#* *ये आखरी मौका**#
बंद है आंखें निरंतर अश्रु की
धारा बहती चली जा रही हो —-
खोल आंखें देख अपने ही
हाथों से इस धरा को
कितनी क्षति कर रहे हो —–
विकास के नाम______?
पहाड़ों को ———;
नदियों को——-;
जंगलों को ———;
नुकसान पर नुकसान
करते चले जा रहे हो ——
रोक लो इस होड़ को मान
लो मेरी बातें,
नुकसान अपना ही ज्यादा
कर रहे हो ———-
इस पर्यावरण को बचाना हो
प्रण करो अपने आप से
जब- जब खुशी हो ——-
एक पेड़ जरूर इस धरातल
पर लगा हो ——-
दूसरे को भी प्रेरित कर
पेड़ लगाने हो——–
इस सूनी- सूनी राहों का हम
सब को ही उपाय करना हो ——-
ये आखरी मौका है इस धरती
को बचाना हो ——–
पेड़ लगा उसकी
सेवा करना
पेड़ लगाकर उसकी
सेवा करना
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प्रमोद खीरवाल
#टाटानगर#
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