…. आचार्य श्री विष्णुगुप्त
रोहित सरदाना की उम्र मात्र 42 साल थी। इतनी कम उम्र में उनका जाना राष्ट्र भक्तो के लिए एक बहुत बड़ा आघात है। कोराना से पीड़ित होकर नोएडा के हॉस्पिटल में भर्ती थे, हर्ट अटैक से उनकी मृत्यु हुई।
…….. रोहित सरदाना की वीरता विशाल थी। भारत में राष्ट्र भक्ति की पत्रकारिता करना कितना कठिन काम है,यह मालूम ही है। इस सच्चाई को जानते हुए भी उन्होंने राष्ट्र भक्ति की पत्रकारिता को चुना था। अपने जीवन में राष्ट्र को सर्वश्रेष्ठ मानते थे। राष्ट्र भक्ति उनकी प्रेरणा देती थी।
…….. पहले उन्होंने जीटीवी और फिर आजतक पर अपना सिक्का जमाया था। आयातित हिंसक संस्कृति को उजागर करना हो या फिर देश के हर गौरव चिन्हों को सांप्रदायिक कहने वाली कम्युनिस्टों की जमात, नेहरू वंशियो और मुस्लिम जमातियो को बेनकाब करना हो, जैसे कार्य उसने आसानी से किए थे। पत्रकारिता में रबिस, बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई की राष्ट्र विरोधी मानसिकता को जमकर चुनौती दी थी।
…….. रोहित सरदाना की राष्ट्र भक्ति पत्रकारिता के विस्तार से देशद्रोहियों, आयातित हिंसक संस्कृति के जिहादियों, कम्युनिस्टों, नेहरू वंशियो में हाहाकार मचा था। रोहित सरदाना को आजतक से बाहर निकालने के लिए अभियान भी चलाया गया था पर राष्ट्र की प्राचीन संस्कृति के पुनर्जागरण रोहित सरदाना की अपराजित शक्ति बन गई।
…….. रोहित सरदाना की असमय मृत्यु पर जिहादी, मुस्लिम जमाती , कम्युनिस्ट जमात और नेहरू वंशी जमात जश्न मना रही है, सोशल मीडिया पर ऐसे समूह कह रहे हैं कि वह जमतियो के खिलाफ भोकता था, इसलिए अल्ला ने सड़ने के लिए दोजख में भेजा है। सोशल मीडिया पर ऐसे जश्न अस्वीकार होने चाहिए।
…….. पर जिहादी जश्न करियों यह मत भूलो कि अब देश की पुरातन संस्कृति का पुनर्जागरण हो चुका है। एक रोहित सरदाना गए हैं, भारतीय पत्रकारिता में अनेक रोहित सरदाना जन्म लेंगे। हमारे लिए रोहित सरदाना का जाना एक बहुत बड़ा आघात है।
….. वीर रोहित सरदाना को हम विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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