राष्ट्र-चिंतन
पाकिस्तान, तुर्की , मलेशिया की बोली क्यो बोले भारत ?
विष्णुगुप्त
फिलिस्तीन के समर्थन करने से पहले भारत के साथ हुई गद्दारी को जानिए, समझिए, फिलिस्तीन की स्वतंत्रता को लेकर लडने वाले मुस्लिम आतंकवादी संगठनों की अनैतिकता, विश्वासघात और उनकी हिंसक मुस्लिम सोच पर भी संज्ञान लेने की जरूरत है।भारत प्रारम्भ से ही फिलिस्तीन की आजादी और फिलिस्तीन की मुस्लिम आबादी के विकास और उन्नति का समर्थक रहा है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसके लिए भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुखरता के साथ सक्रिय भी रहा है। आर्थिक, कूटनीतिक सहयोग भी दिया है भारत।
दुनिया के लिए कुख्यात आतंकवादी संगठन फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑग्नाजेक्शन और इसके अध्यक्ष यासिर अराफात ने जब स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की थी तब सबसे पहले भारत ने ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की मान्यता प्रदान की थी। उस समय पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया, ईरान और सऊदी अरब जैसे कट्टर मुस्लिम परस्त देश भी स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने की हिम्मत नहीं कर सके थे, मुस्लिम देशों को भी फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑग्नजेक्शन और यासिर अराफात की आतंकवादी मानसिकता से डर बना हुआ था, उन्हें लगता था कि मुस्लिम आतंकवाद का यह भूत उनकी मुस्लिम आबादी के सिर पर चढ़कर न बोलने लगे। कोई एक दो देश नहीं बल्कि दुनिया के 103 देशों ने यासिर अराफात को आतंकवादी और फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑग्नज़ेक्शन को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखे थे। अपने काल में फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑग्नजैक्शन , आज के अलकायदा, तालिबान, बोकोहरम और आईएस से भी बर्बर, हिंसक आतंकवादी संगठन था, इस पर आठ विमानों का अपहरण करने और दो हजार से अधिक निर्दोष लोगो की हत्या करने का आरोप था, इस पर म्यूनिख नरसंहार का भी गुनाह था, जर्मनी ओलंपिक खेलों के दौरान फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑग्नाजैक्शन ने इजरायल के ग्यारह खिलाड़ियों को बंधक बना कर, इजरायली खिलाड़ियों की हत्या कर डाली थी।
भारत की तत्कालीन सरकारों ने राजनयिक, आर्थिक मदद करने और समर्थन में खड़े होने से पहले यह भी सोचा, देखा नहीं कि यासिर अराफात और उसके आतंकवादी संगठन पर आठ आठ विमानों के अपहरण, दो हजार से अधिक निर्दोष लोगो को मौत का घाट उतारने का गुनाह है। दुनिया भर में मान्यताएं हैं कि जो बर्बर है,हिंसक है, जो अमानवीय है, जिनके हाथ खून से रंगे हुए हैं, जिनके लिए दया, करुणा कोई महत्व नहीं रखता है, उसे किसी भी पुरस्कार का पात्र नहीं समझा जाता है, उस पर किसी भी प्रकार की दया, करुणा और पुरस्कार की उम्मीद नहीं बनती है। पर तत्कालीन भारत सरकार द्वारा इस मान्य परम्परा और अहर्ताओं को तोड़ा गया, तत्कालीन भारत सरकरो पर मुस्लिम सोच हावी थी, भारत सरकार मुस्लिम आबादी की मजहबी सोच को संतुष्ट करना चाहती थी, ऐसा सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक के लिए और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति प्रक्रिया के तहत सम्भव हुआ था। यासिर अराफात को इंदिरा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू शांति पुरस्कार दी थी। जवाहरलाल नेहरू शांति पुरस्कार के तहत यासिर अराफात को एक करोड़ रुपए और दो सौ ग्राम के सोनायुक्त पुरस्कार शील्ड मिले थे। उस काल का एक करोड़ रुपए की कीमत आज एक अरब से भी ऊपर है। इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी ने यासिर अराफात को इंदिरा गांधी शान्ति पुरस्कार दिया था। राजीव गांधी ने यासिर अराफात को बोइंग 747 भी गिफ्ट में दिया था। इसी बोइंग से यासिर अराफात पूरी दुनिया घूमता था।
