भारत के लिए कलंकित काम करने वाले लोग कौन हैं?

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बंगाल जल रहा है परंतु कुछ लोग तमाशा देख रहे हैं। दिल्ली दंगों मे भी इनहोने इसी तरह मजा लिया था। सफूरा जरगर को जमानत मिलने पर कुछ लोग सोशियल मीडिया पर इस तरह नाच रहे थे कि उसके सामने सावन मे मोर का नाच भी फीका पड़ गया।

उनमे एक अल्ट्रा सेक्यूलर लेखक हैं हैं। वे कुछ दिन पहले लिख रहे थे कि पाणिनी ( अष्टाध्यायी रचनाकार महर्षि पाणिनी) पता नहीं भारत के थे या कहीं अन्य देश के परन्तु उनका ज्ञान गलत था। उसी तरह के एक सुपर सेक्यूलर वकील साहब है जो दिल्ली दंगो के मास्टरमाइंड को फेसबुक पर अपनी वकालत की मुफ्त सेवाएँ देने के लिए उछल रहे थे। एक मीणा जी हैं जो सफूरा जरगर की जमानत पर नाच रहे थे तो दूसरे हंसराज मीणा जी ने ट्विटर पर अभियान चलाया था कि सफूरा को रिहा करो क्योंकि बेचारी गर्भवती है।
परंतु बंगाल के दंगो मे इन्हे न तो दलित दिख रहे हैं और ना ही महिलाएं।

पता नहीं इन्हे दिल्ली दंगो मे बलिदान हुए हेड कांस्टेबल रत्नलाल मीणा जी की याद क्यों नहीं आई। चलिए मान लेते हैं कि IB अधिकारी अंकित शर्मा ब्राह्मण था और एक ब्राह्मण के मरने पर किसी सेक्यूलर को दुखी नहीं होना चाहिए। शायद उन्हे लगा कि बलिदानी हेड कांस्टेबल रत्नलाल मीणा जी पर दुखी होना ठीक नहीं। क्योंकि पहले तो वो पुलिस मे थे, दूसरे हनुमान जी के भक्त थे ( वही हनुमान जी जिनके चित्र पर 2 अप्रैल 2018 को इन भीम मीम वालों ने जूते मारे थे) तीसरे अपने ब्राह्मण अधिकारी DCP अमित शर्मा को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
कुछ दिन पहले एक भीम मीम वाले परिचित से बात हुई। उनका परिचय यह है कि जेब मे 5000 साल के स्वर्णों द्वारा दलित उत्पीड़न के डोक्यूमेंट लेकर घूमते हैं और जहां भी कम पढ़ा लिखा SC/OBC नवयुवा मिले उसे जरूर पढ़ाते हैं। ये अलग बात है कि एक बार उन्होने मुझे भी पढ़ाने की कोशिश की पर जब मैंने कुछ प्रश्न किए तो उस दिन से मेरे सामने वो 5000 साल पुराने डोक्यूमेंट नहीं दिखाते। दूसरी उनकी विशेषता है कि हम कागज नहीं दिखाएंगे के बहुत बड़े समर्थक हैं। उदित राज, और चंद्रशेखर रावण के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। जब से उन्हे पता चला कि सफूरा जरगर गर्भवती है तब से शाहीन बाग धरने पर ना जाने से दुखी हैं। अब शाहीन बाग के दूसरे धरने का इंतजार कर रहे हैं ताकि किसी दूसरी सफूरा को अपनी सेवाएँ दे सकें। एक बार मैंने मज़ाक मे कहा कि पाकिस्तान की ISI बमो मे AI व्यवस्था कर रही है। जय भीम कहने से वह बम नहीं फटेगा तो उस दिन से मुझ से नाराज हो गए।
इन सब प्राणियों की विशेषता यह है कि ये रविश कुमार के बड़े फैन हैं। पूरे भारत मे इन्हे 4 यूनिवर्सिटी ही विद्वानो का अड्डा लगती हैं। JNU, AMU, जामिया और जादवपुर यूनिवर्सिटी। संविधान की किताब लेकर के, अंबेडकर का चित्र लगाकर तथा तिरंगे को हाथ में लेकर के आंदोलन करने की बात करते हैं उसी मंच के नीचे भारत के संविधान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताने की बात की जाती है भारत की न्यायपालिका को मुसलमानों का दुश्मन बताने की कोशिश की जाती है इस देश के संसाधनों का उपयोग किया इस देश के अच्छे कॉलेज और विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद भी देश के प्रति इतना जहर कि किस प्रकार से रेल की पटरी पर मवाद फैलाया जाए यह शाहिनबाग में बैठी महिलाओं और बच्चों को समझा रहा है

