त रहती है।
बाल बाल बचे केंद्रीय मंत्री
टीएमसी समर्थकों की हिंसक कार्रवाइयों का शिकार विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन भी हुए। पश्चिमी मिदनापुर में उनकी कार पर टीएमसी समर्थकों ने हमला कर दिया। ये जानकारी खुद मुरलीधरन ने हमले का वीडियो ट्वीट कर दी। दरअसल, कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अपने कार्यकर्ताओं को हौसला देने के लिए बंगाल जा रहे हैं। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन पश्चिमी मिदनापुर में एक बीजेपी कार्यकर्ता से मिलने उनके घर जा रहे थे। तभी रास्ते में लाठी डंडों से उनके काफिले पर हमला हुआ। इस दौरान उनकी गाड़ियों के शीशे टूट गए और उनका ड्राइवर घायल हो गया। विदेश राज्यमंत्री पर हुए हमले की केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने निंदा करते हुए कहा कि बंगाल सरकार ने लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया है। मंत्री सुरक्षित नहीं है तो फिर सामान्य जनता का क्या होगा। लाखों लोगों को घर छोड़ना पड़ा, क्योंकि उनके घरों पर हमले किए गए। जला दिए गए। ये लोकतंत्र नहीं है। इस तरह के हमले की धमकी ममता बनर्जी पहली ही अपने भाषण में दे चुकी थी।
पीट पीटकर भाजपा समर्थकों की हत्या
चुनाव रिजल्ट के बाद हिंसा, लूटपाट, बलात्कार की सिहरन पैदा करने वाली घटनाओं से राजधानी कोलकाता भी अछूता नहीं रहा। कोलकाता के जादवपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी कैंडिडेट रिंकू नस्कर के घर टीएमसी के गुंडों ने लूटपाट की। उत्तर 24 परगना जिले के मिनाखां और बामनपुकुर इलाके में करीब पांच सौ बीजेपी कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले करके उन्हें जान से मारने की धमकियों से डरकर बड़ी संख्या में बीजेपी समर्थक अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर हुए हैं। इसी तरह पूर्व बर्दवान के केतुग्राम में 22 साल के बलराम माजी की हत्या कर दी गई। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटाल विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी नेता विश्वजीत महेश की हत्या करने का भी आरोप टीएमसी पर लगा। प्रदेश भाजपा के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का दावा है कि चुनाव बाद जारी हिंसा में कम से कम 16 बीजेपी समर्थकों की हत्या की गई है। इनमें से बेलियाघाटा के अभिजीत सरकार और सोनारपुर के हारन को बर्बर तरीके से पीट-पीट कर मौत के घाट उतारा गया। हत्या से पहले अभिजीत सरकार ने फेसबुक लाइव किया था, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा क्षेत्र में हिंसा के बारे में जानकारी दी थी। उसके 15 मिनट के बाद उन्हें पीट-पीट कर मार डाला गया।
भाजपा को 38 और टीएमसी को 48 फीसदी मत
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने अपनी सीटों में 25 गुना बढ़ोतरी दर्ज की है और 77 सीटों के साथ प्रमुख विपक्षी दल बन गई है। निर्वाचन आयोग के डाटा के मुताबिक, कांग्रेस और वाम दलों के गढ़ में सेंध लगाने वाली भाजपा को 38.09 फीसदी मत मिले हैं, जबक 213 सीट पाने वाली ममता की तृणमूल कांग्रेस पर 47.93 फीसदी मतदाताओं ने विश्वास जताया है। 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 40.7 फीसदी मत हासिल कर 18 सीट जीती थीं और 43.3 फीसदी मत पाने वाली टीएमसी की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी साबित हुई थी। बात विधानसभा चुनावों की करें तो 2016 में 211 सीटों पर जीत हासिल करने वाली टीएमसी को 44.91 फीसदी मत मिले थे, जबकि भाजपा को 10 फीसदी से कुछ ज्यादा मतों के साथ केवल तीन सीटें हासिल हुई थीं। इस बार राज्य में सबसे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन कांग्रेस का रहा। पिछली बार 12 फीसदी मत पाने वाली देश की सबसे पुरानी पार्टी इस बार महज 3 फीसदी वोटर ही लुभा सकी और अपना खाता भी नहीं खोल सकी। तीन दशक तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहे लेफ्ट फ्रंट का भी कोई दल 5 फीसदी मतों का आंकड़ा पार नहीं कर पाया।
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