संकट काल में मदद गार को मसीहा का दर्जा दिया जाता है, उसके प्रति सम्मान हमेशा दर्शाया जाता है, उसके हितों की रक्षा की जाती हैं। भारत ने यासिर अराफात और उसके संगठन को संकट काल और मजबूर समय में मदद की थीं,साथ में खड़ा था, अपने हित की बलि चढ़ाने की कीमत पर मदद और समर्थन दिया था।जबकि अमरीका जैसा मजबूत देश इजरायल के साथ खड़ा था। यासिर अराफात ने भारत के खिलाफ कैसी अनैतिकता दिखाई थी, कैसा विश्वासघात किया था, सरेआम पेट में कैसी छूरी घोपी थी, यह भी जान लीजिए। जब आप फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए लड़ने वाले मुस्लिम आतंकवादी संगठनों की भारत विरोधी करतूतों को जानेंगे, समझेंगे तो फिर आपको फिलिस्तीन के लिए लड़ने वाले मुस्लिम आतंकवादी संगठनों से घृणा हो जाएगी।
फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाजेशन और यासिर अराफात ने कश्मीर के प्रश्न पर भारत का विरोध किया था, भारत के हितों पर सरेआम छुरी चलाई थी, पाकिस्तान का समर्थन किया था। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज यानी ओआईसी की बैठक में यासिर अराफात ने सरेआम कहा था कि भारत कश्मीर में मुस्लिम नरसंहार कर रहा है, भारत द्वारा मुस्लिम नरसंहार रोकने के लिए हम पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, पाकिस्तान जब चाहे तब भारत पर हमला करें, हमारे लड़ाके कश्मीर जाएंगे और भारत के खिलाफ युद्ध लड़ेंगे भारत को पराजित करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि
बल्कि कश्मीर की तुलना उसने फिलिस्तीन से भी की थी और कहा था कि इजराइल की तरह ही भारत भी मुसलमानों का दुश्मन है । यासिर अराफात मुस्लिम देशों में घूम-घूम कर इजराइल के साथ ही साथ भारत के खिलाफ भी मजहबी युद्ध छेड़ने की अपील करता था। जाहिर तौर पर यासिर अराफात भी भारत को मुस्लिम सोच के दृष्टिकोण से ही देखता था।
यासिर अराफात के पतन और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के कमजोर पड़ने पर फिलिस्तीन की मुस्लिम सोच पर आधारित हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों का उदय हुआ । फिलिस्तीन स्वशासी परिषद के शासन पर हमास का कब्जा हो गया। हमास और हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थक माना जाता है। भारत की सऊदी अरब के साथ दोस्ती ईरान को भाता नहीं है। मुस्लिम राजनीति में ईरान और सऊदी अरब के बीच छत्तीस का संबंध है। हमास और हिजबुल्ला का भी भारत विरोधी दृष्टिकोण और जिहाद उल्लेखनीय है ।भारत में इजरायल के खिलाफ आतंकवादी घटनाओं में हमास और हिजबुल्लाह का नेटवर्क पाया गया। 13 फरवरी 2012 को दिल्ली में इजराइल राजनयिक के कार में बम विस्फोट हुआ था, यह आतंकवादी कारवाई थी। इस बम विस्फोट में इजराइल के दो राजनयिक, भारत के दो नागरिक घायल हुए थे। इस आतंकवादी घटना में एक भारतीय पत्रकार मोहम्मद अहमद काजमी को गिरफ्तार किया गया था । मोहम्मद अहमद काजमी के बैंक खाते में ईरान से पैसे ट्रांसफर किए गए थे । उस समय हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ काफी चर्चा हुई थी ।हमारी गुप्तचर एजेंसियों ने रहस्यो घाटन किया था कि हमास और हिजबुल्लाह का सीधा संपर्क भारत में सक्रिय मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के साथ है। हमास और हिजबुल्लाह आज सक्रिय रूप से भारत की मुस्लिम आबादी को इजराइल के खिलाफ करने में लगे हुए हैं।