यह तो सिर्फ उसके नाम पर अपनी एकजुटता दिखाकर के देश के खिलाफ युद्ध की तैयारी प्रतीत होती है ऐसा लगता है यह बहुत कुछ तय करके आए हैं अच्छी-अच्छी विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त लोग, गैर पढ़े लिखे लोगों को भड़का रहे हैं भारत के विरोध में। यह हिंदुत्व का विरोध कर रहे हैं यह भारत का विरोध कर रहे हैं यह भारत की संसद का विरोधकर रहे हैं यह भारत के संविधान का विरोध कर रहे हैं और यह सब इस देश के टुकड़े करने की तैयारी करते हुए प्रतीत हो रहे है

आस्तीन के साँप हैं। इनसे सावधान रहिए

  1. विश्वविद्यालयों में बीफ फेस्टिवल बनाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते है और अपने आपको अहिंसा महात्मा बुद्ध का शिष्य बताते हैं।

  2. कश्मीर के पाक समर्थक आतंकियों को क्रांतिकारी और भारतीय सेना को बलात्कारी बताते हैं।

  3. होली, दिवाली को प्रदुषण पर्व और बकरीद को भाईचारे का पर्व बताते हैं।

  4. रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को देश बसाने की वकालत और देश के सवर्णों को विदेशी आर्य बताते हैं।

  5. कर्नल पुरोहित और असीमानन्द को देशद्रोही और याकूब मेनन को निर्दोष बताते हैं।

  6. हिन्दू समाज की सभी मान्यताओं को अन्धविश्वास और इस्लाम/ईसाइयत में विज्ञान खोजते हैं।

  7. हिन्दू देवी देवताओं की अश्लील तस्वीरों को अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता और मकबूल फ़िदा हुसैन को महान बताते हैं।

  8. विदेशियों के वेदों के अनर्गल अर्थों को सही और स्वामी दयानन्द कृत वेदों के भाष्य को असंगत एवं अपूर्ण बताते हैं।

  9. आर्यों को विदेशी और मुसलमान अल्पसंख्यकों का इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार बताते हैं।

  10. गौमांस खाना मानवीय अधिकार और गौरक्षकों को गुंडा बोलते हैं।

  11. श्री राम और श्री कृष्ण को मिथक और मुग़ल शासकों को महान और न्यायप्रिय बताते हैं।

  12. इस्लामक आक्रांताओं को महान और छत्रपति शिवाजी को डरपोक/भगोड़ा बताते हैं।

  13. ईसाईयों के छल-कपट से किये गए धर्मान्तरण को उचित और धर्मान्तरित हिन्दुओं की घर वापसी को अत्याचार बताते हैं।

  14. लव जिहाद को प्रेम की अभिव्यक्ति और उसके विरोध को अत्याचार बताते हैं।

  15. मुसलमानों की दर्जनों औलाद पैदा होने को अधिकार और हिन्दुओं द्वारा जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने को पिछड़ी सोच बताते हैं।

  16. मौलवियों के अनाप-शनाप फतवों का समर्थन और तीन-तलाक पर कानून बनाने का विरोध करते हैं।

  17. भारत में ब्रिटिश हुकूमत को न्यायप्रिय शासन एवं हिन्दू स्वराज की सोच को काल्पनिक बताते हैं।

  18. उत्तर पूर्वी राज्यों से अफ़सा कानून हटाने की और चर्च की मान्यताओं के अनुसार सरकारी नियम बनाने की बात करते हैं।

  19. नवरात्र के व्रत को ढोंग और इस्लामिक रोज़े को महान कृत्य बताते हैं।

  20. सरकार को अत्याचारी और माओवादी नक्सलियों को संघर्ष करने वाला योद्धा बताते हैं।

  21. भारत तेरे टुकड़े होंगे, कश्मीर की आज़ादी ऐसा नारा लगाने वालों का समर्थन और इनका विरोध करने वालों को भक्त कहते हैं।

  22. NGO के नाम पर विदेशों से चंदा लेकर भारत में लगने वाली बड़ी परियोजनाओं को प्रदुषण के नाम पर बंद करवाते हैं।

  23. वनवासियों को निर्धन रखकर भड़काते हैं और उन्हें नक्सली बनाते हैं।

  24. संयम/सदाचार युक्त जीवन को पुरानी सोच एवं शराब पीने, चरित्रहीन और भ्रष्ट बनने को आधुनिक बताते हैं।

  25. Voice of dissent के नाम पर देश, संस्कृति और सभ्यता के विरुद्ध जो भी कार्य हो उसका हर संभव समर्थन करते हैं।

यह छोटी से सूची है। भेड़ की खाल ओढ़े इन भेड़ियों को पिछले 70 वर्षों से पोषित किया जा रहा हैं। इनके अनेक रूप है। मानवाधिकार कार्यकर्ता, विश्वविद्यालय में शिक्षक, NGO धंधे वाले, लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शोधकर्ता, छात्र नेता, चिंतक, बुद्धिजीवी, शोधकर्ता आदि। इनके समूल को नष्ट करने के लिए हिन्दू समाज को संगठित होकर नीतिपूर्वक संघर्ष करना पड़ेगा। इनकी जड़े बहुत गहरी हैं।
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