मां विश्व की अनुपम कृति : अनिल आर्य

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मावां ठंडीयां छावां -प्रवीण आर्य

गाजियाबाद,। ( संवाददाता ) रविवार 9 मई 2021,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद ने “विश्व मातृ दिवस” पर माँ को नमन कर उसके गुणों का बखान किया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि माँ ईश्वर की अनुपम कृति है,माँ ममता की मूरत है,वह सारे कष्ट सहकर भी संतान को सब सुख देती है।आज की पीढ़ी को माँ की तपस्या,बलिदान व त्याग को समझना चाहिए और माता पिता का सम्मान करना चाहिए कि वह कितने कष्ट स्वयं सहकर बच्चों को सुख देते है। उन्होंने कहा कि हमारे वेद, दर्शनशास्त्र,स्मृतियां,महाकाव्य, उपनिषद आदि सब ‘माँ’ की अपार महिमा के गुणगान से भरे पड़े हैं।असंख्य ऋषियों,मुनियों, तपस्वियों,पंडितों,महात्माओं, विद्वानों,दर्शनशास्त्रियों, साहित्यकारों और कलमकारों ने भी ‘माँ’ के प्रति पैदा होने वाली अनुभूतियों को कलमबद्ध करने का भरसक प्रयास किया है।इन सबके बावजूद ‘माँ’ शब्द की समग्र परिभाषा और उसकी अनंत महिमा को आज तक कोई शब्दों में नहीं पिरो पाया है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि मावां ठंडीयां छावां। हमारे देश भारत में ‘माँ’ को ‘शक्ति’ का रूप माना गया है और वेदों में ‘माँ’ को सर्वप्रथम पूजनीय कहा गया है।इस श्लोक में भी इष्टदेव को सर्वप्रथम ‘माँ’ के रूप में उद्बोधित किया गया है।
ऋग्वेद में ‘माँ’ की महिमा का यशोगान कुछ इस प्रकार से किया गया है, ‘हे उषा के समान प्राणदायिनी माँ ! हमें महान सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करो।तुम हमें नियम-परायण बनाओं।हमें यश और अद्भुत ऐश्वर्य प्रदान करो।श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि ‘माँ’ बच्चे की प्रथम गुरू होती है।
तैतरीय उपनिषद में ‘माँ’ के बारे में इस प्रकार उल्लेख मिलता है:
‘मातृ देवो भवः।’
(अर्थात, माता देवताओं से भी बढ़कर होती है।) संतो का भी स्पष्ट मानना है कि ‘माँ’ के चरणों में स्वर्ग होता है।’

आचार्य महेन्द्र भाई, यशोवीर आर्य,धर्म पाल आर्य,सौरभ गुप्ता, अरुण आर्य,देवेन्द्र भगत, दिनेशसिंह आर्य,संजय सपरा आदि ने विचार रखे।

गायिका प्रवीन आर्या,पुष्पा चुघ,संगीता आर्या,वीना वोहरा, दीप्ति सपरा ने गीत सुनाये।
वीर महाराणा प्रताप जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

 

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