फिलिस्तीन इजराइल युद्ध संघर्ष के पीछे सिर्फ इजराइल की युद्ध प्रवृत्ति ही नहीं है बल्कि इसके पीछे हमास और मुस्लिम आबादी भी कम जिम्मेदार नहीं है, उन पर मुस्लिम सोच से पीड़ित युद्धक एमानसिकता हावी है। फिलिस्तीन इजराइल में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह देखा जाता है कि जुम्मे के नमाज के बाद नमाजी छोटी-छोटी बात पर , अफवाह पर हिंसक होकर खून खराबा करते हैं ।यरूशलम के एक मस्जिद में नमाज के बाद नमाजियों की भीड़ एकाएक आक्रामक हो गई हिंसक हो गई, इजराइल की पुलिस पर हिंसक हमले हुए, बचाव में इजराइल पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी । इसके बाद हमास ने इजराइल पर सैकड़ों राकेट दागे । प्रतिक्रिया में ही इजरायल की सेना विध्वंसक हमले कर रही है ।
फिलिस्तीन को लेकर दुनिया भर में मुस्लिम गोलबंदी खतरनाक है शांति के लिए नकारात्मक पहलू है। पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया जैसे देश हिंसक बोली बोल रहे हैं। भारत में भी वामपंथी जमा जमात और मुस्लिम जमात इजराइल के खिलाफ आग उगल रही हैं । कश्मीर से हिंदुओं को खदेड़ने के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलने वाले मुस्लिम जमात और वामपंथी जमात फिलिस्तीन के प्रश्न पर आग बबूला क्यों हो रही हैं । यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के खिलाफ भी है।
महात्मा गांधी ने स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का समर्थन किया था पर उन्होंने यह भी कहा था कि फिलिस्तीन में सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं बल्कि ईसाई और यहूदियों के लिए भी जगह होनी चाहिए ।मुस्लिम आबादी को ईसाईयों और यहूदियों के साथ सहचर बनना सीखना होगा। हमास और मुस्लिम दुनिया फिलिस्तीन को सिर्फ मुस्लिम देश के रूप में स्थापित करने के जिहाद में लगे हुए हैं।
कोई भी देश अपना हित पहले देखता है , अपनी सुरक्षा पहले देखता है , अपनी समृद्धि पहले देखता है । परहित पर वह अपना हित बलिदान नहीं करता है, फिर भारत हमास का समर्थन कर , मुस्लिम गोलबंदी का समर्थन कर, पाकिस्तान तुर्की मलेशिया की बोली बोल कर अपना ही हित बलिदान क्यों करें ? अगर भारत फिलिस्तीन के प्रश्न पर अपना हित बलिदान करता है तो फिर यह भारत के लिए आत्मघाती और मूर्खतापूर्ण कूटनीति होगी। इजरायल हमारा सबसे विश्वसनीय मित्र है , समय-समय पर उसने मित्रता का उदाहरण वीरता पूर्ण दिया है। याद कीजिए कारगिल युद्ध को, अगर कारगिल युद्ध में इजराइल ने मदद नहीं की होती तो हम पाकिस्तान को पराजित नहीं कर सकते थे। आज हमारी रक्षा जरूरतों को इजराइल ही पूरा कर रहा है ।चीन जैसे शत्रु देश हमारी सीमा और सुरक्षा को लहूलुहान करने की प्रवृत्ति छोड़ता नहीं है । भविष्य में अगर चीन के खिलाफ हमारा कोई युद्ध हुआ तो फिर हमारी मदद के लिए इजराइल ही सामने आएगा, तो फिर हम हमास और फिलिस्तीन का समर्थन कर इजराइल जैसे विश्वसनीय दोस्त को नाराज क्यों करें ?
हमास की यूद्धक और हिंसक नीति पर भी दुनिया को संज्ञान लेने की जरूरत है , फिलिस्तीन को लेकर दुनिया भर में हो रही मुस्लिम गोलबंदी और जिहाद पर भी संज्ञान लेने की जरूरत है। फिलिस्तीन पर सिर्फ मुस्लिम आबादी के एकाधिकार की मानसिकता के तौर पर देखने की जरूरत नहीं है। फिलिस्तीन में ईसाई और यहूदियों के लिए भी जगह होनी चाहिए। इजरायल की सुरक्षा और अस्मिता के प्रश्न को खारिज नहीं किया जा सकता है। इजरायल को भी अपनी सुरक्षा का अधिकार है।
………………विष्णुगुप्त
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